ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई।
मुझे खामोश रहना है...
तुझे महसूस होने तक...
जितना लिखा, उससे ज़्यादा मिटाया है हमने
इश्क़ नाकाम सही, शिद्दत से निभाया है हमने
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