Tuesday 31 May 2016

सम्बन्ध और पानी बचा क्र रखिये:

'संबंध' और 'पानी' एक समान होते हैं,
ना कोई रंग, ना कोई रूप, ना कोई खुशबू, और ना ही कोई स्वाद,
पर, फिर भी, जीवन के अस्तित्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।।
'सम्बन्ध और पानी' दोनों बचाएं, अपने आने वाले कल के लिए

ठहरे हुए पानी सी थी ठहरी ये ज़िन्दगी,
पत्थर उछाल कर कोई हलचल सी कर गया |

"Your future is created by what you do today, not tomorrow" - Robert Kiyosaki

सुकरात आईने में:

हर सुबह घर से निकलने के पहले सुकरात आईने के सामने खड़े होकर खुद को कुछ देर तक तल्लीनता से निहारते थे.

एक दिन उनके एक शिष्य ने उन्हें ऐसा करते देखा. आईने में खुद की छवि को निहारते सुकरात को देख उसके चेहरे पर बरबस ही मुस्कान तैर गयी.

सुकरात उसकी ओर मुड़े, और बोले, “बेशक, तुम यही सोचकर मुस्कुरा रहे हो न कि यह कुरूप बूढ़ा आईने में खुद को इतनी बारीकी से क्यों देखता है!? और मैं ऐसा हर दिन ही करता हूँ.”

शिष्य यह सुनकर लज्जित हो गया और सर झुकाकर खड़ा रहा. इससे पहले कि वह माफी मांगता, सुकरात ने कहा, “आईने में हर दिन अपनी छवि देखने पर मैं अपनी कुरूपता के प्रति सजग हो जाता हूँ. इससे मुझे ऐसा जीवन जीने के लिए प्रेरणा मिलती है जिसमें मेरे सद्गुण इतने निखरें और दमकें कि उनके आगे मेरे मुखमंडल की कुरूपता फीकी पड़ जाए”.

शिष्य ने कहा, “तो क्या इसका अर्थ यह है कि सुन्दर व्यक्तियों को आईने में अपनी छवि नहीं देखनी चाहिए?”

“ऐसा नहीं है”, सुकरात ने कहा, “जब वे स्वयं को आईने में देखें तो यह अनुभव करें कि उनके विचार, वाणी, और कर्म उतने ही सुन्दर हों जितना उनका शरीर है. वे सचेत रहें कि उनके कर्मों की छाया उनके प्रीतिकर व्यक्तित्व पर नहीं पड़े”.

Monday 30 May 2016

पति-पत्नी:

एक युवती बगीचे में
बहुत गुस्से में बैठी थी , पास ही एक बुजुर्ग बैठे थे उन्होने उस परेशान युवती से पूछा क्या हुआ बेटी ? क्यूं इतना परेशान हो ?

🌹 युवती ने गुस्से में अपने पति की गल्तीयों के बारे में बताया

🌹 बुजुर्ग ने मंद मंद मुस्कराते हुए युवती से पूछा बेटी क्या तुम बता सकती हो तुम्हारे घर का नौकर कौन है ?

🌹 युवती ने हैरानी से पूछा क्या मतलब ?

🌹 बुजुर्ग ने कहा :- तुम्हारे घर की सारी जरूरतों का ध्यान रख कर उनको पूरा कौन करता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग ने पूछा :- तुम्हारे खाने पीने की और पहनने ओढ़ने की जरूरतों को कौन पूरा करता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग :- तुम्हें और बच्चों को किसी बात की कमी ना हो और तुम सबका भविष्य सुरक्षित रहे इसके लिए हमेशा चिंतित कौन रहता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग ने फिर पूछा :- सुबह से शाम तक कुछ रुपयों के लिए बाहर वालों की और अपने अधिकारियों की खरी खोटी हमेशा कौन सुनता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग :- परेशानी ऒर गम में कॊन साथ देता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग :- तुम लोगोँ के अच्छे जीवन और रहन सहन के लिए दूरदराज जाकर, सारे सगे संबंधियों को यहां तक अपने माँ बाप को भी छोड़कर जंगलों में भी नौकरी करने को कौन तैयार होता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग :- घर के गैस बिजली पानी, मकान, मरम्मत एवं रखरखाव, सुख सुविधाओं, दवाईयों, किराना, मनोरंजन भविष्य के लिए बचत, बैंक, बीमा, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, पास पड़ोस, ऑफिस और ऐसी ही ना जाने कितनी सारी जिम्मेदारियों को एक साथ लेकर कौन चलता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग :- बीमारी में तुम्हारा ध्यान ऒर सेवा कॊन करता है ?

🌹 युवती :- मेरे पति

🌹 बुजुर्ग बोले :- एक बात ऒर बताओ तुम्हारे पति इतना काम ऒर सबका ध्यान रखते है क्या कभी उसने तुमसे इस बात के पैसे लिए ?

🌹 युवती :- कभी नहीं

🌹 इस बात पर बुजुर्ग बोले कि पति की एक कमी तुम्हें नजर आ गई मगर उसकी इतनी सारी खुबियां तुम्हें कभी नजर नही आई ?

🌹 आखिर पत्नी के लिए पति क्यों जरूरी है ?

🌹 मानो न मानो जब तुम दुःखी हो तो वो तुम्हे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।

🌹 वो अपने दुःख अपने ही मन में रखता है लेकिन तुम्हें नहीं बताता ताकि तुम दुखी ना हो।

🌹 हर वक्त, हर दिन तुम्हे कुछ अच्छी बातें सिखाने की कोशिश करता रहता है ताकि वो कुछ समय शान्ति के साथ घर पर व्यतीत कर सके और दिन भर की परेशानियों को भूला सके।

🌹 हर छोटी छोटी बात पर तुमसे झगड़ा तो कर सकता है, तुम्हें दो बातें बोल भी लेगा परंतु किसी और को तुम्हारे लिए कभी कुछ नहीं बोलने देगा।

🌹 तुम्हें आर्थिक मजबूती देगा और तुम्हारा भविष्य भी सुरक्षित करेगा।

🌹 कुछ भी अच्छा ना हो फिर भी तुम्हें यही कहेगा- चिन्ता मत करो, सब ठीक हो जाएगा।।

🌹 माँ बाप के बाद तुम्हारा पूरा ध्यान रखना और तुम्हे हर प्रकार की सुविधा और सुरक्षा देने का काम करेगा।

🌹 तुम्हें समय का पाबंद बनाएगा।

🌹 तुम्हे चिंता ना हो इसलिए दिन भर परेशानियों में घिरे होने पर भी तुम्हारे 15 बार फ़ोन करने पर भी सुनेगा और हर समस्या का समाधान करेगा।

🌹 चूंकि पति ईश्वर का दिया एक स्पेशल उपहार है, इसलिए उसकी उपयोगिता जानो और उसकी देखभाल करो।

उमर:

*आज मुलाकात हुई*
*जाती हुई उम्र से*

*मैने कहा जरा ठहरो तो*
*वह हंसकर इठलाते हुए बोली*
*मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं*
*पाना चाहते हो मुझको*
*तो मेरे हर कदम के संग चलो*

*मैंने मुस्कराते हुए कहा*
*कैसे चलूं मैं बनकर तेरा हमकदम*
*संग तेरे चलने पर छोड़ना होगा*
*मुझको मेरा बचपन*
*मेरी नादानी, मेरा लड़कपन*
*तू ही बता दे कैसे समझदारी की*
*दुनियां अपना लूँ*
*जहाँ हैं नफरतें, दूरियां,*
*शिकायतें और अकेलापन*

*उम्र ने कहा*
*मैं तो दुनियां ए चमन में*
*बस एक “मुसाफिर” हूँ*
*गुजरते वक्त के साथ*
*इक दिन यूं ही गुजर जाऊँगी*
*करके कुछ आँखों को नम*
*कुछ दिलों में यादें बन बस जाऊँगी*

आदर्श अपनाओ:

रोटी या सुरा या लिवास की तरह कला भी मनुष्य की बुनियादि ज़रूरत है। उसका पेट जिस तरह से खाना माँगता है, वैसे ही उसकी आत्मा को भी कला की भूख सताती है।

ये मत मानिये क़ि जीत सब कुछ ह, अधिक महत्व इस बात का है कि  आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हो। यदि आप किसी आदर्श पर डट ही नहीँ सकते तो आप जीतेंगे क्या?

मुश्किलों का सीधा सामना करें:

एक किसान था. उसके खेत में एक पत्थर का एक हिस्सा ज़मीन से ऊपर निकला हुआ था जिससे ठोकर खाकर वह कई बार गिर चुका था और कितनी ही बार उससे टकराकर खेती के औजार भी टूट रोजाना की तरह आज भी वह सुबह-सुबह खेती करने पहुंचा और इस बार वही हुआ, किसान का हल पत्थर से टकराकर टूट गया. किसान क्रोधित हो उठा, और उसने निश्चय किया कि आज जो भी हो जाए वह इस चट्टान को ज़मीन से निकाल कर इस खेत के बाहर फ़ेंक देगा.
वह तुरंत गाँव से 4-5 लोगों को बुला लाया और सभी को लेकर वह उस पत्त्थर के पास पहुंचा और बोल, ” यह देखो ज़मीन से निकले चट्टान के इस हिस्से ने मेरा बहुत नुक्सान किया है, और आज हम सभी को मिलकर इसे आज उखाड़कर खेत के बाहर फ़ेंक देना है.” और ऐसा कहते ही वह फावड़े से पत्थर के किनार वार करने लगा, पर यह क्या ! अभी उसने एक-दो बार ही मारा था कि पूरा-का पूरा पत्थर ज़मीन से बाहर निकल आया. साथ खड़े लोग भी अचरज में पड़ गए और उन्ही में से एक ने हँसते हुए पूछा , “क्यों भाई , तुम तो कहते थे कि तुम्हारे खेत के बीच में एक बड़ी सी चट्टान दबी हुई है , पर ये तो एक मामूली सा पत्थर निकला ??”
किसान भी आश्चर्य में पड़ गया सालों से जिसे वह एक भारी-भरकम चट्टान समझ रहा था दरअसल वह बस एक छोटा सा पत्थर था ! उसे पछतावा हुआ कि काश उसने पहले ही इसे निकालने का प्रयास किया होता तो ना उसे इतना नुकसान उठाना पड़ता और ना ही दोस्तों के सामने उसका मज़ाक बनता .
दोस्तों कई बार हम भी यही करते है, हम किसी भी मुसीबत को बड़ा समझकर उससे निपटने की बजाये तकलीफ सहते रहते है| अगर आप पहले ही उस मुसीबत से निपट लें तो कोई दिक्कत ही नहीं रहेगी| मनुष्य की जिन्दगी में मुसीबतें आती ही रहती है फर्क इस बात का रहता है कि कोई तो उसका सामना करता है और कोई उसे ये समझकर कि मैं इस मुसीबत का सामना नहीं कर सकता, तकलीफ सहता रहता है| अब आपको ही देखना है कि आपको क्या करना है|

Sunday 29 May 2016

सम्भव की सीमाओं से आगे बढ़ो:

If what you have done yesterday still looks big to you, you haven't done much today. -Mike Krzyzewski

सम्भव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है कि उनसे थोड़ा आगे असम्भव के दायरे में निकल जाये।

मेरी समंदर से मुहब्बत, कुछ उसके साहिलों की है |
रेत के हर जर्रे में कहानी, कितने ही काफिलों की है |

व्यव्हररकुशलता उस कला का नाम है जिसमें आप मेहमानों को  घर जैसा आराम दें और मन ही मन मनाते भी जाएँ कि वे अपनी तशरीफ़ ले जाएँ।

असम्भव से पार जाना:

If what you have done yesterday still looks big to you, you haven't done much today. -Mike Krzyzewski

सम्भव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है कि उनसे थोड़ा आगे असम्भव के दायरे में निकल जाये।

"बिन कहे जब समझ ले बात तेरी कोई, तो समझ लेना की ख़त्म अब तलाश तेरी हुई...!"

Instead of Wiping your Tears,,,,,Wipe away the People who Created Them,,,,

बड़ी हैं उलझनें उससे बड़ी ये ज़िंदगानी है, तुम्हारी या हमारी हो, बड़ी लम्बी कहानी है |

सोचा था के आकर के वो पूछेगा मेरा हाल, शिकवे शिकायतें वो बे-हिसाब कर गया |

आप यूँ फासलों से गुज़रते रहे, दिल से क़दमों की आवाज़ आती रही -जां निसार अख्तर

Lamho ki ek kitaab hai zindagi|
Saanso aur khyalo ka hissaab hai zindagi||

Kuch zarurate puri to kuch khwahishe adhuri|
Bas enhi sawaalo ka jawaab hai zindagi||

चाँद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
रंग बदले किसी सूरत शबे-तन्हाई का

हँसना ही जिंदगी:

चार्ली चैपलिन ने एक चुटकुला सुनाया तो सभी लोग हँसने लगे....

चार्ली ने वही चुटकुला दोबारा सुनाया,  कुछ लोग फिर हँसे???

उन्होंने फिर वही सुनाया पर इस बार कोई नहीं हँसा...???

तब उन्होंने कुछ खास बात कही..
"जब आप एक ही चुटकुले पर बार-बार नहीं हँस नहीं सकते तो फिर आप एक ही चिंता पर बार बार रोते क्यों हैं"

इसलिए जीवन के हर पल का आनंद लो..!!
जिंदगी बड़ी खूबसूरत है।

आज चार्ली चैपलिन की 125वीं जयंती है जो इन तीन ह्रदयस्पर्शी बातों को दोहराने का दिन है -
(1) दुनिया में कुछ भी स्थाई नहीं.. हमारी परेशानियाँ भी नहीं।
(2) मुझे बारिश में चलना पसंद है ताकि कोई मेरे आँसू न देख सके।
(3) जीवन का सबसे व्यर्थ दिन वो है जिसमें हम हँसे नहीं।

Saturday 28 May 2016

मिनी:

एक पिता अपनी चार वर्षीय बेटी मिनी से बहुत प्रेम करता था। ऑफिस से लौटते वक़्त वह रोज़ उसके लिए तरह-तरह के खिलौने और खाने-पीने की चीजें लाता था। बेटी भी अपने पिता से बहुत लगाव रखती थी और हमेशा अपनी तोतली आवाज़ में पापा-पापा कह कर पुकारा करती थी।
दिन अच्छे बीत रहे थे की अचानक एक दिन मिनी को बहुत तेज बुखार हुआ, सभी घबरा गए , वे दौड़े भागे डॉक्टर के पास गए , पर वहां ले जाते-ले जाते मिनी की मृत्यु हो गयी।

परिवार पे तो मानो पहाड़ ही टूट पड़ा और पिता की हालत तो मृत व्यक्ति के समान हो गयी। मिनी के जाने के हफ़्तों बाद भी वे ना किसी से बोलते ना बात करते…बस रोते ही रहते। यहाँ तक की उन्होंने ऑफिस जाना भी छोड़ दिया और घर से निकलना भी बंद कर दिया।

आस-पड़ोस के लोगों और नाते-रिश्तेदारों ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की पर वे किसी की ना सुनते , उनके मुख से बस एक ही शब्द निकलता … मिनी !

एक दिन ऐसे ही मिनी के बारे में सोचते-सोचते उनकी आँख लग गयी और उन्हें एक स्वप्न आया।
उन्होंने देखा कि स्वर्ग में सैकड़ों बच्चियां परी बन कर घूम रही हैं, सभी सफ़ेद पोशाकें पहने हुए हैं और हाथ में मोमबत्ती ले कर चल रही हैं। तभी उन्हें मिनी भी दिखाई दी।

उसे देखते ही पिता बोले , ” मिनी , मेरी प्यारी बच्ची , सभी परियों की मोमबत्तियां जल रही हैं, पर तुम्हारी बुझी क्यों हैं , तुम इसे जला क्यों नहीं लेती ?”

मिनी बोली, ” पापा, मैं तो बार-बार मोमबत्ती जलाती हूँ , पर आप इतना रोते हो कि आपके आंसुओं से मेरी मोमबत्ती बुझ जाती है….”

ये सुनते ही पिता की नींद टूट गयी। उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया , वे समझ गए की उनके इस तरह दुखी रहने से उनकी बेटी भी खुश नहीं रह सकती , और वह पुनः सामान्य जीवन की तरफ बढ़ने लगे।

मित्रों, किसी करीबी के जाने का ग़म शब्दों से बयान नहीं किया जा सकता। पर कहीं ना कहीं हमें अपने आप को मजबूत करना होता है और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होता है। और शायद ऐसा करना ही मरने वाले की आत्मा को शांति देता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जो हमसे प्रेम करते हैं वे हमे खुश ही देखना चाहते हैं , अपने जाने के बाद भी…!

Friday 27 May 2016

गधे से बहस क्यों की:

एक बार एक चीते और गधे में बहस हो गई। चीता बोला आसमान का रंग नीला और गधा बोला काला।
दोनों शेर बादशाह के दरबार में पहुँचे। शेर ने बहस सुन कर चीते की जेल में डालने का हुक्म दिया। चीता गिड़गिड़ाया की मैं सही हूँ और मुझे ही सज़ा क्यों मिल रही है?

शेर बोला की मैं जानता हूँ की तुम सही हो पर तुम्हें सज़ा इसलिए मिल रही है की तुमने गधे से बहस ही क्यों की!!!

सत्य:


"अगर आप रास्ते पे चल रहे है और आपको वहां पड़ी हुई दो पत्थर की मुर्तिया मिले

1) भगवान राम की

और

2)रावण की

और आपको एक मूर्ति उठाने का कहा जाए तो अवश्य आप राम की मूर्ति उठा कर घर लेके जाओगे।
क्यों की राम सत्य , निष्ठा,
सकारात्मकता के प्रतिक हे और रावण नकारात्मकता का प्रतिक हे।

फिरसे आप रास्ते पे चल रहे हो और दो मुर्तिया मिले
राम और रावण की
पर अगर "राम की मूर्ति पत्थर" की और "रावण की सोने "की हो
और एक मूर्ति उठाने को कहा जाए तो आप राम की मूर्ति छोड़ कर  रावण की सोने की मूर्तिही उठाओगे

मतलब
हम सत्य और असत्य,
सकारात्मक और नकारात्मक
अपनी सुविधा और लाभ के अनुसार तय करते हे।

९९% प्रतिशत लोग भगवान को सिर्फ लाभ और डर की वजह से पूजते है.      
.और इस बात से वह ९९% प्रतिशत लोग भी सहमत होंगे मगर शेअर नही करेंगे क्योंकी .....

एक ही डर
               "लोग क्या कहेंगे".
लोग क्या सोचेंगे  ? ? ?

25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि  "लोग क्या सोचेंगे  ? ? "

50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं  कि  " लोग क्या सोचेंगे  ! ! "

50 साल के बाद पता चलता है कि      " हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था ! ! ! "

Life is beautiful, enjoy it everyday.

Thursday 26 May 2016

Kaizen Story: Tiger in the Toilet

*Kaizen Story: Tiger in the Toilet*

Once a stranded Tiger entered the washroom in a Corporate Office and hid in a dark corner. Since there were people outside the washroom through the day, the Tiger was afraid to come out.

Many people frequented the washroom, but the frightened Tiger didn’t touch anyone. However, after four days it couldn’t bear hunger anymore, so it caught a man who had come in, and ate him.

This man happened to be an Assistant General Manager in the organization, but nobody noticed his disappearance.

Since nothing untoward happened, the Tiger became bolder and after two days caught another man and ate him.

This man was the General Manager of the organization.

Still, nobody worried over his disappearance (Some people even happy that he was not seen in the office).

Next day, the Tiger caught the Vice President who was a terror in the organization.

Again nothing happened. The Tiger was very happy and decided that this was the perfect place for him to live.

The very next day the happy Tiger caught a man who had entered the washroom while balancing a tray of teacups in one hand.

The frightened man fell unconscious. Within fifteen minutes a huge hue and cry ensued, and everyone in the office started looking for the man. The search team reached the washroom, flushed out the Tiger and saved the unconscious man. He was the tea boy in the office.

*Moral of the Story*

It is not the position, but our usefulness to others that makes us lovable and respectable.

Acknowledgement: From the book *Tiger in the Toilet*

पति पत्नि का रिश्ता:

शादी की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे।

संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल था।

प्रेम भी बहुत था दोनों में लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है। शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं।

बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक प्रस्ताव रखा कि मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना होता है लेकिन हमारे पास समय ही नहीं होता एक-दूसरे के लिए।

इसलिए मैं दो डायरियाँ ले आती हूँ और हमारी जो भी शिकायत हो हम पूरा साल अपनी-अपनी डायरी में लिखेंगे।

अगले साल इसी दिन हम एक-दूसरे की डायरी पढ़ेंगे ताकि हमें पता चल सके कि हममें कौन सी कमियां हैं जिससे कि उसका पुनरावर्तन ना हो सके।

पति भी सहमत हो गया कि विचार तो अच्छा है।

डायरियाँ आ गईं और देखते ही देखते साल बीत गया।

अगले साल फिर विवाह की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर दोनों साथ बैठे।

एक-दूसरे की डायरियाँ लीं। पहले आप, पहले आप की मनुहार हुई।

आखिर में महिला प्रथम की परिपाटी के आधार पर पत्नी की लिखी डायरी पति ने पढ़नी शुरू की।

पहला पन्ना...... दूसरा पन्ना........ तीसरा पन्ना

..... आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा नहीं दिया।

.......आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए।

.......आज मेरे फेवरेट हीरो की पिक्चर दिखाने के लिए कहा तो जवाब मिला बहुत थक गया हूँ

........ आज मेरे मायके वाले आए तो उनसे ढंग से बात नहीं की

.......... आज बरसों बाद मेरे लिए साड़ी लाए भी तो पुराने डिजाइन की

ऐसी अनेक रोज़ की छोटी-छोटी फरियादें लिखी हुई थीं।

पढ़कर पति की आँखों में आँसू आ गए।

पूरा पढ़कर पति ने कहा कि मुझे पता ही नहीं था मेरी गल्तियों का।
मैं ध्यान रखूँगा कि आगे से इनकी पुनरावृत्ति ना हो।

अब पत्नी ने पति की डायरी खोली
पहला पन्ना……… कोरा
दूसरा पन्ना……… कोरा
तीसरा पन्ना ……… कोरा

अब दो-चार पन्ने साथ में पलटे वो भी कोरे

फिर 50-100 पन्ने साथ में पलटे तो वो भी कोरे

पत्नी ने कहा कि मुझे पता था कि तुम मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकोगे।
मैंने पूरा साल इतनी मेहनत से तुम्हारी सारी कमियां लिखीं ताकि तुम उन्हें सुधार सको।
और तुमसे इतना भी नहीं हुआ।

पति मुस्कुराया और कहा मैंने सब कुछ अंतिम पृष्ठ पर लिख दिया है।

पत्नी ने उत्सुकता से अंतिम पृष्ठ खोला। उसमें लिखा था :-

मैं तुम्हारे मुँह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूँ लेकिन तुमने जो मेरे और मेरे परिवार के लिए त्याग किए हैं और इतने वर्षों में जो असीमित प्रेम दिया है उसके सामने मैं इस डायरी में लिख सकूँ ऐसी कोई कमी मुझे तुममें दिखाई ही नहीं दी।
ऐसा नहीं है कि तुममें कोई कमी नहीं है लेकिन तुम्हारा प्रेम, तुम्हारा समर्पण, तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है।
मेरी अनगिनत अक्षम्य भूलों के बाद भी तुमने जीवन के प्रत्येक चरण में छाया बनकर मेरा साथ निभाया है। अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे दिखाई दे मुझे।

अब रोने की बारी पत्नी की थी।

उसने पति के हाथ से अपनी डायरी लेकर दोनों डायरियाँ अग्नि में स्वाहा कर दीं और साथ में सारे गिले-शिकवे भी।

फिर से उनका जीवन एक नवपरिणीत युगल की भाँति प्रेम से महक उठा ।

पति और पत्नी जीवन की एक डोर में बंधे दो राही हैं। हम छणिक शिकायतों में अगर न उलझते हुए एक दूसरे की खूबियों को देखें समर्पण को देखें प्यार मनुहार  को देखें, तो बाकि शिकायतें हमें बहोत छोटी दिखेंगी। एक लड़की अपना सबकुछ पीछे छोड़ कर केवल अपने पति के भरोसे ही तो चली आती है और जीवन प्रयत्न उसकी और उसके परिवार की सेवा में लग जाती है। वहीं पति सभी रिश्तों में केवल एक पत्नी को ही अपना जीवन साथी मानते हुए हर जिम्मेदारी को निभाने के लिए जीवन की अंधी दौड़ में लगा रहता है। शिकायते नहीं खूबीयों को देखना शुरू करेंगे तो जीवन में केवल प्यार ही प्यार भरा रहेगा।

है न ये अजीब बात:

To taste the sweetness of life, you must have the power to forget the past

मेरे लिए किसी क़ातिल का इंतिज़ाम न कर,
करेंगी क़त्ल ख़ुद अपनी ज़रूरतें मुझको ।

- ज़फ़र गोरखपुरी

मेरी ग़ुरबत को शराफत का अभी नाम न दे, वक़्त बदला तो तेरी राय बदल जायेगी.

"कुछ उसको भी अज़ीज़ हैं अपने सभी उसूल,
कुछ हम भी इत्तेफाक से ज़िद के मरीज़ हैं."

है न ये अजीब बात क़ि हम उन चीजों के बारे में सबसे कम बात करते हैं जिनके बारे हम सबसे अधिक् सोचते हैं?

चरित्र को सुधरना मुश्किल है:

चरित्र को बनाये रखना आसान है, उसके भ्र्ष्ट हो जाने के बाद उसे सुधारना मुश्किल है।

"The man who has done his level best... is a success, even though the world may write him down a failure." ~ B. C. Forbes

जाने तब क्यों सूरज की ख़्वाहिश करते हैं लोग, जब बारिश में सब दीवारें गिरने लगती हैं. - सलीम कौसर

बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर
वो ज़िंदगी है जो काँटों के दरमियाँ गुज़रे

मुझे सहल हो गई मंजिलें वो हवा के रुख भी बदल गये
तेरा हाथ, हाथ में आ गया कि चिराग राह में जल गये

Wednesday 25 May 2016

they were going to go out in style!

No hands, no legs, but she is running in TCS World 10K. She survived the deadly gangrene, but lost her hands and legs. She had written on her blog, "How do you deal with a life change…from being fully charge of your life physically and mentally to seeking help to brush your own teeth?" On the day her legs had to be amputated, she wore a bright shade of nail polish as she went to the hospital. “If my legs were going, they were going to go out in style!” she wrote on her blog. Her name is Shalini Saraswathi. we wish her all the best, you are a winner already

Tuesday 24 May 2016

वाणी का व्यवहार:

एक राजा थे। बन-विहार को निकले। रास्ते में प्यास लगी। नजर दौड़ाई एक अन्धे की झोपड़ी दिखी। उसमें जल भरा घड़ा दूर से ही दीख रहा था।
राजा ने सिपाही को भेजा और एक लोटा जल माँग लाने के लिए कहा।

सिपाही वहाँ पहुँचा और बोला- ऐ अन्धे एक लोटा पानी दे दे।

अन्धा अकड़ू था।

उसने तुरन्त कहा- चल-चल तेरे जैसे सिपाहियों से मैं नहीं डरता। पानी तुझे नहीं दूँगा। सिपाही निराश लौट पड़ा।

इसके बाद सेनापति को पानी लाने के लिए भेजा गया। सेनापति ने समीप जाकर कहा अन्धे। पैसा मिलेगा पानी दे।

अन्धा फिर अकड़ पड़ा। उसने कहा, पहले वाले का यह सरदार मालूम पड़ता है। फिर भी चुपड़ी बातें बना कर दबाव डालता है, जा-जा यहाँ से पानी नहीं मिलेगा।

सेनापति को भी खाली हाथ लौटता देखकर राजा स्वयं चल पड़े।

समीप पहुँचकर वृद्ध जन को सर्वप्रथम नमस्कार किया और कहा- ‘प्यास से गला सूख रहा है।

एक लोटा जल दे सकें तो बड़ी कृपा होगी।’
अंधे ने सत्कारपूर्वक उन्हें पास बिठाया और कहा- ‘आप जैसे श्रेष्ठ जनों का राजा जैसा आदर है।

जल तो क्या मेरा शरीर भी स्वागत में हाजिर है। कोई और भी सेवा हो तो बतायें।

राजा ने शीतल जल से अपनी प्यास बुझाई फिर नम्र वाणी में पूछा-
‘आपको तो दिखाई पड़ नहीं रहा है, फिर जल माँगने वालों को सिपाही, सरदार और राजा के रूप में कैसे पहचान पाये?’

अन्धे ने कहा- “वाणी के व्यवहार से हर व्यक्ति के वास्तविक स्तर का पता चल जाता है।”

दोस्तो वाणी उस तीर की तरह हाेती हैं, जाे एक बार कमान(धनुष) से निकलने के बाद वापस नहीं आती। इस लिए जब भी कुछ बाेलाे बहुँत सोच-समझ कर बाेलाे, आपकी वाणी में ऐसा मिठास हाें की सुनने वाला गदगद़(खुश) हाे जायें। ऐसी वाणी कभी ना बाेलाे, जिससे किसी काे दुःख पहुँचे।

Monday 23 May 2016

कड़वा सच:

मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं
तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं
सुबह आठ बजे नौकरियों पर जाते हैं
रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं

अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं
अकेले रह कर वह  कैरियर  बनाते हैं
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं

मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं
अपने नन्हे मुन्ने को पाल  नहीं पाते हैं
फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते  हैं
उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं

परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है
केवल आया'आंटी को ही पहचानता है
दादा -दादी, नाना-नानी कौन होते  है?
अनजान है सबसे किसी को न मानता है

आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है
टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है
यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है
छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है

नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है
जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है
उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है
कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है

जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है
देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता  है
वीक ऐन्ड पर मौल में पिकनिक मनाता है
संडे की छुट्टी मौम-डैड के  संग बिताता है

वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है
वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है
कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है
आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है

वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है
मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है
धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है
मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है

कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है
जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है
माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है
बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है

बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं
जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं
क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं
घुट घुट कर जीते हैं खुद से भी शरमाते हैं

हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं
दाढ़- दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं
कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं
वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं

सोचना की बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।

बेटा एडिलेड में, बेटी है न्यूयार्क।
ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क।

बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।
चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार।

ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।
दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार।

बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर।
हरिद्वार के घाट की, सिडनी में तकदीर।

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...