Thursday, 26 December 2019

कदर होती तो रुक जाते

 कदर होती  तो  रुक जाते 
मेरे  दूर होने  भर से 

क्यों  कहता है गम था 
तुझे मेरे  ना होने से ..!!

तुम्हारा नाम लिया था कभी मोहब्बत से..
मिठास उस की अभी तक मिरी ज़बान में है..!!

बेपनाह  मोहब्बत  का  आखरी  पड़ाव
           बस  एक  खामोशी

ये फ़क़ीरों की महफ़िल है, चले आओ मियाँ
ये भले लोग हैं, औक़ात नहीं पूछा करते

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते
 संबंधों की खुशहाली झुकने और सहने से बढती हैं !!!

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