अहमियत उन्हीं की रखिये...
जो अहम् ना रखते हो...!!
ख्वाहीशों ने ही भटकाए है ,जिंदगी के सब रास्तें ....
वरना रूह तो उतरी थी ज़मीन पर मंज़िल का पता लेकर ..!!”
मसला ये नहीं हम मसरूफ कितने है
मुद्दा ये कि तुम्हें मेरी ज़रुरत कितनी है
इश्क़ गर चांद से हो जाए तो....
दूरियां मायने नही रखती...!!
कह देना समुन्दर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे...
बंदगी के मुझे आते हैं , सलीके सारे.
उसको , फुर्सत ही नही मेरा ख़ुदा होने की......
रस्ता भी कठिन धूप में शिद्दत भी बहुत थी
साए से मगर उस को मोहब्बत भी बहुत थी
राह तो बड़ी सीधी है...
मोड़ तो सारे मन के हैं...
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