Tuesday, 8 October 2019

कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से


कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है
बात सुकून की है, बात विश्वास की है,
बात आपके साथ की है...
वरना भीड़ में तो सभी साथ चलते ही है...!!
नहीं खोना है तुम्हें, इसीलिए...
पाने की कोई ज़िद भी नहीं..!!
हम संतुष्ट इसलिए नही हैं क्योंकि हम वो सब चाहते है..
जिसका प्रयास हमने किया ही नहीं
परिंदे शुक्रगुजार हैं पतझड़ के भी..
तिनके कहां से लाते, अगर सदा बहार रहती..

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