एक ही चेहरे की अहमियत
हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है
हर एक नजर में अलग सी क्यूँ है
उसी चेहरे पर कोई खफा
तो कोई फिदा सा क्यूँ है..!!
तो कोई फिदा सा क्यूँ है..!!
चेहरों का आना जाना चलता रहेगा, मगर...
मेरा तुम पे ठहर जाना, मुझे जायज़ लगता है....
मेरा तुम पे ठहर जाना, मुझे जायज़ लगता है....
काँच जैसा बनने के बाद पता चलता है कि....
उसको.......टूटना भी उसी की तरह पड़ता है !
“हर जगह इत्र ही ,महका नहीं करते ..
कभी कभी शख्सियत भी,खुशबू छोड़ जाती है।”
कभी कभी शख्सियत भी,खुशबू छोड़ जाती है।”
सारे क़ायनात की दिलकशी साथ होगी मेरे...
हम फिर भी तुम्हारी सादगी से हार जाएंगे....
लोग पीठ पीछे बड़बड़ा रहे है,
लगता है हम सही रास्ते जा रहे है।
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