पेंसिल के सौ गुनाह माफ़ थे...
पेन पर जिम्मेदारियाँ बहुत हैं...
न जाने कितनी मोहब्बत थी उसकी नफरत में
कई दुआओं से बेहतर थी बद्दुआ उसकी....!!
एक वो दौर भी आया सफर में..
जब मुझे अपनी पसंद से भी नफरत हुई ।
सीखे गए को भूल जाने पर जो कुछ बचा रहता है, वही शिक्षा है।
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