कदर होती तो रुक जाते
मेरे दूर होने भर से
क्यों कहता है गम था
तुझे मेरे ना होने से ..!!
तुम्हारा नाम लिया था कभी मोहब्बत से..
मिठास उस की अभी तक मिरी ज़बान में है..!!
बेपनाह मोहब्बत का आखरी पड़ाव
बस एक खामोशी
ये फ़क़ीरों की महफ़िल है, चले आओ मियाँ
ये भले लोग हैं, औक़ात नहीं पूछा करते
संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते
संबंधों की खुशहाली झुकने और सहने से बढती हैं !!!
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