"है इन्हीं धोखों से दिल की ज़िंदगी
जो हसीं धोखा हो, खाना चाहिए"
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
परम सौभाग्यशाली वह हैं,जिनके पास..भोजन के साथ भूख है,
सेज के साथ नींद है, धन के साथ उदारता है,विशिष्टता के साथ शिष्टता है..
सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है
बकि दुख व्यक्ति के धैर्य की..
बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं 'फ़राज'
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख़्याल कर-
अहमद फ़राज़
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
पीपल के पत्तों जैसा मत बनो जो
वक्त आने पर सूख कर गिर जाते है ....
बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो
जो पिस कर भी दूसरों की जिंदगी में रँग भर देते हैं ।
रंजिश थोड़ी हो चलता है मगर,
ज़्यादा तल्ख़ी अच्छी नहीं लगती
मौसमों की बात और है,
रिश्तों में ज़्यादा सर्दी अच्छी नहीं लगती
हाल जैसा भी सही, साँस तो जारी है अभी,
देख ज़िन्दा हैं तेरे इश्क़ में हारे हुए लोग...
जो हसीं धोखा हो, खाना चाहिए"
उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं
परम सौभाग्यशाली वह हैं,जिनके पास..भोजन के साथ भूख है,
सेज के साथ नींद है, धन के साथ उदारता है,विशिष्टता के साथ शिष्टता है..
सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है
बकि दुख व्यक्ति के धैर्य की..
बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं 'फ़राज'
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख़्याल कर-
अहमद फ़राज़
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
पीपल के पत्तों जैसा मत बनो जो
वक्त आने पर सूख कर गिर जाते है ....
बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो
जो पिस कर भी दूसरों की जिंदगी में रँग भर देते हैं ।
रंजिश थोड़ी हो चलता है मगर,
ज़्यादा तल्ख़ी अच्छी नहीं लगती
मौसमों की बात और है,
रिश्तों में ज़्यादा सर्दी अच्छी नहीं लगती
हाल जैसा भी सही, साँस तो जारी है अभी,
देख ज़िन्दा हैं तेरे इश्क़ में हारे हुए लोग...
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