Wednesday, 25 September 2019

एक ही चेहरे की अहमियत

 एक ही चेहरे की अहमियत
हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है
उसी चेहरे पर कोई खफा
तो कोई फिदा सा क्यूँ है..!!
चेहरों का आना जाना चलता रहेगा, मगर...
मेरा तुम पे ठहर जाना, मुझे जायज़ लगता है....
काँच जैसा बनने के बाद पता चलता है कि....
उसको.......टूटना भी उसी की तरह पड़ता है !
“हर जगह इत्र ही ,महका नहीं करते ..
कभी कभी शख्सियत भी,खुशबू छोड़ जाती है।”
सारे क़ायनात की दिलकशी साथ होगी मेरे...
हम फिर भी तुम्हारी सादगी से हार जाएंगे....
लोग पीठ पीछे बड़बड़ा रहे है,
लगता है हम सही रास्ते जा रहे है।

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