मत परेशान रहिये मस्त रहिये व्यस्त रहिये क्योंकि!
1.पैतालिस साल की अवस्था में "उच्च शिक्षित" और "अल्प शिक्षित" एक जैसे ही होते हैं।
2. पचपन साल की अवस्था में "रूप" और "कुरूप" एक जैसे ही होते हैं। (आप कितने ही सुन्दर क्यों न हों झुर्रियां, आँखों के नीचे के डार्क सर्कल छुपाये नहीं छुपते)
3. साठ साल की अवस्था में "उच्च पद" और "निम्न पद" एक जैसे ही होते हैं।(चपरासी भी अधिकारी के सेवा निवृत्त होने के बाद उनकी तरफ़ देखने से कतराता नहीं है)
4. सत्तर साल की अवस्था में "बड़ा घर" और "छोटा घर" एक जैसे ही होते हैं। (घुटनों का दर्द और हड्डियों का गलना आपको बैठे रहने पर मजबूर कर देता है, आप छोटी जगह में भी गुज़ारा कर सकते हैं)
5. अस्सी साल की अवस्था में आपके पास धन का "होना" या "ना होना" एक जैसे ही होते हैं। ( अगर आप खर्च करना भी चाहें, तो आपको नहीं पता कि कहाँ खर्च करना है)
6. नब्बे साल की अवस्था में "सोना" और "जागना" एक जैसे ही होते हैं। (जागने के बावजूद भी आपको नहीं पता कि क्या करना है).
जीवन को सामान्य रुप में ही लें क्योंकि जीवन में रहस्य नहीं हैं जिन्हें आप सुलझाते फिरें। आगे चल कर एक दिन हम सब की यही स्थिति होनी है इसलिए चिंता छोड़ कर मस्त रहें स्वस्थ रहें। यही जीवन है और इसकी सच्चाई भी। लोग कहेंगे बहुत कुछ क्योंकि लोगों का काम ही है कहना पर उन्हें कहने दें। चैन से जीने के लिए चार रोटी और दो कपड़े काफ़ी हैं "पर, बेचैनी से जीने के लिए चार मोटर, दो बंगले और तीन प्लॉट भी कम हैं !!" मानता हूं कि इस आधुनिक दौर में रुपया, रूप, रुतबा बहुत कुछ है पर सबकुछ नही है यह जरूर याद रखें।
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