Wednesday, 6 November 2019

हम ख़ामोश तब होते हैं...


चश्म ए नम की धारों से वज़ू कर के..... 
मैं ने एक शख़्स को पढ़ा है आयत की तरह .....!!

ख़ामोशी मेरा मिज़ाज भी तो हो सकता है
तुम ने     क्यूं समझ लिया मेरा ग़ुरूर इसे


हम ख़ामोश तब होते हैं...
जब हमारे अंदर बहुत शोर होता है...

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