अक्सर खामोश रिश्ते,
खामोश हो जाया करते हैं.....
खामोश हो जाया करते हैं.....
इतने सस्ते तो कभी नही थे हम...
वो तो तेरे लिए कुछ रियायत की थी...!!
बहुत खबर रखने लगे हो मेरी
इरादा ए रुसवा है क्या तुम्हारा ।
इरादा ए रुसवा है क्या तुम्हारा ।
जाने क्यों
तुम्हारे बग़ैर..
हर वजह
बेवज़ह सी लगती है...!!!
तुम्हारे बग़ैर..
हर वजह
बेवज़ह सी लगती है...!!!
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