Wednesday 31 August 2016

हर ज़रा आइने में:

"खुशीयां बटोरते बटोरते उमर गुजर गई ,पर खुश ना हो सके,_
एक दिन एहसास हुआ ,खुश तो वो लोग थे जो खुशीयां बांट रहे थे.।

ज्यादा बोझ लेकर चलनें वाला अक्सर डुब ज़ाता है,
चाहे वो "सामान" का हो या "अभीमान" का हो !!

हर ज़र्रा आईने में
ख़ुद को सूरज लगता है

जीस हाथ में हम फुल दे आये थे,
सुना है,
उसी हाथ का पत्थर,
मेरी तलाश में है।

जिनके दुखों की हद नहीं होती,
उनके हौसलों की भी हद नहीं होती..!

काश तुम् ये समझ पाते:

काश तुम ये समझ पाते..
की इस कम्भख्त 'काश' से..
रोज़ कितना लड़ता हूँ मैं..

चलो कोई तो हरकत नई करो बिस्मिल
इश्क़ में नज़र मिलाना तो बात पुरानी हुई

" The more time you spend thinking about things that could make you happy, the less time you have to actually do the things you already know will make you happy."

थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ,
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ,

कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकती यादें,
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ!

कैसे कह दूँ कि थक गया हूँ मैं..
न जाने किस -किस का हौसला हूँ मैं...

आंखों में जल रही है जबसे तेरी शमा मेरे रूह की
गलियों में अंधेरा नहीं होता

If bee bites you twice:

" The more time you spend thinking about things that could make you happy, the less time you have to actually do the things you already know will make you happy."

" Prophets, mystics, poets, scientific discoverers are men whose lives are dominated by a vision; they are essentially solitary men . . . whose thoughts and emotions are not subject to the dominion of the herd."

If the bee bites you once, it’s the bee’s fault. if the bee bites you twice, it’s your fault.

By three methods we may learn wisdom: first, by reflection, which is noblest; second, by imitation, which is easiest; and third, by experience, which is the most bitter.

फूल बनकर क्या जिना एकदिन मुर्झा कर फेक दिये जाओगे,
जिना है तो पत्थर बनकर् जियो कभी तराशे गये तो खुदा केहलाओगे|

"True friendship is like sound health; the value of it is seldom known until it is lost." - Charles Caleb Colton

लोग तो आपकी एक गलती भी माफ़ नहीं करेंगे:

एक दिन स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा :
9×1=7
9×2=18
9×3=27
9×4=36
9×5=45
9×6=54
9×7=63
9×8=72
9×9=81
9×10=90

जब उन्होने पूरा लिख लिया , उन्होने विद्यार्थियों की तरफ देखा और पाया कि सभी विद्यार्थी उन पर हँस रहे हैं , क्योंकि प्रथम गुणांक गलत था !

फिर टीचर ने कहा कि,

"मैने पहला वाला जान बूझ कर गलत लिखा , क्योंकि मै चाहती थी कि *आप आज बहुत महत्वूर्ण बात सीखें.*

मैं चाहती थी कि आप जानें कि संसार में आप के साथ कैसा व्यवहार होगा . आपने देखा, कि मैने *नौ बार सही लिखा* ,पर किसी ने मुझे इसके लिये बधाई नही दी ; अपितु मेरी *एक गलती* पर आप सभी हँसे,और मेरा उपहास किया. *यही सीख है*...:

यह संसार आपकी हजार बार अच्छाई की तारीफ नही करेगा ,परन्तु आपके द्वरा की गयी गलती की आलोचना(उपहास)अवश्य करेगा ...

परन्तु इससे आपको हताश व निराश होने की आवश्यकता नही है , *सदैव उपहास व आलोचना से ऊपर उठें . मजबूत बनें* .
      
          

Tuesday 30 August 2016

घास और बांस:

👉 *घास और बाँस* 👈

ये कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक Busniss man था लेकिन उसका business डूब गया और वो पूरी तरह hopeless हो गया। अपनी life से बुरी तरह थक चुका था। अपनी life से frustrate चुका था।
एक दिन परेशान होकर वो जंगल में गया और जंगल में काफी देर अकेले बैठा रहा। कुछ सोचकर भगवान से बोला – मैं हार चुका हूँ, मुझे कोई एक वजह बताइये कि मैं क्यों ना हताश होऊं, मेरा सब कुछ खत्म हो चुका है। मैं क्यों ना frustrate होऊं?

भगवान का जवाब:
तुम जंगल में इस घास और बांस के पेड़ को देखो- जब मैंने घास और इस बांस के बीज को लगाया। मैंने इन दोनों की ही बहुत अच्छे से देखभाल की। इनको बराबर पानी दिया, बराबर Light दी।
घास बहुत जल्दी बड़ी होने लगी और इसने धरती को हरा भरा कर दिया लेकिन बांस का बीज बड़ा नहीं हुआ। लेकिन मैंने बांस के लिए अपनी हिम्मत नहीं हारी।
दूसरी साल, घास और घनी हो गयी उसपर झाड़ियाँ भी आने लगी लेकिन बांस के बीज में कोई growth नहीं हुई। लेकिन मैंने फिर भी बांस के बीज के लिए हिम्मत नहीं हारी।
तीसरी साल भी बांस के बीज में कोई वृद्धि नहीं हुई, लेकिन मित्र मैंने फिर भी हिम्मत नहीं हारी।
चौथे साल भी बांस के बीज में कोई growth नहीं हुई लेकिन मैं फिर भी लगा रहा।
पांच साल बाद, उस बांस के बीज से एक छोटा सा पौधा अंकुरित हुआ……….. घास की तुलना में ये बहुत छोटा था और कमजोर था लेकिन केवल 6 महीने बाद ये छोटा सा पौधा 100 फ़ीट लम्बा हो गया।
मैंने इस बांस की जड़ को grow करने के लिए पांच साल का समय लगाया। इन पांच सालों में इसकी जड़ इतनी मजबूत हो गयी कि 100 फिट से ऊँचे बांस को संभाल सके।
जब भी तुम्हें life में struggle करना पड़े तो समझिए कि आपकी जड़ मजबूत हो रही है। आपका संघर्ष आपको मजबूत बना रहा है जिससे कि आप आने वाले कल को सबसे बेहतरीन बना सको।
मैंने बांस पर हार नहीं मानी,
मैंने तुम पर भी हार नहीं मानूंगा,
किसी दूसरे से अपनी तुलना मत करो
घास और बांस दोनों के बड़े होने का time अलग अलग है दोनों का उद्देश्य अलग अलग है।
तुम्हारा भी समय आएगा। तुम भी एक दिन बांस के पेड़ की तरह आसमान छुओगे। मैंने हिम्मत नहीं हारी, तुम भी मत हारो !

अपनी life में struggle से मत घबराओ...

Sunday 28 August 2016

मुझ से हर बार नज़र चुरा लेता है:

मुझ से हर बार वो नजरें चुरा लेता है फ़राज़ ...
मैंने कागज पर भी बना के देखीं है आँखें उसकी !!!!

धडकनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल
अभी तो पलकें झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है

तेरे आने की क्या उमीद मगर
कैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं

"इल्ज़ाम तो हर हाल में
काँटों पे ही लगेगा,
ये सोचकर अक्सर फूल भी
चुपचाप ज़ख्म दे जातें हैं !!"

हाथों में पत्थर नही फिर भी चोट देती है...
ये ज़बान भी कमाल है ...
अच्छे अच्छो के घरौंदे तोड़ देती है

सुन कर तमाम रात मेरी दास्तान ए ग़म,
बोले तो सिर्फ ये के तुम बोलते बहुत हो

गुरुर उनको भी है:

ग़ुरूर उनको भी है ग़ुरूर हमको भी,
बस इसी जंग को जीतने में हम दोनों हार गये...

कुछ कटी हिम्मत-ए-सवाल में उम्र
कुछ उमीद-ए-जवाब में गुज़री

मेरी राह में तू काँटे बिछा दे, मुझे परवाह नहीं!
बस, तेरे हाथ महफ़ूज़ रहें,इसका खयाल रखना!!

अपने मन में डूब कर पा जा सुराग-ऐ-जिंदगी,
तू अगर मेरा नहीं बनता, न बन, अपना तो बन!!!

दिल-ए-मोहब्ब़त में आखिर यही अंजाम़ होता है
गैरो से नहीं लेकीन अपनो से ज्यादा दर्द होता है

उसने कल रात बहुत बातें की,
मेरी एक बात टालने के लिए.....

Sometime a blank paper tells u whole story;Some time even a book lacks the meanings.
It is true that words are important;But !! “Silence increase worth of some words”.

मंज़र भी हादसों का अजीब था:

" No horse gets anywhere until he is harnessed. No stream or gas drives anything until it is confined. No Niagara is ever turned into light and power until it is tunneled. No life ever grows great until it is focused, dedicated, disciplined."

Don’t be afraid to ask dumb questions. They’re easier to handle than dumb mistakes.

"The biggest challenge for all of us, not just politicians or bureaucrats, is that we, Indians, have the highest ego per unit of achievement. I would humbly request, we be open-minded to those who have performed better than us," Narayana Murthy

The first hurdle that you come across is that they (bureaucrats) say we know this. The toughest hurdle is if they say we are already doing this. There isn't much to do then. : Nilekani's

अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती!

मंज़र ही हादिसे का अजीबो ग़रीब था वो आग से जला जो नदी के क़रीब था । जफर कलीम

जरूरी तो नहीं जो शायरी करे उसे इश्क हो ही,
ज़िन्दगी भी कुछ झख्म बेमिसाल दिया करती है

The height of candle may differ,
but they yield the same brightness.
Its not the matter of ur position,
but its ur ability that actually shines.

न जाने कितने ख़ुदाओं के दरमियाँ हूँ लेकिन
अभी मैं अपने ही हाल में हूँ ख़ुदा नहीं हूँ

Thursday 25 August 2016

मुस्कान:

बड़ी पसंद थी उनको हमारी मुस्कान,
वो जब गए... तो साथ ही ले गए...

मैखाने मे आऊंगा मगर पिऊंगा नही साकी;
ये शराब मेरा गम मिटाने की औकात नही रखती।

दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में एक है,
"समझदारों को समझाना"

":GOOD Relationship Is Like Tajmahal…Everybody Will Wonder How Beautiful !!! It Is.
But Nobody Can Understand How Difficult It Was To Build"…

"Do’nt misunderstand the person who shows “ANGER” on you,
Because…Anger is the most easiest & Childish way to express  ”

Wednesday 24 August 2016

ज़रूरी तो नहीँ:

जरूरी तो नहीं जो शायरी करे उसे इश्क हो ही,
ज़िन्दगी भी कुछ झख्म बेमिसाल दिया करती है

तकदीरें बदल जाती हैं, जब ज़िन्दगी का कोई मकसद हो;
वर्ना ज़िन्दगी कट ही जाती है 'तकदीर' को इल्ज़ाम देते देते!

मांगेंगे अब दुआ के उसे भूल जाएँ हम-
लेकिन जो वो बवक़्त-ऐ-दुआ याद आ गया |||

The height of candle may differ,but they yield the same brightness.

Its not the matter of ur position,but its ur ability that actually shines.

"Love is when you don’t want to go to sleep, because reality is better than a dream."
!!Dream what you want to dream;go where you want to go;
be what you want to be,because you have only one life
and one chance to do all the things you want to do.!!!

Sunday 21 August 2016

संग~ए~मरमर:

संग~ए~मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को, बाक़ी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना दिया…
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे, जब बरसी ख़ुशियाँ न जाने भीड़ कहां से आई...

एक छोटी सी कहानी:


◆~एक बार एक लड़का अपने स्कूल की फीस भरने के लिए एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे तक कुछ सामान बेचा करता था,
◆~एक दिन उसका कोई सामान नहीं बिका और उसे बड़े जोर से भूख भी लग रही थी.
◆~उसने तय किया कि अब वह जिस भी दरवाजे पर जायेगा, उससे खाना मांग लेगा.
दरवाजा खटखटाते ही एक लड़की ने दरवाजा खोला,
◆~जिसे देखकर वह घबरा गया और बजाय खाने के उसने पीने के लिए एक गिलास पानी माँगा.
◆~लड़की ने भांप लिया था कि वह भूखा है, इसलिए वह एक बड़ा गिलास दूध का ले आई. लड़के ने धीरे-धीरे दूध पी लिया.
"कितने पैसे दूं?" लड़के ने पूछा."
पैसे किस बात के?" लड़की ने जवाव में कहा. "माँ ने मुझे सिखाया है कि जब भी किसी पर दया करो तो उसके पैसे नहीं लेने चाहिए.""
◆~तो फिर मैं आपको दिल से धन्यबाद देता हूँ. "
◆~जैसे ही उस लड़के ने वह घर छोड़ा, उसे न केवल शारीरिक तौर पर शक्ति मिल चुकी थी , बल्कि उसका भगवान् और आदमी पर भरोसा और भी बढ़ गया था.
◆~सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी.
लोकल डॉक्टर ने उसे शहर के बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया.
◆~विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी.
◆~वह एकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..
◆~उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी.
डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया.
◆~उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया. लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी,
◆~उसे मालूम था कि बीमारी से तो वह बच गयी है लेकिन बिल की रकम जरूर उसकी जान ले लेगी.
◆~फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी,
◆~जहाँ लिखा था, "एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुका है." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.
◆~ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालों पर आंसू टपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा, "हे भगवान! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ-कहाँ फैल
चुका है....
◆~अगर पसंद आये तो अपने दोस्तो को शेयर करना..
लाईक करना न भूलें

Saturday 20 August 2016

ये किसने आके शहर का:

ये किस ने आ के शहर का नक़्शा बदल दिया,
देखा है जिस किसी को वो बे-घर लगा मुझे...

वही है ज़िंदगी लेकिन ‘जिगर’ ये हाल है अपना,
कि जैसे ज़िंदगी से ज़िंदगी कम होती जाती है

माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़,
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना

पहले खुशबु के मिज़ाजों को समझ लो !!
फिर गुलिस्तां मे किसी गुल से मोहबत करना !!

फिर अधूरी रह गई दास्ताँ एक खुबसूरत मोहब्बत की,
किसीने मंजिल बदल ली तो किसीने रास्ता !!........

कई जीत वाकी है:

Quitting is the easiest way out of any problem but unluckily it doesn't settle the problem. So, to settle a problem first - before quitting! so that someone else doesn't have to pick up the pieces.

कई जीत बाकी हैं
कई हार बाकी हैं
अभी तो जिंदगी का सार बाकी है

यंहा से चले हैं नयी मज़िल के लिए
ये एक पन्ना था ...!
अभी तो किताब बाकी है

मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों
के हिस्से में ही आती हैं .!!!!

क्यूंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन
तरीके से अंजाम देने की ताकत
रखते हैं !!

" What we see when watching others depends on the purity of the window through which we look."

दोस्त होता नही हर हाथ मिलाने वाला:

तुम तक़ल्लुफ को भी इखलास समझते हो फ़राज़,
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला

क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है
मिलन के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते हैं

ये कलम भी बहुत दिलजली है।
जब जब भी मुझे दर्द हुआ है ये खूब चली है।..

भेज दी तस्वीर अपनी उन को ये लिख कर
आप की मर्ज़ी है चाहे जिस नज़र से देखिए

हवा ही ऐसी चली है हर एक सोचता है
तमाम शहर जले एक मेरा घर न जले

ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई न दे
कि अपने सिवा कुछ दिखाई न दे

न इतना हंसो कि उस शोर में
सदा सिसकियों की सुनाई न दे

ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखाई न दे

ख़तावार समझेगी दुनिया तुझे
तू इतनी ज़ियादा सफ़ाई न दे

हमें छूने की औकात नहीं:

"Treat everyone with politeness, even those who are rude to you-not because they are nice, but because you are"

How could the drops of water know themselves to be a river? Yet the river flows on. ~Antoine de Saint-Exupery

" No horse gets anywhere until he is harnessed. No stream or gas drives anything until it is confined. No Niagara is ever turned into light and power until it is tunneled. No life ever grows great until it is focused, dedicated, disciplined."

Don’t be afraid to ask dumb questions. They’re easier to handle than dumb mistakes.

"The biggest challenge for all of us, not just politicians or bureaucrats, is that we, Indians, have the highest ego per unit of achievement. I would humbly request, we be open-minded to those who have performed better than us," Narayana Murthy

The first hurdle that you come across is that they (bureaucrats) say we know this. The toughest hurdle is if they say we are already doing this. There isn't much to do then. : Nilekani's

अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती!

Buy things they don't need:

“Too many people buy things they don’t even need,
with money they don’t even have,
to impress people they don’t even like.”

“First they ignore you, then they laugh at you, then they fight you, then you win”
:Mahatma Gandhi

“All truth passes through three stages. First, it is ridiculed. Second, it is violently opposed. Third, it is accepted as being self-evident.”

न मेरा एक होगा न तेरा लाख होगा
न तारिफ तेरी होगी न मजाक मेरा होगा
गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का
मेरा भी खाक होगा तेरा भी खाक होगा

The softest things in the world overcome the hardest things in the world. -Lao-Tzu

हर तरफ़ ज़ीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त
बस तेरी याद के साये हैं पनाहों की तरह

मैं अल्फ़ाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,

I like a state of continual becoming, with a goal in front and not behind. -George Bernard Shaw

Buy things they don't need:

“Too many people buy things they don’t even need,
with money they don’t even have,
to impress people they don’t even like.”

“First they ignore you, then they laugh at you, then they fight you, then you win”
:Mahatma Gandhi

“All truth passes through three stages. First, it is ridiculed. Second, it is violently opposed. Third, it is accepted as being self-evident.”

न मेरा एक होगा न तेरा लाख होगा
न तारिफ तेरी होगी न मजाक मेरा होगा
गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का
मेरा भी खाक होगा तेरा भी खाक होगा

The softest things in the world overcome the hardest things in the world. -Lao-Tzu

हर तरफ़ ज़ीस्त की राहों में कड़ी धूप है दोस्त
बस तेरी याद के साये हैं पनाहों की तरह

मैं अल्फ़ाज़ हूँ तेरी हर बात समझता हूँ,
मैं एहसास हूँ तेरे जज़्बात समझता हूँ,

I like a state of continual becoming, with a goal in front and not behind. -George Bernard Shaw

Tuesday 16 August 2016

Infosys co-founder Narayana Murthy: Indians have highest ego per unit of achievement

Infosys co-founder Narayana Murthy delivered the fourth annual Independence Day Lit Live lecture in Mumbai last week. The first question he was asked as he reached the venue was if he found the 90-minute long commute from the airport to the venue frustrating. Murthy brushed it off saying he's used to worse in Bengaluru, his home city.

It was a good point to start the conversation since his lecture's topic was city systems. Murthy quoted several numbers and international examples to highlight what's holding Indian cities back from being world class.

"The biggest challenge for all of us, not just politicians or bureaucrats, is that we, Indians, have the highest ego per unit of achievement. I would humbly request, we be open-minded to those who have performed better than us," he said.


He spoke of having worked with so many governments and realised that somehow things don't move fast. It's partly due to the know-it-all attitude. He shared thatNandan Nilekani (co-founder, Infosys and the force behind Aadhaar cards) too had a similar experience while working with the establishment in Delhi.

"Nandan was giving a lecture on his experience in designing and implementing Aadhaar sometime back. Somebody asked him how difficult was it to work in Delhi," Murthy said. Nilekani's response: The first hurdle that you come across is that they (bureaucrats) say we know this. The toughest hurdle is if they say we are already doing this. There isn't much to do then.


Murthy contrasted this attitude with his experience as an IT advisor to the Thai PM, more than a decade back. "They (Thai officials) would make a presentation and I would give suggestions. They would write those down. The next time I went there, they would show me how they've (the suggestions) been implemented," he said.


In comparison stands the Indian bureaucrat, who as per Murthy never writes anything. Probably because he already knows it.

Saturday 13 August 2016

Create your own line:

"Rejection is not a reflection of you but a reflection of what does not belong to you."

"God whispers to us in our pleasures, speaks in our conscience, but shouts in our pains; it is His megaphone to rouse a deaf world."

" Average people stay within the lines. Dare to be different; create your own lines."

Mornings postulate:

Your competitors can copy
Your work, Your style or
Your procedure
But
None can copy your PASSION.
If you hold if firmly the
world is yours..!!!
"Be Passionate"

Excellence is an art won by training and habituation. We do not act rightly because we have virtue or excellence, but we rather have those because we have acted rightly. We are what we repeatedly do. Excellence, then, is not an act but a habit.
~ Aristotle

The price of success is hard work, dedication to the job at hand, and the determination that whether we win or lose, we have applied the best of ourselves to the task at hand.
~ Vince Lombardi

You relax in an aeroplane though you do not know the pilot, and
You relax in a ship though you do not know the captain,
Why don't you relax in your life while you know that GOD is its controller!!

कबीर जी:

एक व्यक्ति कबीर के पास गया और बोला- मेरी शिक्षा तो समाप्त हो गई। अब मेरे मन में दो बातें आती हैं, एक यह कि विवाह करके गृहस्थ जीवन यापन करूँ या संन्यास धारण करूँ? इन दोनों में से मेरे लिए क्या अच्छा रहेगा यह बताइए?

कबीर ने कहा -दोनों ही बातें अच्छी है जो भी करना हो वह उच्चकोटि का करना चाहिए। उस व्यक्ति ने पूछा- उच्चकोटि का कैसे? कबीर ने कहा- किसी दिन प्रत्यक्ष देखकर बतायेंगे वह व्यक्ति रोज उत्तर की प्रतीक्षा में कबीर के पास आने लगा।

एक दिन कबीर दिन के बारह बजे कपड़ा बुन रहे थे। खुली जगह में प्रकाश काफी था फिर भी कबीर ने अपनी धर्म पत्नी को दीपक लाने का आदेश दिया। वह तुरन्त जलाकर लाई और उनके पास रख गई। दीपक जलता रहा वे कपड़ा बुनते रहे।

सायंकाल को उस व्यक्ति को लेकर कबीर एक पहाड़ी पर गए। जहाँ काफी ऊँचाई पर एक बहुत वृद्ध साधु कुटी बनाकर रहते थे। कबीर ने साधु को आवाज दी। महाराज आपसे कुछ जरूरी काम है कृपया नीचे आइए। बूढ़ा बीमार साधु मुश्किल से इतनी ऊँचाई से उतर कर नीचे आया। कबीर ने पूछा आपकी आयु कितनी है यह जानने के लिए नीचे बुलाया है। साधु ने कहा अस्सी बरस। यह कह कर वह फिर से ऊपर चढ़ा। बड़ी कठिनाई से कुटी में पहुँचा। कबीर ने फिर आवाज दी और नीचे बुलाया। साधु फिर आया। उससे पूछा- आप यहाँ पर कितने दिन से निवास करते है? उनने बताया चालीस वर्ष से। फिर जब वह कुटी में पहुँचे तो तीसरी बार फिर उन्हें इसी प्रकार बुलाया और पूछा- आपके सब दाँत उखड़ गए या नहीं? उसने उत्तर दिया। आधे उखड़ गए। तीसरी बार उत्तर देकर वह ऊपर जाने लगा तब इतने चढ़ने उतरने से साधु की साँस फूलने लगी, पाँव काँपने लगे। वह बहुत अधिक थक गया था फिर भी उसे क्रोध तनिक भी न था।

अब कबीर अपने साथी समेत घर लौटे तो साथी ने अपने प्रश्न का उत्तर पूछा। उनने कहा तुम्हारे प्रश्न के उत्तर में यह दोनों घटनायें उपस्थित है। यदि गृहस्थ बनाना हो तो ऐसा बनाना चाहिये जैसे मैं पत्नी को मैंने अपने स्नेह और सद्व्यवहार से ऐसा आज्ञाकारी बनाया है कि उसे दिन में भी दीपक जलाने की मेरी आज्ञा अनुचित नहीं मालूम पड़ती और साधु बनना हो तो ऐसा बनना चाहिए कि कोई कितना ही परेशान करे क्रोध का नाम भी न आवे।

What is karma:

Once a king ordered his three ministers to take a bag and go to the forest and fill up the bag with fruits.
The first minister thought that since the king has ordered for collection of fruits, he must collect the best of the fruits in the bag.
The second minister thought that since the king is a very busy person, he may not look very thoroughly into the bag what has been collected and hence he collected whatever he could lay his hands. Thus his bag was filled up with a mixture of good and rotten fruits.
The third minister thought that the king would see only externally how big the bag is and hence he just filled up the bag with all dried leaves and dust.
All the three ministers came back to the court with their respective bags, having executed the order of collecting the fruits.
The King, without even seeing what their bags contained, just ordered that now the three ministers must be sent to separate jails for three months, where they will not be provided with any food and they were only allowed to carry the respective bags wherein they had collected the fruits.
The first minister could spend the three months in the jail by eating the very nice fruits he had collected.
The second one could survive for some time with the good fruits in the bag and later he developed diseases by eating the rotten fruits he had collected.
The Third minister had nothing to eat and hence could not survive.
Moral of the story:
From the above story we understand that we have to undergo the consequences of our own activities.
“You will be suffering your own reactions after your karmas, any single karma you perform, you have to suffer for it. Good and bad, everything, you have to have this reaction. No doubt about it.
,  it is said

“Amongst thousands of cows, the calf finds its own mother cow. Similarly the results of our past karma (deeds) when fully ripened, will find us without fail..

सुन्दर सिख:


*एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया ।वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा । उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं । फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं । जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से कहा कि वह एक बात उनसे पूछना चाहता है ?*
*पापा ने कहा- बेटा बोलो क्या पूछना चाहते हो ? बेटा बोला- पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं, आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं, और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ? इसका जो उत्तर पापा ने दिया- उन दो पंक्तियाँ में मानों उसने ज़िन्दगी का सार समझा दिया।*
*उत्तर था- ” बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं ।”*
इस लिये अगर जीवन में ऊँचाइयों को छुना हो तो, जोड़ने वाले बने तोड़ने वाले नहीं।

कबीर जी घर के क्लेश के बारे में:


संत  कबीर  रोज  सत्संग  किया  करते  थे।  दूर-दूर  से  लोग  उनकी  बात  सुनने  आते  थे। एक  दिन सत्संग  खत्म  होने  पर  भी  एक आदमी  बैठा  ही  रहा।कबीर  ने  इसका  कारण  पूछा  तो  वह  बोला,  ‘मुझे आपसे  कुछ  पूछना  है।

मैं  गृहस्थ  हूं, घर  में  सभी  लोगों  से  मेरा  झगड़ा  होता रहता  है । मैं  जानना  चाहता  हूं  कि  मेरे  यहां  गृह क्लेश  क्यों  होता  है  और  वह  कैसे  दूर  हो  सकता है?’

कबीर  थोड़ी  देर  चुप  रहे, फिर  उन्होंने  अपनी  पत्नी से  कहा,‘ लालटेन  जलाकर  लाओ’ ।  कबीर  की  पत्नी लालटेन  जलाकर  ले  आई। वह  आदमी  भौंचक देखता  रहा।  सोचने  लगा  इतनी  दोपहर  में  कबीर  ने लालटेन  क्यों  मंगाई ।

थोड़ी  देर  बाद  कबीर  बोले, ‘ कुछ  मीठा  दे जाना। ’इस  बार  उनकी  पत्नी  मीठे  के  बजाय  नमकीन  देकर  चली  गई। उस  आदमी  ने  सोचा  कि  यह  तो शायद  पागलों  का  घर  है। मीठा  के  बदले  नमकीन, दिन  में  लालटेन। वह  बोला,  ‘कबीर  जी  मैं  चलता हूं।’

कबीर  ने  पूछा, ‘ आपको  अपनी  समस्या  का समाधान  मिला  या  अभी  कुछ  संशय  बाकी  है? ’वह व्यक्ति  बोला,  ‘ मेरी  समझ  में  कुछ  नहीं  आया।

’कबीर  ने  कहा, ‘ जैसे  मैंने  लालटेन  मंगवाई  तो  मेरी घरवाली  कह  सकती  थी  कि  तुम  क्या  सठिया  गए हो। इतनी  दोपहर  में  लालटेन  की  क्या  जरूरत। लेकिन  नहीं,  उसने  सोचा  कि  जरूर  किसी  काम  के लिए  लालटेन  मंगवाई  होगी।

मीठा  मंगवाया  तो  नमकीन  देकर  चली  गई।  हो सकता  है  घर  में  कोई  मीठी  वस्तु  न  हो।  यह सोचकर  मैं  चुप  रहा। इसमें  तकरार   क्या ? आपसी विश्वास  बढ़ाने  और  तकरार  में  न  फंसने  से विषम  परिस्थिति  अपने  आप  दूर  हो  गई।’ उस  आदमी  को हैरानी  हुई । वह  समझ  गया  कि  कबीर  ने  यह  सब उसे  बताने  के  लिए  किया  था।

कबीर  ने  फिर  कहा,’  गृहस्थी  में  आपसी  विश्वास  से ही  तालमेल  बनता  है। आदमी  से  गलती  हो  तो औरत  संभाल  ले  और  औरत  से  कोई  त्रुटि  हो  जाए तो  पति  उसे  नजर  अंदाज  कर  दे। यही  गृहस्थी  का मूल  मंत्र  है .....

Friday 12 August 2016

छोटी छोटी बातों के पीछे मत पड़ो:


एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ...

उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ...

उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ... आवाज आई ...

फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी, समा गये , फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्या अब बरनी भर गई है, छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा

अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई, अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ...
फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्यों अब तो यह बरनी पूरी भर गई ना ? हाँ .. अब तो पूरी भर गई है .. सभी ने एक स्वर में कहा ..

सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर उसमें की चाय जार में डाली, चाय भी रेत के बीच स्थित थोडी सी जगह में सोख ली गई ...

प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना शुरु किया

🔹इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो।
🔹टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग अर्थात भगवान, परिवार, बच्चे, मित्र, स्वास्थ्य और शौक हैं।
🔹छोटे कंकर मतलब तुम्हारी नौकरी, कार, बडा़ मकान आदि हैं, और
🔹रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार सी बातें, मनमुटाव, झगडे़ है।

अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती, या कंकर भर दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते, रेत जरूर आ सकती थी ...
ठीक यही बात जीवन पर लागू होती है ...

यदि तुम छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे पास मुख्य बातों के लिये अधिक समय नहीं रहेगा ...

मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें तय करना है । अपने बच्चों के साथ खेलो, बगीचे में पानी डालो, सुबह पत्नी के साथ घूमने निकल जाओ, घर के बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको, मेडिकल चेक - अप करवाओ ... टेबल टेनिस गेंदों की फ़िक्र पहले करो, वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है ... बाकी सब तो रेत है ..
छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे ..

अचानक एक ने पूछा, सर लेकिन आपने यह नहीं बताया कि "चाय के दो कप" क्या हैं ?

प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले .. मैं सोच ही रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ... इसका उत्तर यह है कि, जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट लगे, लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिए।

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...