“ हक़ीक़त को तलाश करना पड़ता है,
अफ़वाहें तो घर बैठे आप तक पहुँच जाती है।”
प्रेम की केवल सुगंध होती है
व्याख्या ,विज्ञापन या स्पष्टीकरण नही
सँभल के चलने का सारा ग़ुरूर टूट गया
इक ऐसी बात कही उस ने लड़खड़ाते हुए
दौर हवाओं का ही रहता है कायम
आंधियां देर तक नहीं चला करती
मैं बहुत सीमित हूँ अपने शब्दों में
लेकिन बहुत विस्तृत हूँ अपने अर्थों में
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