Saturday 10 October 2020

Frog for Dinner:

A lady was once heating up a pot of water on a gas stove with the intent of cooking pasta for her family for dinner. A frog fell into the pot while it was sitting on the stove. While it wasn’t his intention to be stuck in a pot of water, he didn’t try to escape. He was comfortable enough as he was.

The lady soon turned on the flame to begin boiling the water. As the water’s temperature began to rise, the frog was able to adjust his body temperature accordingly, so he remained in the pot without trying to do anything to change the situation.

However, as the water approached its boiling point, the frog’s body temperature could no longer keep up. He finally tried to jump out of the pot, but with water temperature continuing to increase, he didn’t have it in him to make the leap.

It was too late for the frog to save himself.

The Moral:

Things don’t always go as planned in life, and they certainly don’t always go the way we want them to. But, no matter how bad a situation is, it’s critical to be proactive and face the problem head-on.

Unlike the frog, who waited until the last minute to try to do anything about the problem he was clearly facing, it’s important to project the future outcomes of the obstacles that hinder you and mediate them before they get past the point of no return. You have to avoid wasting time and take appropriate action before problems get out of hand or become too much to handle.



Saturday 3 October 2020

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए

[10/1, 11:07 AM] Bansi Lal: है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए

जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए
[10/1, 11:07 AM] Bansi Lal: बनाकर अपना ,राह बदलते रहे तुम ..

ऐसा भी कोई गुनाह था ,क्या ?
साथ चलना किसी के !
[10/1, 11:10 AM] Bansi Lal: किसी ने मुझसे पूछा कि-"ये शायरी क्या है..??"

हमने भी मुस्कुरा कर कहा-"जिंदगी के ‌तजुर्बों का सर्टिफिकेट ..!!"
[10/1, 11:10 AM] Bansi Lal: मेरे ज़हन से निकल ही नहीं सका वह शख्स..

नये महबूब से भी बातें पुरानी करनी पड़ी.... !!
[10/1, 11:11 AM] Bansi Lal: हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है - उपहास, विरोध और स्वीकृति!

- स्वामी विवेकानंद
[10/2, 9:09 AM] Bansi Lal: मर्ज़ ही लाइलाज है तो हमदर्द करेगा क्या?
हम भटकना ही चाहेंगे तो राहबर करेगा क्या?

माना आजतक झुका नहीं तू किसी के सामने,
पर सजदा भी खुदा का ना किया, तो इस सर का करेगा क्या?

आजकल वजह "बताकर" नहीं, वजह "बनाकर" छोड़ा जाता है......!!

[10/3, 7:38 AM] Bansi Lal: आजकल   वजह   "बताकर"   नहीं,

वजह   "बनाकर"   छोड़ा   जाता   है......!!
[10/3, 7:39 AM] Bansi Lal: जा बिछड़ जा, मगर ख्याल रहे...

यूँ ना हो, उम्र भर फिर मलाल रहे....!!
[10/3, 7:39 AM] Bansi Lal: तेरे शहर के कारीगर बङे अजीब हैं ए दिल,

काँच की मरम्मत करते हैं पत्थर के औजारों से...
[10/3, 7:40 AM] Bansi Lal: कौन पढ़ता है यूँ बेवजह शायरियों को,

लोग   इनमें   अपना   दर्द   ढूंढते   है...!!!!
[10/3, 7:43 AM] Bansi Lal: मान रखना सीखिए 
कभी रुक कर ..

कभी रोक कर ..!!

चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना

[9/28, 6:51 AM] Bansi Lal: चाहिए क्या तुम्हें तोहफ़े में बता दो वर्ना

हम तो बाज़ार के बाज़ार उठा लाएँगे
[9/28, 6:52 AM] Bansi Lal: हार हो जाती है जब मान लिया जाता है 

जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है
[9/28, 6:52 AM] Bansi Lal: प्रीत ना करियो पंछी जैसी जल सूखे उड़ जाए 

प्रीत करियो तो मछली जैसी जल सूखे मर जाए
[9/28, 6:53 AM] Bansi Lal: बेटियाँ बाप की आँखों में छुपे ख़्वाब को पहचानती हैं
 
और कोई दूसरा इस ख़्वाब को पढ़ ले तो बुरा मानती हैं
[9/28, 6:54 AM] Bansi Lal: रिश्ते कभी जिंदगी के
             साथ साथ
             नहीं चलते...!!
रिश्ते एक बार बनते है

             फिर जिंदगी
      रिश्तो के साथ साथ
        चलती है....!!!!
[9/28, 6:56 AM] Bansi Lal: कल तेरी तस्वीर मुकम्मल की मैं ने

फ़ौरन उस पर तितली आ कर बैठ गई

जो दफ़्न कर दिया वो ख़त्म भी हो,

[9/29, 7:27 AM] Bansi Lal: जो दफ़्न कर दिया वो ख़त्म
भी हो,

ये जरूरी तो नहींc.....!
[9/29, 7:28 AM] Bansi Lal: “तर्क किए बिना किसी भी बात को आंख मूंदकर मान लेना भी एक प्रकार की गुलामी है"

- भगत सिंह
[9/29, 7:29 AM] Bansi Lal: जिनकी   हंसी   खूबसूरत   होती   है, 

उनके  जख्म  काफी  गहरे  होते  है...!!!!
[9/29, 7:31 AM] Bansi Lal: तुझे उम्र भर मेरी कमी रहे..

दुआ है तुझे उम्र लंबी मिले..!!
[9/29, 4:00 PM] Bansi Lal: अपनी ज़िंदगी के सलीके को... कुछ यूं मोड़ दो...

जो तुम्हें नज़रअंदाज करें... उन्हें नजर आना छोड़ दो..!
[9/30, 8:36 AM] Bansi Lal: ज़िंदगी यूँही बहुत कम है मोहब्बत के लिए 

रूठ कर वक़्त गँवाने की ज़रूरत क्या है!
[9/30, 8:42 AM] Bansi Lal: हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं

उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में

न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही

[9/27, 5:47 AM] Bansi Lal: न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही

जिसे क़रीब से देखा वो दूसरा निकला
[9/27, 5:49 AM] Bansi Lal: •
किसी दूसरे को नीचा दिखाने के लिए नहीं, 

ख़ुद को ऊपर उठाने के लिए मेहनत करो।
[9/27, 5:50 AM] Bansi Lal: बनाना पड़ता था अक्सर बिगाड़ कर खुद को..

सो मैने रख ही दिया तोड़ ताड कर खुद को..!!
[9/27, 5:50 AM] Bansi Lal: किसी ने हँस कर बुलाया तो मरमिटे उस पर...

हमें किसी को परखने का फन नहीं आया!!!
[9/27, 5:51 AM] Bansi Lal: तुम चाहते हो तुमसे बिछड़कर भी खुश रहूँ..

यानि हवा भी चलती रहे और दीया जलें..!
[9/27, 5:52 AM] Bansi Lal: ... मनुष्य कितना भी बड़ा क्यों न बन जाए उसे हमेशा अपना अतीत याद करते रहना चाहिए!

- ईश्वरचंद्र विद्यासागर
[9/27, 5:53 AM] Bansi Lal: The less you know, 
the more you speak.

The more you know, 
the less you speak.
[9/27, 5:53 AM] Bansi Lal: मुझ पे लाज़िम है... मैं उसे देखूँ,

उसकी मरज़ी है वो जिधर देखे!!!
[9/27, 5:54 AM] Bansi Lal: सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी 

तुम आए तो इस रात की औक़ात बनेगी 
[9/27, 5:54 AM] Bansi Lal: रुठ  तो  एक  दिन  सांसे  भी  जाती  है

फिर  अपनों  से  क्या  शिकायत.
[9/27, 5:55 AM] Bansi Lal: कमियाँ  ढूंढोगे  तो  मिल  ही  जायेगी  जनाब

रब  दे  बन्दे  हैं ' रब  तो  नहीं
[9/27, 7:18 AM] Bansi Lal: ख़ामोशियाँ पढ़ लिया करते थे जो कभी !!!!!!!

आज वही शब्दों के मानी ढूँढते हैं..............
[9/27, 7:25 AM] Bansi Lal: बड़ा मुश्किल होता है जवाब देना
जब कोई खामोश रहकर सवाल कर लेता है …
[9/27, 7:47 AM] Bansi Lal: नाज़ुक लगते थे जो हसीन लोग,

वास्ता पड़ा तो पत्थर निकले..!!
[9/27, 10:56 AM] Bansi Lal: जिहाल-ए -मिस्कीन मकुन बा रंजिश,
बहाल-ए -हिजरा बेचारा दिल है
सुनाई देती है जिसकी धड़कन,
तुम्हारा दिल या हमारा दिल है।

{मुझ गरीब (मिस्कीन) को रंजिश से भरी इन निगाहों से ना देखो, क्योंकि मेरा बेचारा दिल जुदाई (हिजरा) के मारे यूँ ही बेहाल है।}

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...