Wednesday, 18 September 2019

जब हक़ीक़त रूबरू हो उस घड़ी


जब हक़ीक़त रूबरू हो उस घड़ी
ख़्वाब की मौजूदगी अच्छी नहीं
उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया..?
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था..??
कुछ लोग हमेशा ख़ुश व संतुष्ट रहते हैं, इसलिए नहीं की उनके जीवन में सबकुछ ठीक होता है, बल्कि उनकी सोच हर हाल में सकारात्मक होती है..
 दुश्मन हमेशा दमदार लोगों के होते हैं ।
कमजोरों से तो लोग सहानुभूति रखते हैं..
मेरी  दुआओं  का  मुकम्मल  होना
और  तेरा  मुस्कुराना  एक  ही  बात  है
ग़म तो जनाब ...फ़ुरसत” का शौक़ है ,
ख़ुशी में ....वक़्त” ही कहाँ मिलता है ..
“मेरे आँसू भी है़रान हुए जाते हैं,
मैं रोने की ह़द तक जाकर लौट आता हूँ .”
मुझे अंजाम मालूम है कहानी का क्या होना है
मगर फिर भी मुझे आख़िर के पऩ्ने देखने हैं
हम ज़रूरी किताब हैं, लेकिन
सिर्फ़ दीमक ही पढ़ रही है हमें
डूब जाने को जो तक़दीर समझते हैं!
ऐसे लोग , तूझे कहाँ उभरने देंगे!!
लिखने वाले ने तमाम उम्र झोंक दी मुझ में
पढ़ने वालों ने मुझे सरसरी नज़र से पढ़ा
बातें...
जो कही नहीं जाती
वो कहीं नहीं जाती ।

जो तराशता है उसे ख़ूबी नजर आती है...
और जो तलाशता है उसे खामी नजर आती है.
जिंदगी में शोहरत मिले ना मिले,
इज्जत जरुर मिलनी चाहिये साहब !!

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