Wednesday, 23 October 2019

लफ्ज लफ्ज ही रहे.....जज्बात न कह सके !

रफ़ाक़त की रवायतों की मजबूरियाँ बढ़ जाएँगी
कुछ फ़ासले रखो क़ाएम वर्ना दूरियाँ बढ़ जाएँगी
लफ्ज लफ्ज ही रहे.....जज्बात न कह सके  !
It takes you the same amount of effort to be happy or miserable. And, only you have the power to make you happy or miserable.

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