सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं
काबिल लोग ना तो किसी से दबते है.
और ना ही किसी को दबाते है
जबाब देना उन्हें भी. खूब आता है.....पर
कीचड़ में पत्थर कौन मारे, ये सोचकर चुप रह जाते है..
आज तो दिल के दर्द पर हँस कर,
दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने.
रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया,
वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया...
मेरे शब्दों और अर्थों पर
जिसका सम्राज्य है
मुझ पर भी होगा उसका आधिपत्य
जिस दिन जीत लेगा वो
मौन मेरा।।
क्षमता और ज्ञान को हमेशा अपना
गुरू बनाओ अपना गुरुर नहीं..
तोहमतें कुछ इस क़दर
वो लगाते गए
हमारी ख़ामोशी को भी साज़िश बताते रहे
तुम्हें "तलब" कहूँ "ख़्वाहिश" कहूँ या ज़िन्दगी,
तुमसे तुम तक का "सफर" है "ज़िन्दगी" मेरी
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