Sunday, 15 December 2019

"उम्र के काग़ज़ पर

"उम्र के काग़ज़ पर
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,

हिसाब कौन चुकाएगा!"

 वो एक शख़्स अँधेरों में जिस ने छोड़ दिया 
वो अब भी रहता है आँखों में रौशनी की तरह

 यूँ हरारत से बर्फ की तरह पिघलती है तेरी याद...
बूँद बूँद आँखों से टपकती रही रात भर...

 पुराने लोग नया हौसला तो क्या देंगे
बुजुर्गों से मगर मिलते रहो दुआ देंगे

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