Sunday, 15 December 2019

बेहद करीब है वो शख्स...आज भी मेरे इस दिल के...

 बेहद करीब है वो शख्स...आज भी मेरे इस दिल के...
जिसने खामोशियों का सहारा लेकर...दूरियों को अंजाम दिया..

ज़रा सी उदासी देखे, और वो क़ायनात पलट दे...
ऐसा भी एक यार होना चाहिये...

रात  थी  जब  तुम्हारा  शहर  आया
फिर भी खिड़की तो मैं ने खोल ही ली

उस गली ने ये सुन के सब्र किया...
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं..

अज़ीज़  इतना  ही  रक्खो  कि  जी  सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

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