Tuesday, 31 December 2019

इतना सहल नही है खुद को

 इतना सहल नही है खुद  को  
साबित  करना 

अल्फ़ाज़ो में  ढूंढ  लेते हैं  
नाराज़  होने का  बहाना..!!



 लगेगी आग तो आएँगे घर कई जद में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है


 दु:खी रहना है तो हर किसी में कमी खोजो..
सुखी रहना है तो दूसरों के गुण को देखो।


किरदार बेच देने का अंजाम ये हुआ,
दिल में उतरने वाले नज़र से उतर गए


 अपनों से बस उतना ही रूठो की
आपकी बात और 
सामने वाले की इज़्ज़त बरक़रार रहे...

Monday, 30 December 2019

व्यक्तित्व की भी अपनी

व्यक्तित्व की भी अपनी 
वाणी होती है 
जो कलम या जीभ के 
इस्तेमाल के बिना भी 
लोगों के अंर्तमन को छू जाती है..


कुछ ..
शब्द ही तो थे
जिनसे जाना था
तूने मुझे ..... मैंने तुझे ....

कुछ ख्वाहिशों का......
अधूरा रहना ही ठीक_है,

जिन्दगी जीने की ......
चाहत तो  बनी रहती है।


अहंकार की बस एक ख़राबी है..
ये कभी आपको महसूस ही नहीं होने देता 
कि आप ग़लत हैं.

यह एक बात समझने में देर हो गई

यह एक बात समझने में देर हो गई 
वो मुझसे जीत गया या मेरी हार हो गयी

 "जहाँ से तेरे महावर की कोई रेख दिखे ,
 किसी भी राह में वो मोड़ क्यूँ नहीं आता...!"

 Peace is not the absense of trouble, but the presence of God.

आस्मां को क्या खबर दुश्व्वारियाँ क्या थीं ?
इक सितारा ढूंढने में दिन निकल आया..

"उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है, फर्क नही पड़ता

"उम्र में, ओहदे में,  कौन कितना बड़ा है,  फर्क नही पड़ता 

सजदे में, लहजे में,  कौन कितना झुकता है,  बहुत फर्क पड़ता है....."

Saturday, 28 December 2019

लफ्ज तो करेगे .. ईशारा जाने का ...

 लफ्ज तो करेगे .. ईशारा जाने का ...
तुम आँखे पढना ...ओर रुक जाना..

चंद लम्हात की खुशी के लिए...
लोग बरसों उदास रहते हैं...

जब भी हो दीवार खड़ी कोई अपनों के बीच 
होगा दोनों सम्त बराबर असर ये समझे कब

सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं

 सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं

काबिल लोग ना तो किसी से दबते है.
और ना ही किसी को दबाते है

जबाब देना उन्हें भी. खूब आता है.....पर

कीचड़ में पत्थर कौन मारे, ये सोचकर चुप रह जाते है..

आज तो दिल के दर्द पर हँस कर,

दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने.

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया,

वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया...

मेरे शब्दों और अर्थों पर 
जिसका सम्राज्य है
मुझ पर भी होगा उसका आधिपत्य
जिस दिन जीत लेगा वो
मौन मेरा।।

क्षमता और ज्ञान को हमेशा अपना 

गुरू बनाओ अपना गुरुर नहीं..

तोहमतें कुछ इस क़दर
वो लगाते गए

हमारी ख़ामोशी को भी साज़िश बताते रहे

तुम्हें "तलब" कहूँ "ख़्वाहिश" कहूँ या ज़िन्दगी,

तुमसे तुम तक का "सफर" है "ज़िन्दगी" मेरी

Thursday, 26 December 2019

दरारें

दरारें
अपनों मे
इस कदर
न पड़ने देना
के मरम्मत में
गैरो की
ज़रूरत पड़ जाय..☘️

लहरों को शांत देख कर ये न समझना की समंदर में रवानी नहीं है.

लहरों को शांत देख कर ये न समझना की समंदर में रवानी नहीं है.

. जब भी उठेंगे तूफान बन के उठेंगे.. अभी उठने की ठानी नहीं है ..

जिनके बिना सासे नहीं चलती थी

जिनके बिना सासे नहीं चलती थी 
उनके बिना जी रहे है कुछ लोग


आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की,

आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की,
मुझे भी जिद है, वही आशियां बसाने की
हिम्मत और हौंसले बुलंद है,
खड़ा हूँ अभी गिरा नही हूँ,
अभी जंग बाकी है, और मै हारा भी नही हूँ। 

जब छलका रहा था वो आंखों से

जब छलका रहा था वो आंखों से
तो पीना हमें आता ना था
जब सलीका ए मैंयकशी सीखा हमने
तो साकी ने पेशा बदल लिया

मयख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से

 मयख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से
आना जाना तेरा भी है मेरा भी.....

गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है 
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं

गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है 
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं

ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार होता 
अगर और  जीते  रहते  यही  इन्तज़ार  होता 

वो जो उड़ जाते हैं तेरी पलकों की छत से....
वो कई ख्वाब मेरी आँखों मे आ बैठे हैं..

"हर रोज गिरकर भी, मुक्कमल खड़े हैं...!
ए जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं ...!!"

हमे कहाँ मालूम था कि इश्क़ होता क्या है 
बस, एक तुम मिले ओर जिंदगी मोहब्बत बन गई..

कभी होगा मेहरबां कभी बदगुमां होगा

कभी होगा मेहरबां कभी बदगुमां होगा
एक जैसा वो हर वक्त कहां होगा

अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को...
मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं...

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते
 संबंधों की खुशहाली झुकने और सहने से बढती हैं !!!

जिंदगी वही है जो हम आज जी ले,
कल हम जो जिएंगे वो उम्मीद होगी...

कदर होती तो रुक जाते

 कदर होती  तो  रुक जाते 
मेरे  दूर होने  भर से 

क्यों  कहता है गम था 
तुझे मेरे  ना होने से ..!!

तुम्हारा नाम लिया था कभी मोहब्बत से..
मिठास उस की अभी तक मिरी ज़बान में है..!!

बेपनाह  मोहब्बत  का  आखरी  पड़ाव
           बस  एक  खामोशी

ये फ़क़ीरों की महफ़िल है, चले आओ मियाँ
ये भले लोग हैं, औक़ात नहीं पूछा करते

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते
 संबंधों की खुशहाली झुकने और सहने से बढती हैं !!!

Wednesday, 25 December 2019

उस से मिलने की ख़ुशी ब'अद में दुख देती है

उस से मिलने की ख़ुशी ब'अद में दुख देती है
जश्न के ब'अद का सन्नाटा बहुत खलता है

~मुईन शादाब

निकले है वो लोग

निकले है वो लोग 

मेरी शख्सियत बिगाड़ने

जिनके ख़ुद के किरदार 

मरम्मत माँग रहे है..

Friday, 20 December 2019

leadership, it's empowering the people

I allow my employees flexibility in lunch time, breaks, sick days, family leave, further education, etc. I don't believe in micromanaging. It puts undue stress on employees. I train, coach and mentor but I don’t have the time to micromanage.

If you hired someone, it means you believe they are capable of doing the job. Then trust them to get the job done.  You don’t need to be constantly monitoring their every movement. Micromanagement breeds resentment and disloyalty.

In an AI age characterized by disruption and ambiguous change, we need to rethink how we lead people. It’s no secret that technology is transforming the workplace, and unfortunately, employee morale is only getting worse. As organizations continue to focus on this technology, they are overlooking the most important part of the equation - the people side of the disruption. Disruption isn’t solely about how you manage the technology; it’s how you lead the people. Technology is a tool that empowers change, but people make it happen.

What do employees want? Employees want to feel like they belong, are heard and appreciated. Ping pong tables and sweet treats are not enough. Engagement doesn’t have to be a challenge. Today, it can be accomplished by using digital tools. It’s all about building a culture of feedback and continuous conversations. My aim is to create an environment where employees feel safe and comfortable to express themselves. 

As someone who travels a lot. I have had to get a little creative when it comes to engaging employees. I take advantage of systems as video conferencing and virtual meetings, which makes it easier to interact and connect with my employees. Weekly, I try to include 2 virtual coffee breaks. Additionally, once every three months, we meet up for a themed virtual party. Our next party is Thursday and of course the theme is Christmas. It’s important to use technology not just in a transactional way. Have fun! It doesn’t need to be overly formal. Employees will look forward to these activities.

Results should be measured instead of hours spent behind a physical desk.

My employees don’t need to be in the office every day. My new employee asked to work from home, then started to feverishly explain. This is what I told her, "I don't need to know the details. I do not pay for seat warmers. Come to the office fine. 9 to 5? Fine. Work from home. Fine. Work from the garage while they fix your car? Fine. Everybody works at a different pace. You choose how to get your work done. Keep clients happy. I am happy."

The future lies in flexible work patterns. Allowing employees to work from anywhere using technology doesn’t have to slow down productivity. It's 2019 not 1919. Digital tools allow us to collaborate across time and space effectively.

The best ideas and advancements are a result of empowering your team. If you want performance at scale, select the right people, provide them with the tools and support, and give them the room to get the job done.


Thursday, 19 December 2019

"उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है, फर्क नही पड़ता

 ये मत समझ के तेरे काबिल नहीं हैं हम,
तड़प रहें हैं वो जिन्हें हासिल नहीं हैं हम

“जिस सादगी ने मुझे कहीं का नहीं रखा
वो आज कह रही है कुछ तो गुनाह कर..

"उम्र में, ओहदे में,  कौन कितना बड़ा है,  फर्क नही पड़ता 
सजदे में, लहजे में,  कौन कितना झुकता है,  बहुत फर्क पड़ता है....."

 अगर ज़िन्दगी का साथी लाचार हो जाए
तो उसे छोड़ा नहीं, संभाला जाता हैं..

अधिक दूर देखने की चाहत में...     
बहुत कुछ पास से गुज़र जाता है....


रौशनी की दुहाई देते हैं 
अब चिराग़ों को बुझाने वाले

कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !

 कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !
और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है ...

अब डर घाव से नहीं
         लोगों के

 लगाव से लगता है,,।।

जिंदगी को खुला छोड़ दो जीने के लिए...…
अक्सर संभाल कर रखी हुई चीजें वक्त पर नहीं मिलती..

ये अलग बात है कि .... वो .... मुझे हासिल नहीं है .... !
मगर उसके सिवा कोई ... मेरे ...इश्क के काबिल नहीं है ....!

दुसरो को सुनाने के लिए अपनी आवाज ऊँची मत करो बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाओ कि आपको सुनने के लिए लोग इंतज़ार करे

मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, 
रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है..

Tuesday, 17 December 2019

न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में

न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में
वो एक लम्हा गुज़रते जिसे ज़माना लगे

यादों पर कहाँ किसका जोर है
पर तुझे सोचने का मजा ही और है

 डूबी हैं मेरी उंगलियां मेरे ही लहू में 
ये कांच के टुकड़ो पर भरोसे की सजा है.

आसान किस क़दर है समझ लो मिरा पता,

 आसान किस क़दर है समझ लो मिरा पता,
बस्ती के बाद पहला जो वीराना आएगा...

जिन्दगी इतनी भी मुश्किल नही जितनी हम समझ लेते हैं
बस चंद लोगो को नज़र अंदाज ही त़ो करना है

होती तो हैं ख़ताएँ, हर एक से मगर..।
कुछ जानते नहीं हैं, कुछ मानते नहीं..

रिश्ते चन्दन की तरह  रखने चाहिए,
चाहे टुकड़े हज़ार भी हो जाएं  पर सुगन्ध न जाए..

आपका मक़सद पुराना है मगर ख़ंजर नया 
मेरी मजबूरी है यह, लाऊं कहां से सर नया

Sunday, 15 December 2019

इनसे लड़ने की हिम्मत बढ़ाओ लोगों,

 इनसे लड़ने की हिम्मत बढ़ाओ लोगों,
हादसे टलते नहीं, हादसों पे रोने से!

"मौन" क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है...!
अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो...
यकीन मानो "वक्त" बेहतरीन जवाब देगा...

 जिसकी कामयाबी
 रोकी नही जा सकती

उसकी बदनामी
शुरू की जाती है..!

 बिछड़ते वक्त ऐसा भी हुआ है 
किसी की सिसकियाँ अच्छी लगीं है

 ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई..
- मुज़फ़्फ़र रज़्मी

 हमारी तो तासीर ही यूँ है तावीजों की तरह....
जिसके भी गले मिलते हैं उसकी बरकत हो जाती है....

कमजोर  लोग  केवल  इच्छा  करते हैं 
महान  लोगों  में  इच्छाशक्ति  होती है

"कमजोरियां मत खोज मुझमें मेरे दोस्त,
एक तू भी शामिल है मेरी कमजोरियों मे...!"

"उम्र के काग़ज़ पर

"उम्र के काग़ज़ पर
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,

हिसाब कौन चुकाएगा!"

 वो एक शख़्स अँधेरों में जिस ने छोड़ दिया 
वो अब भी रहता है आँखों में रौशनी की तरह

 यूँ हरारत से बर्फ की तरह पिघलती है तेरी याद...
बूँद बूँद आँखों से टपकती रही रात भर...

 पुराने लोग नया हौसला तो क्या देंगे
बुजुर्गों से मगर मिलते रहो दुआ देंगे

रात तो हो पर अंधेरा नहीं होना चाहिए

 रात तो हो पर अंधेरा नहीं होना चाहिए
तु बनकर चांदनी फैली रहें मेरे जीवन में

 ख़ुद मझधार में होकर भी, जो औरों का साहिल होता है
ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं, जो निभाने के क़ाबिल होता है..

बैठे हैं यूं ही बेकार से, वक्त के कतरे उठा रहे हैं
ना किसीको याद कर रहे हैं ना किसीको याद आ रहें हैं

सवाल ये नहीं रफ़्तार किसकी कितनी है

सवाल ये नहीं रफ़्तार किसकी कितनी है
सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है,

"आवाज" ऊँची होगी तो कुछ लोग सुनेगें,
किन्तु "बात" ऊँची होगी तो बहुत लोग सुनेगें.

कभी तो मैं हक़ से कह पाउँ कि....
 "तुम मेरे हो..!"

बेहद करीब है वो शख्स...आज भी मेरे इस दिल के...

 बेहद करीब है वो शख्स...आज भी मेरे इस दिल के...
जिसने खामोशियों का सहारा लेकर...दूरियों को अंजाम दिया..

ज़रा सी उदासी देखे, और वो क़ायनात पलट दे...
ऐसा भी एक यार होना चाहिये...

रात  थी  जब  तुम्हारा  शहर  आया
फिर भी खिड़की तो मैं ने खोल ही ली

उस गली ने ये सुन के सब्र किया...
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं..

अज़ीज़  इतना  ही  रक्खो  कि  जी  सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

हाल जैसा भी सही, साँस तो जारी है अभी, देख ज़िन्दा हैं तेरे इश्क़ में हारे हुए लोग...

"है इन्हीं धोखों से दिल की ज़िंदगी
जो हसीं धोखा हो, खाना चाहिए"

 उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं

परम सौभाग्यशाली वह हैं,जिनके पास..भोजन के साथ भूख है,
सेज के साथ नींद है, धन के साथ उदारता है,विशिष्टता के साथ शिष्टता है..

 सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है
बकि दुख व्यक्ति के धैर्य की..

बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं 'फ़राज'
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख़्याल कर-
अहमद फ़राज़

ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए मोहब्बत के बावजूद
महसूस  की  है  तेरी  ज़रूरत  कभी  कभी

पीपल के पत्तों जैसा मत बनो जो
वक्त आने पर सूख कर गिर जाते है ....

बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो
जो पिस कर भी दूसरों की जिंदगी में रँग भर देते हैं ।

रंजिश थोड़ी हो चलता है मगर,
ज़्यादा तल्ख़ी अच्छी नहीं लगती
मौसमों की बात और है,
रिश्तों में ज़्यादा सर्दी अच्छी नहीं लगती

हाल जैसा भी सही,  साँस तो जारी है अभी,
देख ज़िन्दा हैं तेरे इश्क़ में हारे हुए लोग...

Sunday, 8 December 2019

10 mistakes:

Everybody makes mistakes—that’s a given—but we don't always learn from them. Sometimes we make the same mistakes over and over again, fail to make any real progress, and can’t figure out why.

“Mistakes are always forgivable, if one has the courage to admit them.” – Bruce Lee

When we make mistakes, it can be hard to admit them because doing so feels like an attack on our self-worth. This tendency poses a huge problem because new research proves something that common sense has told us for a very long time—fully acknowledging and embracing errors is the only way to avoid repeating them.

Yet, many of us still struggle with this.

Researchers from the Clinical Psychophysiology Lab at Michigan State University found that people fall into one of two camps when it comes to mistakes: those who have a fixed mind-set (“Forget this; I’ll never be good at it”) and those who have a growth mind-set (“What a wake-up call! Let’s see what I did wrong so I won’t do it again”).

"By paying attention to mistakes, we invest more time and effort to correct them," says study author Jason Moser. "The result is that you make the mistake work for you."

Those with a growth mind-set land on their feet because they acknowledge their mistakes and use them to get better. Those with a fixed mind-set are bound to repeat their mistakes because they try their best to ignore them.

Smart, successful people are by no means immune to making mistakes; they simply have the tools in place to learn from their errors. In other words, they recognize the roots of their mix-ups quickly and never make the same mistake twice.

“When you repeat a mistake it is not a mistake anymore: it is a decision.” – Paulo Coelho

Some mistakes are so tempting that we all make them at one point or another. Here are 10 mistakes almost all of us make, but smart people only make once.

#1 - Believing in someone or something that’s too good to be true. 

Some people are so charismatic and so confident that it can be tempting to follow anything they say. They speak endlessly of how successful their businesses are, how well liked they are, who they know, and how many opportunities they can offer you. While it’s, of course, true that some people really are successful and really want to help you, smart people only need to be tricked once before they start to think twice about a deal that sounds too good to be true. The results of naivety and a lack of due diligence can be catastrophic. Smart people ask serious questions before getting involved because they realize that no one, themselves included, are as good as they look.

#2 - Doing the same thing over and over again and expecting a different result. 

Albert Einstein said that insanity is doing the same thing and expecting a different result. Despite his popularity and cutting insight, there are a lot of people who seem determined that two plus two will eventually equal five. Smart people, on the other hand, need only experience this frustration once. The fact is simple: if you keep the same approach, you’ll keep getting the same results, no matter how much you hope for the opposite. Smart people know that if they want a different result, they need to change their approach, even when it’s painful to do so.

#3 - Failing to delay gratification. 

We live in a world where books instantly appear on our e-readers, news travels far and wide, and just about anything can show up at our doorsteps in as little as a day. Smart people know that gratification doesn’t come quickly and hard work comes long before the reward. They also know how to use this as motivation through every step of the arduous process that amounts to success because they’ve felt the pain and disappointment that come with selling themselves short.

#4 - Operating without a budget.

You can’t experience financial freedom until you operate under the constraint of a budget. Sticking to a budget, personally and professionally, forces us to make thoughtful choices about what we want and need. Smart people only have to face that insurmountable pile of bills once before getting their act together, starting with a thorough reckoning as to where their money is going. They realize that once you understand how much you’re spending and what you’re spending it on, the right choices become clear. A morning latte is a lot less tempting when you’re aware of the cost: $1,000 on average per year. Having a budget isn’t only about making sure that you have enough to pay the bills; smart people know that making and sticking to a strict budget means never having to pass up an opportunity because they’ve blown their precious capital on discretionary expenditures. Budgets establish discipline, and discipline is the foundation of quality work.

#5 - Losing sight of the big picture. 

It’s so easy to become head-down busy, working so hard on what’s right in front of you that you lose sight of the big picture. But smart people learn how to keep this in check by weighing their daily priorities against a carefully calculated goal. It’s not that they don’t care about small-scale work, they just have the discipline and perspective to adjust their course as necessary. Life is all about the big picture, and when you lose sight of it, everything suffers.

#6 - Not doing your homework. 

Everybody’s taken a shortcut at some point, whether it was copying a friend’s biology assignment or strolling into an important meeting unprepared. Smart people realize that while they may occasionally get lucky, that approach will hold them back from achieving their full potential. They don’t take chances, and they understand that there’s no substitute for hard work and due diligence. They know that if they don’t do their homework, they’ll never learn anything—and that’s a surefire way to bring your career to a screeching halt.

#7 - Trying to be someone or something you’re not. 

It’s tempting to try to please people by being whom they want you to be, but no one likes a fake, and trying to be someone you’re not never ends well. Smart people figure that out the first time they get called out for being a phony, forget their lines, or drop out of character. Other people never seem to realize that everyone else can see right through their act. They don’t recognize the relationships they’ve damaged, the jobs they’ve lost, and the opportunities they’ve missed as a result of trying to be someone they’re not. Smart people, on the other hand, make that connection right away and realize that happiness and success demand authenticity.

#8 - Trying to please everyone.

Almost everyone makes this mistake at some point, but smart people realize quickly that it’s simply impossible to please everybody and trying to please everyone pleases no one. Smart people know that in order to be effective, you have to develop the courage to call the shots and to make the choices that you feel are right (not the choices that everyone will like).

#9 - Playing the victim. 

News reports and our social media feeds are filled with stories of people who seem to get ahead by playing the victim. Smart people may try it once, but they realize quickly that it’s a form of manipulation and that any benefits will come to a screeching halt as soon as people see that it’s a game. But there’s a more subtle aspect of this strategy that only truly smart people grasp: to play the victim, you have to give up your power, and you can’t put a price on that.

#10 - Trying to change someone. 

The only way that people change is through the desire and wherewithal to change themselves. Still, it’s tempting to try to change someone who doesn’t want to change, as if your sheer will and desire for them to improve will change them (as it has you). Some even actively choose people with problems, thinking that they can “fix” them. Smart people may make that mistake once, but then they realize that they’ll never be able to change anyone but themselves. Instead, they build their lives around genuine, positive people and work to avoid problematic people that bring them down.

Bringing It All Together

Emotionally intelligent people are successful because they never stop learning. They learn from their mistakes, they learn from their successes, and they’re always changing themselves for the better.

Do you operate from a growth mind-set or a fixed mind-set? Please share your thoughts in the comments section below, as I learn just as much from you as you do from me.

Wednesday, 4 December 2019

अहमियत उन्हीं की रखिये...

 अहमियत उन्हीं की रखिये...
जो अहम् ना रखते हो...!!

ख्वाहीशों ने ही भटकाए है ,जिंदगी के सब रास्तें ....
वरना रूह तो उतरी थी ज़मीन पर मंज़िल का पता लेकर ..!!”


मसला ये नहीं हम मसरूफ कितने है
मुद्दा ये कि तुम्हें मेरी ज़रुरत कितनी है

 इश्क़ गर चांद से हो जाए तो....
दूरियां मायने नही रखती...!!

 कह देना समुन्दर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे...

बंदगी  के मुझे आते  हैं , सलीके सारे.
उसको , फुर्सत ही नही मेरा ख़ुदा होने की......

 रस्ता भी कठिन धूप में शिद्दत भी बहुत थी
साए से मगर उस को मोहब्बत भी बहुत थी

राह तो बड़ी सीधी है...
मोड़ तो सारे मन के हैं...

कायदे से जिसे भूल न पाए हम

कायदे से जिसे भूल न पाए हम
बग़ैर हमारे वे जीना सीख गए.!!

विकल्प बहुत हैं बिखरने के लिए,
संकल्प एक ही पर्याप्त है सँवरने के लिए..

 गिरते हुए पत्तो ने समझाया
बोझ बन जाओगे
तो अपने भी गिरा देंगे...!!

 “जब ठोकरें खाकर भी ना गिरो तो समज़ना ..
की किसी की दुआओं ने थाम रखा है ...!!”

घमंड की बीमारी 'शराब' जैसी है साहब;

घमंड की बीमारी 'शराब' जैसी है साहब;
खुद को छोड़कर सबको पता चलता है कि 
इसको चढ़ गयी है..

 सच्चाई और अच्छाई की 
तलाश में चाहे पुरी दुनिया घूम लो…
अगर वह खुद में नहीं तो कहीं भी नहीं

सुनों द्रोपदी शस्त्र उठा लो..
अब गोविंद न आएंगे..


सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो कभी आँखें भी पढ़ो,

सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो कभी आँखें भी पढ़ो, 
कुछ सवाल बड़े खुद्दार हुआ करते हैं

लफ्जों के वजन से थक जाती है जुबान कभी कभी...
पता नहीं खामोशी...मजबूरी है या समझदारी..

 सबको खुश रखने की चाह में,
अक्सर हम अपनी खुशियों को भी खो देते है...!!

जहां तक रास्ता ले जाए चले जा

 जहां तक रास्ता ले जाए चले जा 
तेरी मंजिल के तो दावेदार बहुत है

 रुतबा तो खामोशियों का होता है
अल्फ़ाज़ तो बदल जाते है लोग देखकर

रख लो आईने हज़ार , तसल्ली के लिए 
पर सच के लिए तो , आँखें ही मिलानी प़डेगी 

खुद से भी और खुदा से भी..
 ख़ामोशी में चाहे जितना बेगाना-पन हो 

लेकिन इक आहट जानी-पहचानी होती है
शब्दों" को दो ही लोग ढंग से पढ़ते और समझते हैं..

ज्ञान प्राप्त करने वाले,
और ग़लती निकालने वाले..

मेरे    आँसू    भी   है़रान   हुए   जाते   हैं
मैं रोने की ह़द तक जाकर लौट आता हूँ

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूं मैं

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूं मैं

कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा।

गुरु वही श्रेष्ठ होता है जिसकी प्रेरणा से किसी का चरित्र बदल जाये..
और
मित्र वही श्रेष्ठ होता है जिसकी संगत से रंगत बदल जाये..

बड़प्पन वह गुण है जो पद से नहीं
    
संस्कारों से प्राप्त होता है..

जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि
सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ
उसकी सोच हमसे अलग है
उस दिन जीवन से
दुःख समाप्त हो जायेंगे..

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना,

हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है

*जीवन में अगर 'खुश' रहना है तो,*
*स्वयं को एक 'शांत सरोवर' की तरह बनाए.....*
*जिसमें कोई 'अंगारा' भी फेंके तो..*
*खुद बख़ुद ठंडा हो जाए.....!!!!*

यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है,

किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ

Saturday, 23 November 2019

8 ways of smart people act stupid

It’s good to be smart. After all, intelligent people earn more money, accumulate more wealth, and even live longer. On the surface, being smart looks like easy living. But there’s another side to the story.

Intelligent people have a reputation for making dumb mistakes, especially in situations that require common sense. The simplicity of these situations and the abundant intelligence of those who tend to muck them up can be downright comical.

“Common sense is not so common.” -Voltaire

After decades of research, scientists are finally beginning to understand why this happens. Shane Frederick at Yale University was among the first to conduct research that explained why rational thinking and intelligence don’t tend to go hand in hand.

In his studies, Frederick gave people simple problems to solve, like this one:

A bat and ball cost a dollar and ten cents. The bat costs a dollar more than the ball. How much does the ball cost?

Frederick found that some people have the tendency to confidently blurt out the wrong answer, stating that the ball costs ten cents. You, of course, knew that the correct answer is that the ball costs five cents, and you’re completely justified if you’re wondering if the, well, less-than-smart people were the ones blurting out the wrong answer.

Psychologists from James Madison University and the University of Toronto wondered the same thing. They gave similar tests of logic to hundreds of people and compared the accuracy of their answers to their levels of intelligence. The researchers found that smart people were more likely to blurt out the wrong answer because they actually make more mental mistakes when problem-solving.

Smart people are more prone to silly mistakes because of blind spots in how they use logic. These blind spots exist because smart people tend to be overconfident in their reasoning abilities. That is, they’re so used to being right and having quick answers that they don’t even realize when they’re blowing it by answering without thinking things through.

The dummies getting the bat-and-ball question wrong weren’t so dumb, either. When Frederick gave the question to students from Harvard, Princeton, and M.I.T., more than half of them got it wrong. Even students from some of the most prestigious universities in the world make stupid mistakes.

Perhaps the scariest thing about the errors that highly intelligent people make is how unaware they are of them. People of all levels of intelligence succumb to what’s called the “bias blind spot.” That is, we’re great at spotting other people’s mistakes and terrible at recognizing our own. The sillier the mistake, the harder it is for an intelligent person to accept that they’ve made it.

“I know that I am intelligent, because I know that I know nothing.” -Socrates

While it might seem like we don’t spend our days solving logic problems like the bat-and-ball question, the brain functions involved in solving these problems are the same ones we use in everyday thinking. Hence, the tendency to do stupid things follows smart people into the workplace. Consider some of the most common ways in which smart people manage to shoot themselves in the foot.

Smart people are overconfident. A lifetime of praise and pats on the back leads smart people to develop an unflappable faith in their intelligence and abilities. When you rack up accomplishments while people stroke your ego, it’s easy to expect that things will always go your way. But this is a dangerous expectation. Smart people often fail to recognize when they need help, and when they do recognize it, they tend to believe that no one else is capable of providing it.

They push people too hard. Smart people develop overachieving personalities because things come so easily to them. They simply don’t understand how hard some people have to work to accomplish the same things, and because of that, they push people too hard. Smart people set the bar too high, and when people take too long or don’t get things quite right, they assume it’s due to a lack of effort. So they push even harder and miss the opportunity to help others achieve the goals they’re so anxious for them to reach.

They always need to be right. It’s hard for anyone to graciously accept the fact that they’re wrong. It’s even harder for smart people because they grow so used to being right all the time that it becomes a part of their identity. For smart people, being wrong can feel like a personal attack, and being right, a necessity.

They lack emotional intelligence. While intelligence (IQ) and emotional intelligence (EQ) don’t occur together in any meaningful way (Smart people, on average, have just as much EQ as everyone else), when a smart person lacks EQ, it’s painfully obvious. These high-IQ, low-EQ individuals see the world as a meritocracy. Achievements are all that matter, and people and emotions just get in the way. Which is a shame because TalentSmart research with more than a million people shows that—even among the upper echelons of IQ—the top performers are those with the highest EQs.

They give up when they fail. Have you ever watched a sporting event and seen the stunned look on the face of an athlete whom everyone expected to win, but didn’t? Smart people can easily fall into the trap of seeing failure as the end of the world because frequent success creates expectations that make failure hard to tolerate. People who have to work hard for what they achieve have plenty of practice learning how to deal with failure. They learn to embrace it because they know that failure is just a stepping stone to success.

They fail to develop grit. When things come really easy to you, it’s easy to see hard work as a negative (a sign that you don’t have what it takes). When smart people can’t complete something without a tremendous amount of effort, they tend to feel frustrated and embarrassed. This leads them to make the false assumption that if they can’t do something easily, there’s something wrong with them. As a result, smart people tend to move on to something else that affirms their sense of worth before they’ve put in the time to develop the grit they need to succeed at the highest possible level.

They multitask. Smart people think really quickly, which can make them impatient. They like to get several things going at once so that there isn’t any downtime. They think so quickly that, when they multitask, it feels like it’s working and they’re getting more done, but Stanford research shows that this isn’t the case. Not only does multitasking make you less productive, but people who multitask often because they think they’re good at it are actually worse at multitasking than people who prefer to do one thing at a time.

They have a hard time accepting feedback. Smart people tend to undervalue the opinions of others, which means they have trouble believing that anyone is qualified to give them useful feedback. Not only does this tendency hinder their growth and performance, it can lead to toxic relationships, both personally and professionally.

Bringing It All Together

To some, this post will read like I’m trashing smart people, but I’m not. Some of life’s greatest gifts, including high intelligence, can also come with challenges. If you aren’t willing to take an honest look at the whole picture, you’re selling yourself short. And that isn’t smart.

Please share your thoughts in the comments section below, as I learn just as much from you as you do from me.


Wednesday, 13 November 2019

कोई शिकवा नहीं है,उनसे हमें,

कोई शिकवा नहीं है,उनसे हमें, 
उन्हें हमसे ,बस यही शिकवा है !


मेरा दिल भी है बेअदब कितना,
उनके आने पर बैठ जाता है ...

कैसे न हो, इश्क़ उससे
जो मेरे ख़ामोश होते ही पूछे
नाराज़ हो मेरे से....

एक गफलत सी बनी रहने दो रिश्ते में, 
किसी को इतना भी ना जानो के ,
          जुदा हो जाए...

"फिर से महसूस हुई तेरी कमी शिद्दत से, 
आज फिर दिल को मनाने में हमे बड़ी देर लगी !!

Monday, 11 November 2019

Never go ahead, remain with the present

Never go ahead, remain with the present. Today is enough unto itself, and March is far away, millions of miles away. There is no need to be worried about it. Why waste these moments?

Live now, and when March comes you will be there, so whatsoever life demands at that moment, you respond. If you plan something from here, you are creating a problem for yourself in two ways.

Firstly, you are wasting this moment which could have been lived: by planning you are wasting it. Secondly, whatsoever you plan is never going to be exactly as you plan, never, because there are millions of causes that go on working to create the future. So it will never fit with your plans, and that is going to make you frustrated.

Man thinks that he proposes and God disposes. God is not there to dispose anybody's plans. The disposition is in the very proposition. In the very planning, you are creating a structure. The future is open, and it cannot follow anybody's structure.

You waste this moment, and then you will waste those moments of the future in being frustrated. And out of frustration you will plan even harder; you will think that because you weren't accurate in your planning you missed. Again you are missing the point.

Howsoever accurate the plan, it cannot be exactly that way because you are not alone here, mm? You can go out on the street and a drunken driver hits you -- and it was never in your plans. You go to Goa, and some germs enter you and give you hepatitis. It was not in your plan, but the germs were planning their life, and the drunken driver was going on his way.

Live this moment totally, and the next will come out of it. Live an unplanned life, because only then it is life....



सिर्फ अपना प्रयास कर

द्रौपदी के स्वयंवर में जाते समय श्री कृष्ण अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि हे पार्थ तराजू पर पैर संभलकर रखना, संतुलन बराबर रखना, लक्ष्य मछली की आंख पर ही केंद्रित हो इस बात का विशेष खयाल रखना।
अर्जुन- "हे प्रभु" सबकुछ अगर मुझे ही करना है तो फिर आप क्या करोगे ??
वासुदेव हंसते हुए बोले जो आप से नहीं होगा वह मैं करुंगा। पार्थ ने कहा
प्रभु ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर सकता ??
तब वासुदेव ने मुस्कुराते हुए कहा। जिस अस्थिर, विचलित, हिलते हुए पानी में तुम मछली का निशाना साधोगे। उस विचलित "पानी" को स्थिर "मैं" रखुंगा।
कहने का तात्पर्य यह है कि आप चाहे कितने ही निपुण क्यों ना हो, कितने ही बुद्धिवान क्यूँ ना हो, कितने ही महान एवं विवेकपूर्ण क्यों ना हो लेकिन आप स्वंय हर एक परिस्थिति के ऊपर पूर्ण नियंत्रण नहीं रख सकते।
आप सिर्फ अपना प्रयास कर सकते हो, लेकिन उसकी भी एक सीमा है और जो उस सीमा से आगे की बागडोर संभलता है उसी का नाम भगवान है।

Saturday, 9 November 2019

दर्द ही है

दर्द ही है ...जो 

जिन्दा रखे हुए है वरना ....

ख़ुशी के मारे.... लोग 

अक्सर मर जाया करते है....💗

Thursday, 7 November 2019

दुश्मन भी कायल होते हैं ...

फासलों से बेशक दूर हों 
मगर अच्छे किरदार
अच्छी सोच वाले लोग हमेशा साथ रहते हैं

वो जो समझे थे तमाशा होगा
मैने चुप रह के बाज़ी पलट दी!

बड़े बेचैन रहते हैं वो लोग ,
जिन्हें हर बात याद रहती है...!

नज़र की एहतियातें काम आईं
वो  मेरा देखना तक देखता था


मुझे समझना तुम्हारे बस की बात नही ...
सोच बुलंद करो या ..फिर मुझे सोचना छोड़ दो...


पानी दरिया में हो या आंखों में
गहराई और राज दोनों मे होते हैं...

थोड़ा इश्क़ हमें भी कर लेने दो साहेब,
सब नेक बन गए तो गुनाह कौन करेगा,

If god is making you wait, then be prepared to receive more than you asked for

Success is how high you bounce when you hit bottom..

दुनिया की सबसे अच्छी किताब...आप खुद ही हो...
अपने आप को समझ लीजिए...
सारी समस्याओं का समाधान हो जायेगा ।।


Stay low key 
Not everyone need to know everything about you

 एक ख़ूबसूरत लफ़्ज़
जिसे लोग ज़िन्दगी कहते हैं,

मैंने रखा है तुम्हें दिल में उसी नाम से,
तारीफ़ की चाहत तो 
नाकाम लोगों की फ़ितरत है

काबिल लोगों के तो 
दुश्मन भी कायल होते हैं ...

Wednesday, 6 November 2019

गलत लोग सभी के जीवन में आते हैं



गलत लोग सभी के जीवन में आते हैं 
लेकिन सीख हमेशा सही देकर जाते है..

नजा़कत तो देखिये, कि सूखे पत्ते ने डाली से कहा...
चुपके से अलग करना वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा..


अपना वही है, जो खामोशी को पढ़ सके...!!
वरना अंदाज़े तो बेगाने भी लगा लेते है...!!

हम ख़ामोश तब होते हैं...


चश्म ए नम की धारों से वज़ू कर के..... 
मैं ने एक शख़्स को पढ़ा है आयत की तरह .....!!

ख़ामोशी मेरा मिज़ाज भी तो हो सकता है
तुम ने     क्यूं समझ लिया मेरा ग़ुरूर इसे


हम ख़ामोश तब होते हैं...
जब हमारे अंदर बहुत शोर होता है...

Thursday, 31 October 2019

Albert Einstein's Wife:

(1) Albert Einstein's wife often suggested that he dress more professionally when he headed off to work. "Why should I?" he would invariably argue. "Everyone knows me there." 

(2) When the time came for Einstein to attend his first major conference, she begged him to dress up a bit. "Why should I?" said Einstein. "No one knows me there!"

(3)Albert Einstein was often asked to explain the general theory of relativity. "Put your hand on a hot stove for a minute, and it seems like an hour," he once declared. "Sit with a pretty girl for an hour, and it seems like a minute. That's relativity!"

(4)When Albert Einstein was working in Princeton university, one day he was going back home he forgot his home address. The driver of the cab did not recognize him. Einstein asked the driver if he knows Einstein's home. The driver said "Who does not know Einstein's address? Everyone in Princeton knows.Do you want to meet him?. Einstein replied "I am Einstein. I forgot my home address, can you take me there? "The driver reached him to his home and did not even collect his fare from him.

(5)Einstein was once traveling from Princeton on a train when the conductor came down the aisle, punching the tickets of every passenger. When he came to Einstein, Einstein reached in his vest pocket. He couldn't find his ticket, so he reached in his trouser pockets. It wasn't there, so he looked in his briefcase but couldn't find it. Then he looked in the seat beside him. He still couldn't find it.

The conductor said, 'Dr. Einstein, I know who you are. We all know who you are. I'm sure you bought a ticket. Don't worry about it.' Einstein nodded appreciatively. The conductor continued down the aisle punching tickets. As he was ready to move to the next car, he turned around and saw the great physicist down on his hands and knees looking under his seat for his ticket.

The conductor rushed back and said, 'Dr. Einstein, Dr. Einstein, don't worry, I know who you are. No problem. You don't need a ticket. I'm sure you bought one.' Einstein looked at him and said, 'Young man, I too, know who I am. What I don't know is where I'm going.'

6) When Einstein met Charlie Chaplin:

Einstein said, 
*"What I admire most about your art, is its universality. You do not say a word, and yet ... the world understands you."*

“It's true,” replied Charlie Chaplin, 
*"But your fame is even greater: The world admires you, when nobody understands you.".*

*_Nice & refreshing are good old memories_*

Monday, 28 October 2019

काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें

काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें 
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें 


Saturday, 26 October 2019

हमारी मुस्कुराहट पर न जाना

हमारी मुस्कुराहट पर न जाना
दिया तो क़ब्र पर भी जल रहा है
~ आनिस मुईन

Wednesday, 23 October 2019

पेंसिल के सौ गुनाह माफ़ थे...


पेंसिल के सौ गुनाह माफ़ थे...
पेन पर जिम्मेदारियाँ बहुत हैं...
न जाने कितनी मोहब्बत थी उसकी नफरत में
कई दुआओं से बेहतर थी बद्दुआ उसकी....!!
एक वो दौर भी आया सफर में..
जब मुझे अपनी पसंद से भी नफरत हुई ।
सीखे गए को भूल जाने पर जो कुछ बचा रहता है, वही शिक्षा है।

लफ्ज लफ्ज ही रहे.....जज्बात न कह सके !

रफ़ाक़त की रवायतों की मजबूरियाँ बढ़ जाएँगी
कुछ फ़ासले रखो क़ाएम वर्ना दूरियाँ बढ़ जाएँगी
लफ्ज लफ्ज ही रहे.....जज्बात न कह सके  !
It takes you the same amount of effort to be happy or miserable. And, only you have the power to make you happy or miserable.

कभी कभी समझ नही आता


उगते सूरज और दौड़ते हुए घोड़े
के चित्र लगाने से प्रगति नहीं होती है.
प्रगति के लिए सूर्योदय से लेकर
सूर्यास्त तक घोड़े की भांति दौड़ना पड़ता है..!!
काश! के जो इलाज़म लगे है
हमने वो गलती भी की होती ...
कभी कभी समझ नही आता
भरोसा टूट रहा है ...........या भ्रम !

मुझे खामोश रहना है...



जो लोग मन मे उतरते है उन्हें "संभालकर" रखिये
जो लोग मन से उतरते है  उनसे "संभलकर" रहिये.....
किसी की हिचकियों का
हिस्सा बनिये जनाब!
सिसकियों का नहीं
मुझे खामोश रहना है...
तुझे महसूस होने तक...

Monday, 21 October 2019

loved the lines


जो कह दिया वह शब्द थे,
जो नहीं कह सके वह अनुभूति थी
और
जो कहना है, फिर भी नहीं कह सकते वह मर्यादा है।।


पत्तों सी होती है कई  रिश्तोंं की उम्र!
आज हरे....
    कल सूखे....।।
क्यों न हम
   जड़ों से रिश्ते
      निभाना सीखें।।

रिश्तों को बनाये रखने के लिये,
  कभी अन्धा,
    कभी गूँगा
       और  कभी बहरा
          होना ही पड़ता है।

नसीहत
  नर्म लहजे में ही
     अच्छी लगती है क्योंकि,
   दस्तक का मकसद
      दरवाजा खुलवाना
          होता है,
             तोड़ना नहीं।।

घमण्ड
किसी का नहीं रहा,
टूटने से पहले तक
  गुल्ल्क को भी लगता है,
      सारे पैसे उसी के हैं।।

जिस बात पर
     कोई मुस्करा दे,
         बात बस वही
             खूबसूरत है।।

थमती नहीं
      जिन्दगी कभी
        किसी के बिना,
परन्तु
  ये गुजरती भी नहीं
      अपनों के बिना।।

Friday, 18 October 2019

जितना लिखा, उससे ज़्यादा मिटाया है हमने

ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने

लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई।

मुझे खामोश रहना है...
तुझे महसूस होने तक...

जितना लिखा, उससे ज़्यादा मिटाया है हमने           
इश्क़ नाकाम सही, शिद्दत से निभाया है हमने

Thursday, 17 October 2019

16 ways:

A few years ago, every part of my life was smashed into tiny little pieces and scattered all over the dirty floor of my cold, lifeless, dark, bedroom where the curtains never opened to let the sunshine in.

Everything was completely broken. I was broken. A failed business attempt, many broken romantic relationships, one failed passion after another, a toxic circle of friends, a bad drinking problem, a reckless disregard for money — whatever could go wrong, did go wrong. I let everything go wrong.
The process of getting out of rock bottom took every ounce of emotion, energy and knowledge I had. There was so much sweat, a huge amount of tears shed behind closed doors, and times where there felt like there was no hope.
Somehow, I managed to get out of this dark place. For that, I’m thankful.
I feel as though I’m very fortunate to have got through this period in my life and I’m hoping this article can help many more people who have endured something similar to what I have made it through.
Sometimes all it takes is an idea, a person or a quote to change your thinking.
Here are the 16 ways I rebuilt my life which you can use in your own life:
1. Disrupt the stability in your life
I found that my life during this time had become a series of habits that I’d repeat every day. The stability in my life was part of the reason I had gone to such a dark place. It was easy to keep doing what had got me there rather than try something new.
When I accepted that stability , in fact, be the problem, I opened my mind to the idea of disrupting every value, belief, and rule I had which was the first step in the process.

Stability and repeating the same habits that have got you to where you are, are often what is holding you back. A new version of your life starts with disrupting the current one.
2. Give a little piece of yourself to someone
Much of what had taken me to this dark place was the obsession I had for myself and my problems. Until I had the courage to give a little something to another person, I continued to stay trapped in my situation.
Selfishness is the root of so many of our problems.
If you can find it in your heart to give a piece of yourself away, you’ll be introduced to an idea that will begin to eat away at the burden of selfishness and show you an important step in rebuilding your life.
3. Don’t try to predict the future
When you crawl into a dark corner and find yourself in a basement called “rock bottom,” you find yourself spending your days trying to predict the future.
“Will this situation be the death of me?”
“Is this all there is?”
“Is this it? Is there how I am destined to spend the rest of my life?”
These questions all try to answer the question of what the future holds for you. It will get you absolutely nowhere — other than making you sink deeper into isolation, misery and further darkness.
Predicting the future is a helpless pursuit, whereas, what helped me, was to start doing something that might change my future. Change doesn’t come from predictions and relying on luck; it comes from making a few decisions and trying your best to take action.
Taking action and making decisions feel as though they are the only two things you can’t do when you’ve hit rock bottom.
They are the two hardest things you can do and they are also the two things you must do. The only way you can possibly do either when you are at rock bottom is to start small — and I mean microscopic when I say ‘small.’
Make one decision and one action that is so small, it seems completely useless.It is at that point where your life will start to get rebuilt.
4. Learn to feel something again
Rock bottom is when you have forgotten how to feel.

Picture this: You hear someone has lost their mother and you are in such a dark place that this news does nothing to you. You can’t shed a tear for the son or daughter who has lost their mother because you are completely numb. Nothing that happens phases you anymore and that’s dangerous.
What I’ve just described is what it can feel like to be numb to your emotions. Learning to feel again is about reconnecting with the idea that you are not the only one struggling.
If all you care about is yourself and your own problems, you’ll spend much more time in a dark place than you need to.
If you can’t feel something for someone who has lost their mother, what hope have you got of feeling something for the child that lives inside of you and is desperately crying out for help?
5. Develop thick skin
Being in a dark place can look like weakness to some people. It can be an opportunity for someone to kick you when you are down.
People may judge you because you let your life lead you to this very dark place. They may make comments about you or say nasty things. Know this: they are only acting this way because of their own misfortunes. The insults and criticism are more about them than you.
As humans, we do crazy stuff and treat people poorly without often knowing that is what we are doing. Developing thick skin is not about ignoring those people who criticize and insult you; it’s about being compassionate for why they are doing it.
Compassion goes a long way when you are trying to get out of a dark place. It brings people who have the potential to assist you, closer to your situation.
Compassion is what can make people want to help you for reasons they don’t even consciously know.
6. Look after yourself
Rock bottom can be a lonely place and if you are not careful, it can lead to mental illness and suicide.
That’s why it is completely acceptable to treat yourself well during these times. Spoil yourself with an ice cream, watch a movie you’ve been dying to see, play a video game you love for an hour, indulge in a sport you’ve been meaning to try.
Don’t be so hard on yourself. You are doing the best you can.
Even though today might be crappy, it doesn’t mean you don’t deserve to participate in things that you enjoy doing or treating yourself.
You can treat yourself through the good times and the bad times. In fact, in my experience, it is more important to treat yourself well during the dark times than it is during the good times.
7. Find a way to do something for someone else
No need to save the world with this one. The goal is to find some small thing you can do for someone else that you weren’t asked to do.
One thing I did when I hit rock bottom was give a few LinkedIn recommendations to people who I admired and respected. They didn’t ask for it, but I thought it was something small I had to give.
These silly, little recommendations sparked many conversations. These conversations were incredibly comforting when nothing else seemed to be helping my situation or making the future look bright again.
Ringing a few random people who I hadn’t spoken to in a while and telling them what I admired about them also seemed to help.
8. Spend your energy taking it day by day
Change doesn’t happen overnight. I know you want to hear one tip or one bit of advice that becomes a superhero moment where you breakthrough, but in my experience, these moments rarely happen outside of Hollywood movies.
The real transformation comes from aiming to make it through each day with one small win at a time.

Waking up could be a win; not crying for a day could be a win; feeling slightly better than yesterday could be a win; coming across one new idea could be a win; meeting a new person could be a win.
When you layer each of these small wins on top of each other, what seems like 0.00000000001% of progress, quickly becomes momentum that takes you from rock bottom to doing okay, to feeling good, to “I’m doing amazing, thanks for asking.”
9. Assess which people bring you a lot of unhappiness and take a break from them — perhaps even divorce them permanently
What you definitely don’t need when you are trying to rebuild your life is people who are holding you back or trying to make you stay the same.
During the dark period of my life, certain friends wanted to keep me down because they knew that I was more likely to be reckless or get drunk with them if I was. This may have made them feel good although it certainly wasn’t useful to a tired, lonely, worn out, unhappy man who was at the end of his tether.
It was hard to face up the reality that I had to divorce the friends that were holding me back and not letting me rebuild my life. It felt as though I was betraying them and when I’d see their names pop up on the small screen of my phone, I could see in my mind photos of us hanging out as kids and going to nightclubs together and feeling like we were on top of the world.
These images were hard to discard when I went through this process of divorcing them. As hard as it was, I knew I had to at least try a few months without them to see if it made a difference.
It turned out to have made a huge difference and became one of the few steps that I’d put off doing for way too long out of fear of disappointing peoplewho didn’t have my best interests in mind. The same might be true for you.
10. Wear your heart on your sleeve
It’s okay if you are going through dark times. Wearing your heart on your sleeve is about being open about what is happening.
If all you do is bottle up inside what is going on, it’s going to be much harder than it needs to be, to rebuild your life again.
Wearing your heart is about being vulnerable and giving yourself permission to ask people for help.

People will help you when things get rough and sometimes all you have to do is ask them. No one wants to see you live like this and if you can find a way to put aside your pride and your ego, and ask for help, you’ll be pleasantly surprised by just how kind other human beings can be. I had many people help me when I asked for help.
I even had people I’d never met before help me in secret because they saw a small part of themselves in what I was going through.
People want to help you. Don’t forget that.
11. Take people out for coffee
There doesn’t need to be an agenda. Coffee is one of those substances that bonds people.
We share stories over coffee; we find solutions to problems over coffee; we meet like-minded people over coffee, and we get out of our own head and get in touch with ideas that our own brain may not be able to come up with because it is exhausted from the struggle.
12. Walk around your neighborhood
Walking is a way for you to get a bit of exercise without feeling as though you need to run a marathon.
The simple truth I’ve realized is that when you are in a dark place, exercise can be difficult. Exercise becomes something that is very unimportant and taking care of yourself can become a low priority. Walking is a simple form of exercise that you can do no matter where you are in life.
Maybe you walk to the supermarket or to the post office to pick up a parcel or to the bank. There is always something you need to do that requires walking. Maybe you park your car far away from the shopping center when you do your weekly food shopping which forces you to walk for a bit.
Walking, during a dark period in my life, was like teleporting out of my own head and looking down at myself from high above the Earth.

It made me feel connected to something much bigger and more significant than my own problems.
13. Get a voice in your head that is not your own
Your own voice can drown out everything else when you have hit rock bottom. Having another persons voice in your ear — who disagrees with all the lies you are telling yourself — can be incredibly useful.
That voice for me was Tony Robbins. He called me a liar, a cheat and an asshole — and we’d never even met each other.
His audio tapes screamed at me and his voice was much louder, more passionate, crazy, radical and empowering than my own inner voice. He was impossible to ignore. The questions he posed in my ear were deafening and there was no way I could ignore them.
Without another voice like Tony’s, I’m not sure I would have ever woken up from the horrible nightmare that was my life at this time.
14. Embrace randomness
This is going to sound a bit odd. Another thing that helped me was watching walkthroughs on Youtube of Mario Games.
In Mario Games, your imagination is left to run wild and anything can happen.
There are all sorts of puzzles that need to be solved and that makes you think.
The randomness of watching someone play Mario, helped me to silence the inner critic for a few hours who was telling me there was no way out.
15. Find something to fall in love with
The gift of writing was something I fell in love with during the difficult times. It was a love for the written word that became yet another distraction.
Writing sentences on a blank computer screen helped me to link up several ideas that seemed pointless and useless in my head, but on my computer screen seemed to hold a different meaning.

You can fall in love with something that is not a hobby. You could decide to fall in love with your partner or children again — or deepen the love you have for them already. When you are in love with someone or something, you have another piece you can use to rebuild your life.
Really beautiful things happen from people and experiences that we would dare attach a strong word such as love to.
16. Forgive the people who have wronged you
The final way I rebuilt my life was finding a way to forgive someone who had done everything in their power to wrong me.
Whenever I felt alone or frustrated or low, I’d think of this person smiling at me and it would make me feel even worse.
I realized that one of the triggers for me to arrive at the last stop called rock bottom was my unwillingness to forgive someone who may have done the wrong thing by me.
One of the hardest things you can ever do is forgive someone who has unquestionably wronged you. If you can learn to forgive that person, you can do anything — including rebuild your life and getting away from rock bottom for good.
Final thought
The crux of this advice is to do something different. You can’t keep plodding along the way you are and expect to rebuild your life. The only reason I ever got off rock bottom was because I became obsessed with trying new ideas and seeing if there was another way.
You may not have the answers, but hopefully, if you try some of these tips, you might discover another alternative.
It may not be my exact advice that helps you, but it could be something you discover because of the process you begin as a result of you reading this advice — and seeing someone who is just like you, make it through to the other side and be able to look back and see the whole process as worthwhile.
Rock bottom looks really ugly when you are there. When you rise up from the circumstances that took you there in the first place and have the opportunity to look back, it really does look different.
You realize something absolutely crazy: you needed rock bottom to move forward and go on to whatever that new way of life is that brings you a sense of fulfillment and joy that you never had before.
All I ask is that when you rebuild your life, you see if there is a way you can help 1–2 people do the same thing. That is what really makes a difference.

Saturday, 12 October 2019

Beautiful letter

*Beautiful letter written by a father to his son and daughter *
Must send to your children
Following is a letter to his daughter from a renowned Hong Kong TV broadcaster and Child Psychologist.
The words are actually applicable to all of us, young or old, children or parents.!
This applies to all sons & daughters too.
All parents can use this in their teachings to their children.
Dear Children,
I am writing this to you because of 3 reasons
*A).* Life, fortune and mishaps are unpredictable, nobody knows how long he lives.
*B).* I am your father, and if I don't tell you these, no one else will.
*C).* Whatever written is my own personal bitter experiences that perhaps could save you a lot of unnecessary heartaches.
*Remember the following as you go through life*
*1.* Do not bear grudge towards those who are not good to you. No one has the responsibility of treating you well, except your mother and I.
To those who are good to you, you have to treasure it and be thankful, and *ALSO you have to be cautious,* because,
*everyone has a motive for every move.*
When a person is good to you, *it does not mean he really will be good to you.* You have to be careful,
*don't hastily regard him as a real friend.*
*2.* No one is indispensable, nothing is in the world that you must possess.
Once you understand this idea, *it would be easier for you to go through life when people around you don't want you anymore, or when you lose what you wanted the most.*
*3.* Life is short.
When you waste your life today, tomorrow you would find that life is leaving you.
*The earlier you treasure your life, the better you enjoy life.*
*4.Love is nothing but a transient feeling, and this feeling would fade with time and with one's mood. If your so called loved one leaves you,* be patient, time will wash away your aches and sadness.
*Don't over exaggerate the beauty and sweetness of love,* and don't over exaggerate the *sadness of falling out of love.*
*5.* A lot of successful people did not receive a good education, that does not mean that you can be successful by not studying hard! Whatever knowledge you gain is your weapon in life.
One can go from rags to riches, *but one has to start from some rags!*
*6.* I do not expect you to financially support me when I am old, neither  would I financially support your whole life. My responsibility as a supporter ends when you are grown up.
*After that, you decide whether  you want to travel in a public transport or in your limousine,* *whether rich or poor.*
*7. You honour your words,*but don't expect others to be so. You can be good to people,
*but don't expect people to be good to you.* If you don't understand this, you would end up with unnecessary troubles.
*8 if you want to be rich, you have to work hard! There is no free lunch!*
*9.* No matter how much time I have with you,
*let's treasure the time we have together. We do not know if we would meet again in our next life.*
                 *Your Parents*
Read it twice
*Ask your son and daughter to read it thrice.*
Worth a read☝☘☘☘

Tuesday, 8 October 2019

मुकम्मल कहाँ हुई ज़िंदगी किसी की,

 मुकम्मल कहाँ हुई ज़िंदगी किसी की,
आदमी कुछ खोता ही रहा कुछ पाने के लिए!!
ग़र फैसला वक़्त पर कर लेते....
तो "फ़ासलें" इस क़दर ना होते..............
नजर से दूर रखकर भी मुझ पर नजर रखते हो...
आखिर बात क्या है जो इतनी खबर रखते हो..!
तकिये पर अश्क़ देख कर सवाल सौ उठे...
हँसकर हमने कह दिया ख्वाबों के दाग हैं...
ऐक ही शख्स था जो समझता था मुझे,
फिर यूं हुआ के वह भी समझदार हो गया...!!!!
हौसलों का सबूत देना था
क्या करता ?
ठोकरें खा के मुस्कुराना पड़ा
परिवार और समाज
दोनों ही बर्बाद होने लगते हैं...
जब समझदार " मौन "
और
नासमझ " बोलने " लगते हैं...

पहचान की नुमाइश यारो जरा कम करो,


पहचान की नुमाइश यारो जरा कम करो,
जहाँ भी "मैं" लिखा है उसे "हम" करो..!
हमारे, 'होने' का सिलसिला भी..
तुम्हारे, "होने" से ही है...
तुम्हारी फ़िक्र करने के लिये,
हमारा कोई रिश्ता हो ये जरुरी तो नहीं !
ज़रूरी नहीं हमेशा बुरे कर्मों की वजह से ही, दर्द सहने को मिले....
कई बार हद से ज़्यादा अच्छें होने की क़ीमत चुकानि पड़ती है....

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से


कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है
बात सुकून की है, बात विश्वास की है,
बात आपके साथ की है...
वरना भीड़ में तो सभी साथ चलते ही है...!!
नहीं खोना है तुम्हें, इसीलिए...
पाने की कोई ज़िद भी नहीं..!!
हम संतुष्ट इसलिए नही हैं क्योंकि हम वो सब चाहते है..
जिसका प्रयास हमने किया ही नहीं
परिंदे शुक्रगुजार हैं पतझड़ के भी..
तिनके कहां से लाते, अगर सदा बहार रहती..

train your mind to be calm in every situation


आसान नही है , सुलझा हुआ होना
बहुत उलझना पड़ता है, सुलझने के लिये..
नाम कटने के बाद भी हमने...
उसके मकतब में हाज़िरी दी है...!!
train your mind to be calm in every situation
मैं आख़िर कहाँ तक उसका पीछा करती
बना ररखे थे छुपने के जिसने ठिकाने कितने
मेरा तरीका ज़रा मुख्तलिफ है सूरज से ,
जहाँ पे डूबा,मैं वहीँ से उभरने वाला हूँ ।।

कतार में खड़े है खरीदने वाले


Welcome those big, sticky, complicated problems. In them are your most powerful opportunities.
कतार  में  खड़े  है  खरीदने  वाले
शुक्र  है  मुस्कान  नहीं  बिकती
रिश्तों को हालत बदल देते हैं,
अब तेरा ज़िक्र हो तो हम बात बदल देते हैं!
जिन्हें  वाकई  बात  करना  आता  है
वो  लोग  अक्सर  खामोश  रहते  हैं
खामोशी का भी अपना ही एक मज़ा है ...
पेड़ों की जड़े कभी फड़फड़ाया नहीं करती ...!

क़दर किरदार की होती है....

क़दर किरदार की होती है....
वरना क़द में तो साया भी इंसान से बड़ा होता है....
अपनों से बस उतना रूठो की आपकी बात
और सामने वाले की इज़्ज़त बरकरार रहे

पानी मर्यादा तोड़े तो "विनाश"


पानी मर्यादा तोड़े तो "विनाश"     
वाणी मर्यादा तोड़े तो "सर्वनाश"
धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल
अभी तो पलकें झुकाई है
मुस्कुराना अभी बाकी है उनका
अगर सलीके से तोड़ता वो मुझे
मेरे टुकड़े भी उसके काम आते
ज़िन्दा रहना है तो हालात से डरना कैसा.!
जंग लाज़िम हो तो लश्कर नही देखे जाते...!!!
मनुष्य की बिडम्बना यह है कि झुठी तारीफ़ सुनकर..
बरबाद होना पसंद है आलोचना सुनकर सम्हलना नहीं..

“ हक़ीक़त को तलाश करना पड़ता है,


“ हक़ीक़त को तलाश करना पड़ता है,
अफ़वाहें तो घर बैठे आप तक पहुँच जाती है।”
प्रेम की केवल सुगंध होती है
व्याख्या ,विज्ञापन या स्पष्टीकरण नही
सँभल के चलने का सारा ग़ुरूर टूट गया
इक ऐसी बात कही उस ने लड़खड़ाते हुए
दौर हवाओं का ही रहता है कायम
आंधियां देर तक नहीं चला करती
मैं  बहुत  सीमित  हूँ  अपने  शब्दों  में
लेकिन  बहुत  विस्तृत  हूँ  अपने  अर्थों  में

Thursday, 26 September 2019

अब हर बात पर,जंग हो ये जरूरी तो नहीं

जब गिला शिकवा अपनों से हो,तो खामोशी अच्छी है
अब हर बात पर,जंग हो ये जरूरी तो नहीं

Wednesday, 25 September 2019

एक ही चेहरे की अहमियत

 एक ही चेहरे की अहमियत
हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है
उसी चेहरे पर कोई खफा
तो कोई फिदा सा क्यूँ है..!!
चेहरों का आना जाना चलता रहेगा, मगर...
मेरा तुम पे ठहर जाना, मुझे जायज़ लगता है....
काँच जैसा बनने के बाद पता चलता है कि....
उसको.......टूटना भी उसी की तरह पड़ता है !
“हर जगह इत्र ही ,महका नहीं करते ..
कभी कभी शख्सियत भी,खुशबू छोड़ जाती है।”
सारे क़ायनात की दिलकशी साथ होगी मेरे...
हम फिर भी तुम्हारी सादगी से हार जाएंगे....
लोग पीठ पीछे बड़बड़ा रहे है,
लगता है हम सही रास्ते जा रहे है।

एक धागे की बात रखने को...


एक धागे की बात रखने को....
मोम का रोम रोम जलता है...
“न होगा कुछ महज ,अंधेरों को कोसने से ...
अपने हिस्से का दिया खुद ही जलाना होगा।”
साथ देने की क्या बात करते हो
              "साहब"
हमने तो उनके साथ छोड़ने में भी
      "उनका साथ दिया...!!!

तमाम उम्र करते हैं लोग तमन्ना जिनकी ,

तमाम उम्र करते हैं लोग तमन्ना जिनकी ,,
पाकर उन्हें फिर खो देते हैं,कमाल करते हैं ..!!
संस्कार झुकना सिखाते हैं,,,
मगर....
किसी की अकड़ के सामने नही...!!
अपना दर्द
सबको ना बताएं साहब,
मरहम एक आधे घर में होता है,
नमक घर - घर में होता है..!!!

बहाना एक ही बहुत होता है...,

 चढ़ते सूरज के पूजारी तो लाखों हैं 'फ़राज़',
डूबते वक़्त हमने सूरज को भी तन्हा देखा...
जिन्दगी तो तब तक ही थी
जब तक साथ थे तुम
"अधूरे रह जाते हैं अहसास,,,
जब शब्द बहुत सोचकर लिखे जाते हैं.. "
लेन-देन में जल्दबाजी ना करें ,
भरोसा , रिश्ते , इंसानियत , प्रॉपर्टी , अभी और नीचे गिरेंगे ,
“बहाना एक ही बहुत होता है...,
निभाना हो...या जाना हो।

Friday, 20 September 2019

अहसास:

मसला तो सिर्फ एहसासों का है,जनाब ,
रिश्ते तो बिना मिले भी सदियां गुजार देते हैं।

उसके  हाथ  की  गिरफ्त  ढीली  पड़ी  तो
महसूस  हुआ  मुझे

शायद  ये  वही  जगह  है  जहाँ
रास्ते  बदलने  है  

जल्दी जागना हमेशा फायदेमंद होता है
चाहे वो नींद से हो या वहम से.....

Wednesday, 18 September 2019

तुम तो ज़िद्दी

तुम तो ज़िद्दी थे ना......फिर क्यों....????
मैंने कहा ''जाओ'' और तुम मान गए_______”

जब हक़ीक़त रूबरू हो उस घड़ी


जब हक़ीक़त रूबरू हो उस घड़ी
ख़्वाब की मौजूदगी अच्छी नहीं
उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया..?
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था..??
कुछ लोग हमेशा ख़ुश व संतुष्ट रहते हैं, इसलिए नहीं की उनके जीवन में सबकुछ ठीक होता है, बल्कि उनकी सोच हर हाल में सकारात्मक होती है..
 दुश्मन हमेशा दमदार लोगों के होते हैं ।
कमजोरों से तो लोग सहानुभूति रखते हैं..
मेरी  दुआओं  का  मुकम्मल  होना
और  तेरा  मुस्कुराना  एक  ही  बात  है
ग़म तो जनाब ...फ़ुरसत” का शौक़ है ,
ख़ुशी में ....वक़्त” ही कहाँ मिलता है ..
“मेरे आँसू भी है़रान हुए जाते हैं,
मैं रोने की ह़द तक जाकर लौट आता हूँ .”
मुझे अंजाम मालूम है कहानी का क्या होना है
मगर फिर भी मुझे आख़िर के पऩ्ने देखने हैं
हम ज़रूरी किताब हैं, लेकिन
सिर्फ़ दीमक ही पढ़ रही है हमें
डूब जाने को जो तक़दीर समझते हैं!
ऐसे लोग , तूझे कहाँ उभरने देंगे!!
लिखने वाले ने तमाम उम्र झोंक दी मुझ में
पढ़ने वालों ने मुझे सरसरी नज़र से पढ़ा
बातें...
जो कही नहीं जाती
वो कहीं नहीं जाती ।

जो तराशता है उसे ख़ूबी नजर आती है...
और जो तलाशता है उसे खामी नजर आती है.
जिंदगी में शोहरत मिले ना मिले,
इज्जत जरुर मिलनी चाहिये साहब !!

अक्सर खामोश रिश्ते,


अक्सर खामोश रिश्ते,
खामोश हो जाया करते हैं.....
इतने सस्ते‌ तो कभी नही थे हम...
वो तो तेरे लिए कुछ रियायत की थी...!!
बहुत खबर रखने लगे हो मेरी
इरादा ए रुसवा है क्या तुम्हारा ।

जाने क्यों
तुम्हारे बग़ैर..
हर वजह
बेवज़ह सी लगती है...!!!

जब सवालों के जवाब मिलने बंद हो जायें..


जब सवालों के जवाब मिलने बंद हो जायें..
तो समझ लो एक मोड़ लेना है रास्ते और रिश्ते दोनों में ...!
नाराज़गियों को कुछ देर चुप रह कर मिटा लिया करो,
ग़लतियों पर बात करने से रिश्ते उलझ जाते हैं.. ...!
सारी गवाहियाँ तो मेरे हक़ में आ गईं
लेकिन मेरा बयान ही मेरे ख़िलाफ़ था।

कभी तुम भी लिखा करों दो शब्द हमारे लिए..
हमें सिर्फ लिखना नहीं पढ़ना भी अच्छा लगता है!!

Tuesday, 17 September 2019

सिर्फ चलने की ख़ुशी

सिर्फ चलने की ख़ुशी, तोहफ़ा-ए-मंज़िल है अदम
रास्ते तो सभी दुश्वार हुआ करते है

Sunday, 15 September 2019

मस्त रहिये:

मत परेशान रहिये मस्त रहिये व्यस्त रहिये क्योंकि!

1.पैतालिस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं।

2. पचपन साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते)

3. साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं।(चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता नहीं है)

4. सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (घुटनों का दर्द और हड्डियों का गलना आपको बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं)

5. अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "होना" या "ना होना" एक जैसे ही होते हैं। ( अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है)

6. नब्बे साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है).

जीवन को सामान्य रुप में ही लें क्योंकि जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते फिरें। आगे चल कर एक दिन हम सब की यही स्थिति होनी है इसलिए चिंता छोड़ कर मस्त रहें स्वस्थ रहें। यही जीवन है और इसकी सच्चाई भी। लोग कहेंगे बहुत कुछ क्योंकि लोगों का काम ही है कहना पर उन्हें कहने दें। चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं "पर, बेचैनी से जीने के लिए चार मोटर, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!" मानता हूं कि इस आधुनिक दौर में रुपया, रूप, रुतबा बहुत कुछ है पर सबकुछ नही है यह जरूर याद रखें।

Thursday, 12 September 2019

सवालों के जबाब:

जब सवालों के जवाब मिलने बंद हो जायें..
तो समझ लो एक मोड़ लेना है रास्ते और रिश्ते दोनों में ...!

नाराज़गियों को कुछ देर चुप रह कर मिटा लिया करो,
ग़लतियों पर बात करने से रिश्ते उलझ जाते हैं.. ...!

सारी गवाहियाँ तो मेरे हक़ में आ गईं
लेकिन मेरा बयान ही मेरे ख़िलाफ़ था।

कभी तुम भी लिखा करों दो शब्द हमारे लिए..
हमें सिर्फ लिखना नहीं पढ़ना भी अच्छा लगता है!!

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...