Sunday 27 May 2018

परेशान:

गिले शिकवे कहाँ तक होंगे आधी रात तो गुज़री

परेशाँ तुम भी होते हो परेशाँ हम भी होते हैं
🍂🍃🍂
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता,

तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता...
🍂🍃🍂
[5/16, 10:07 AM] Bansi Lal: जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़

उन का दावा है कि वो अस्ल ख़ुदा वाले हैं
🍃🍂🍃
[5/16, 10:09 AM] Bansi Lal: बातों बातों में ही उनवान बदल जाते हैं

कितनी रफ़्तार से इंसान बदल जाते हैं
🍃🍂🍃
[5/18, 7:09 AM] Bansi Lal: नई हवाओँ की सोहबत बिगाड़ देती है,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है,
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते,

सजा ना देके अदालत बगाड़ देती हैं.
🍂🍃🍂
[5/18, 7:10 AM] Bansi Lal: मैं जिस के हाथ में इक फूल दे के आया था

उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है
🍃🍂🍃
[5/18, 7:14 AM] Bansi Lal: जब से बाज़ू हटा लिया तुमने,

सर के नीचे सवाल सोते हैं...

🍂🍃🍂
[5/18, 8:08 PM] Bansi Lal: पाँव में ज़ंजीर काँटे आबले

और फिर हुक्म-ए-सफ़र है क्या करूँ
🍃🍂🍃
[5/18, 8:09 PM] Bansi Lal: आबला : छाला
[5/18, 8:10 PM] Bansi Lal: ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ

काश तुझ को भी इक झलक देखूँ
🍂🍃🍂
[5/18, 8:11 PM] Bansi Lal: हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी

जिस को भी देखना हो कई बार देखना
🍃🍂🍃
[5/18, 8:13 PM] Bansi Lal: नफरत खुलकर और मुहब्बत छिपकर करते हैं !

हम अपनी ही बनाई दुनियां से कितना डरते है।
🍂🍃🍂
[5/19, 10:35 PM] Bansi Lal: सुरमे की तरह पीसा है हमें हालातों ने,

तब जा के चढ़ें हैं लोगों की निगाहों में..
🍂🍃🍂
[5/19, 10:40 PM] Bansi Lal: सूरज ढला तो
कद से ऊँचे हो गए साये,

कभी पैरों के नीचे देखीं थी,
यहीं परछाइयां हमने...
🍂🍃🍂
[5/21, 2:24 PM] Bansi Lal: है ख़ुशी इंतिज़ार की हर दम

मैं ये क्यूँ पूछूँ कब मिलेंगे आप
🍃🍂🍃
[5/21, 2:26 PM] Bansi Lal: वक़्त से पेहले हादसों से लढा हु,
में अपनी उम्र से कई साल बड़ा हु..
🍃🍂🍃
[5/21, 2:27 PM] Bansi Lal: तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं

कमाल ये है कि, फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं

🍂🍃🍂
[5/22, 6:39 AM] Bansi Lal: भरे हैं रात के रेज़े कुछ ऐसे आँखों में

उजाला हो तो हम आँखें झपकते रहते हैं
🍃🍂🍃
[5/22, 6:43 AM] Bansi Lal: सब शिकवे हमसे कागज़ पे उतारे ना जाएंगे..

कहीं पढ़ने वाला तुम्हें बददुआ ना दे दे,,,!
🍂🍃🍂
[5/22, 6:44 AM] Bansi Lal: देख कर उन को ये अंदाज़ा हुआ

होगी ऐसी ही क़यामत कम से कम
🍃🍂🍃
[5/22, 6:45 AM] Bansi Lal: जिंदगी की रेस में जो लोग आपको ‘दौड़’ कर नहीं हरा पाते

वही आपको ‘तोड़’ कर हराने की कोशिश करते
हैं......
🍂🍃🍂
[5/23, 7:05 AM] Bansi Lal: चले कुछ कदम , थमे पल दो पल , पीछे मुड़कर देखा , कुछ सोचा , फिर पुन: चल पड़े , धीमे धीमे कदम धरते , अपने गंतव्य की ओर!!!!!
🍂🍃🍂
[5/24, 11:08 AM] Bansi Lal: छीन लेते हैं उसे भी तो अयादत वाले

दुख का इक पल भी तो मेरा नहीं होने पाता
🍂👌🍂
[5/24, 11:11 AM] Bansi Lal: डूबे  हुए जहाज़ पे क्या #तब्सिरा करें,

ये हादिसा तो सोच की गहराई ले गया ....
🍂🍃🍂
#समीक्षा
[5/24, 11:16 AM] Bansi Lal: डूबे  हुए जहाज़ पे क्या #तब्सिरा करें,

ये हादिसा तो सोच की गहराई ले गया ....
🍃🍂🍃
[5/24, 11:17 AM] Bansi Lal: एक ही शक्ल के सब चेहरे थे लेकिन फिर भी

एक चेहरे ने तो बेहद किया हैरान मुझे
🍃🍂🍃
[5/24, 8:55 PM] Bansi Lal: सुर्ख़-रू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के बाद

रंग लाती है हिना पत्थर पे पिस जाने के बाद
🍃🍂🍃
[5/24, 8:58 PM] Bansi Lal: खुशियों की सही क़ीमत उसी को पता होती है ,

जिसके पास खुशियों की दौलत बहुत कम होती है।।
🍂🍃🍂
[5/24, 8:58 PM] Bansi Lal: समेट लेगा वो अपनी कुशादा बाँहों में

जो गिर रहे हैं इसी आसरे पे गिरते हैं
🍃🍂🍃
[5/24, 8:59 PM] Bansi Lal: ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं

तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
🍂🍃🍂
[5/24, 9:00 PM] Bansi Lal: इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँ

कहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
🍃🍂🍃
[5/24, 9:02 PM] Bansi Lal: मुद्दतें हुईं अब तो जल के आशियाँ अपना

आज तक ये आलम है रौशनी से डरता हूँ
🍂🍃🍂

कहानी:

🐿एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗

गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी❗

क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था❗

गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी , कि थोडी आराम कर लूँ , वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा❗
गिलहरी फिर काम पर लग जाती❗
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी, तो उसकी
भी इच्छा होती थी कि मैं भी खेलूं , पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती❗

*ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था❗*

ऐसे ही समय बीतता रहा ....
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आज़ाद कर दिया❗

*गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के❓*

पूरी जिन्दगी काम करते - करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे❗

*यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है❗*

इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है,
पूरी ज़िन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है❗

*60 वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निवृत्त होता है, तो उसे उसका जो फन्ड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है❗*

तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है,
परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है❗

क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्ड, इस बैंक बैलेंस के लिये : -

      *कितनी इच्छायें मरी होंगी❓*
      *कितनी तकलीफें मिली होंगी❓*
       *कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे❓*

क्या फायदा ऐसे फन्ड का, बैंक  बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी ज़िन्दगी लग जाये और मानव उसका
भोग खुद न कर सके❗

*इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗*

इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो,
पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो❗

                    मौज लो, रोज लो❗
              नहीं मिले तो खोज लो !

   BUSY पर BE-EASY भी रहो❗

Tuesday 15 May 2018

तूफ़ान:

ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है!

हम तो इस जीने के हाथों मर चले
🍃🍁🍃
हाथो में कुछ और लकीरो में कुछ और

ये ज़िन्दगी है जनाब
हमारी कुछ और , तुम्हारी कुछ और

🍁🍃🍁
भला हुआ कि कोई और मिल गया तुम सा

वरना हम भी किसी दिन तुम्हें भुला देते
🍃🍁🍃
आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ

ख़ौफ़ के मारे जुदा शाख़ से पत्ता न हुआ
🍁🍃🍁
मेरी ज़िंदगी तो गुज़री तेरे हिज्र के सहारे

मेरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना
🍃🍁🍃
न मंज़िल को पता होगा न रस्तों को ख़बर होगी

मुसाफ़िर एक दिन आराम से घर बैठ जाएगा
🍁🍃🍁
जिंदगी जीने के दो रास्ते है…

भूल जाओ उन्हें जिन्हें माफ़ नहीं कर सकते…

या

माफ़ कर दो उन्हें  जिन्हें भुला नहीं सकते…
🍃🍁🍃
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की

मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
🍁🍃🍁
मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता

दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता

🍃🍁🍃
"ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था

हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते"
🍁🍃🍁
मुद्दत के बाद आज उसे देख कर

इक बार दिल तो धड़का मगर फिर सँभल गया
🍁🍃🍁
दिल भी पागल है कि उस शख़्स से वाबस्ता है

जो किसी और का होने दे न अपना रक्खे
🍃🍂🍃
चाह कर भी तुझ तक पहुँचना है नामुमकिन...

ये किसने कर दिये रास्ते धुआं धुआं मेरे
🍃🍁🍃
कोई तुमसा भी काश तुमको मिले

मुद'आ हमको इंतक़ाम से है

🍁🍃🍁
क्या दुआ रोज़-ए-हश्र की माँगें

वहाँ पर भी यही ख़ुदा होगा
🍁🍃🍁
Love and logic never meet,
cannot meet.
Logic means the outward journey.

Love means the inward journey.
🍁🍃🍁
जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं,

ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से...
🍁🍂🍁🍂
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा,
🌹🍃🌹
दोस्तों को आज़माते जाइए

रवैया देख कर बेटों का, बूढ़े बाप को ख्याल आया
जब बारीश ठहर जाती है, तो छतरी बोझ लगती है
🍃🌹🍃
बरखा अपने आप में ही बाकमाल शय है

फिर इससे घबराना क्या ।
🍂🍁🍂
समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई

कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता
🍂🍁🍂
Discover yourself; otherwise you have to depend on other people’s opinions who don’t know themselves. ~ #Osho

मेरे जख्मों को हमेशा उनसे ही मोहब्बत हुई
जो शख्स नमक का कारोबार करते हैं ||
🍂🍃🍂

सकारात्मक सोच का महत्व:

🌹🌻🌿🌹🌻🌿🌹🌻🌿🌹🌻

          *_💫 !! एक प्रेरक कहानी  !! ✨_*

     _*🙇🏻‍♀ सकारात्मक सोच का महत्व! 🙇🏻‍♂*_

_एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर रोड पर आ गई। ऑटो ड्राइवर ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते-टकराते बची।_

_कार चला रहा आदमी गुस्से में ऑटोवाले को ही भला-बुरा कहने लगा जबकि गलती उसकी थी! ऑटो चालक एक सत्संगी (सकारात्मक विचार सुनने-सुनाने वाला) था। उसने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और क्षमा माँगते हुए आगे बढ़ गया।_

_ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की हरकत पर गुस्सा आ रहा था और उसने ऑटो वाले से पूछा... तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया।उसने तुम्हें भला-बुरा कहा जबकि गलती तो उसकी थी।_

_*हमारी किस्मत अच्छी है.... नहीं तो उसकी वजह से हम अभी अस्पताल में होते।*_

_ऑटो वाले ने बहोत मार्मिक जवाब दिया...... "साहब,. *बहुत से लोग गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक) की तरह होते हैं। वे बहुत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरे हुए चलते हैं।......*_

_जिन चीजों की जीवन में कोई ज़रूरत नहीं होती उनको मेहनत करके जोड़ते रहते हैं जैसे.... क्रोध, घृणा, चिंता, निराशा आदि। जब उनके दिमाग में इनका कूड़ा बहुत अधिक हो जाता है.... तो, वे *अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूँढ़ने लगते हैं।*_

_इसलिए .....मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ और उन्हें दूर से ही मुस्कराकर अलविदा कह देता हूँ। क्योंकि ....अगर उन जैसे लोगों द्वारा गिराया हुआ कूड़ा मैंने स्वीकार कर लिया..... तो, मैं भी कूड़े का ट्रक बन जाऊँगा और अपने साथ-साथ आसपास के लोगों पर भी वह कूड़ा गिराता रहूँगा।_

_मैं सोचता हूँ जिंदगी बहुत ख़ूबसूरत है इसलिए...... जो हमसे अच्छा व्यवहार करते हैं उन्हें धन्यवाद कहो और जो हमसे अच्छा व्यवहार नहीं करते उन्हें मुस्कुराकर भुला दो।_

_*हमें यह याद रखना चाहिए* कि सभी मानसिक रोगी केवल अस्पताल में ही नहीं रहते हैं....... *कुछ हमारे आसपास खुले में भी घूमते रहते हैं!*_

_*प्रकृति के नियम:-*_

_यदि खेत में बीज न डाले जाएँ..... तो, कुदरत उसे घास-फूस से भर देती है।_

_उसी तरह से...... यदि दिमाग में सकारात्मक विचार न भरें जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते हैं।_

_*दूसरा नियम है कि*_

_जिसके पास जो होता है वह वही बाँटता है।....... “सुखी” सुख बाँटता है, “दुखी” दुख बाँटता है, “ज्ञानी” ज्ञान बाँटता है," "भ्रमित भ्रम बाँटता है" और.... “भयभीत” भय बाँटता है। जो खुद डरा हुआ है वह, औरों को डराता है, दबा हुआ दबाता है, चमका हुआ चमकाता है।_

_*इसलिए.... नकारात्मक लोगों से दूरी बनाकर खुद को नकारात्मकता से दूर रख्खें। और जीवन में सकारात्मकता अपनाएं जी।

Thursday 10 May 2018

बादशाह औऱ कुत्ता:

एक बादशाह अपने कुत्ते के साथ नाव में यात्रा कर रहा था । उस नाव में अन्य यात्रियों के साथ एक दार्शनिक भी था ।
.
कुत्ते ने कभी नौका में सफर नहीं किया था, इसलिए वह अपने को सहज महसूस नहीं कर पा रहा था ।

वह उछल-कूद कर रहा था और किसी को चैन से नहीं बैठने दे रहा था ।
.
मल्लाह उसकी उछल-कूद से परेशान था कि ऐसी स्थिति में यात्रियों की हड़बड़ाहट से नाव डूब जाएगी ।

वह भी डूबेगा और दूसरों को भी ले डूबेगा ।

परन्तु कुत्ता अपने स्वभाव के कारण उछल-कूद में लगा था ।

ऐसी स्थिति देखकर बादशाह भी गुस्से में था ।

पर, कुत्ते को सुधारने का कोई उपाय उन्हें समझ में नहीं आ रहा था ।
.
नाव में बैठे दार्शनिक से रहा नहीं गया ।

वह बादशाह के पास गया और बोला - "सरकार ! अगर आप इजाजत दें तो मैं इस कुत्ते को भीगी बिल्ली बना सकता हूँ ।"

बादशाह ने तत्काल अनुमति दे दी ।

दार्शनिक ने दो यात्रियों का सहारा लिया और उस कुत्ते को नाव से उठाकर नदी में फेंक दिया ।

कुत्ता तैरता हुआ नाव के खूंटे को पकड़ने लगा ।

उसको अब अपनी जान के लाले पड़ रहे थे ।

कुछ देर बाद दार्शनिक ने उसे खींचकर नाव में चढ़ा लिया ।
.
--------------------
.
वह कुत्ता चुपके से जाकर एक कोने में बैठ गया ।

नाव के यात्रियों के साथ बादशाह को भी उस कुत्ते के बदले व्यवहार पर बड़ा आश्चर्य हुआ ।

बादशाह ने दार्शनिक से पूछा - "यह पहले तो उछल-कूद और हरकतें कर रहा था, अब देखो कैसे यह पालतू बकरी की तरह बैठा है ?"
.
*दार्शनिक बोला* -
*"खुद  तकलीफ का स्वाद चखे बिना किसी को दूसरे की विपत्ति  का अहसास.. नहीं.. होता है* ।

इस कुत्ते को जब मैंने पानी में फेंक दिया तो इसे पानी की ताकत और नाव की उपयोगिता समझ में आ गयी ।"

*'भारत' में रहकर*
*'भारत' को गाली देने वाले*
*कुत्तों.... के लिए समर्पित*

Wednesday 9 May 2018

सो जाता है फ़ुटपाठ पे अख़बार बिछा कर

 सो जाता है फ़ुटपाठ पे अख़बार बिछा कर

मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाता
🍁🍃🍁
मैं भी पागल तुझे मांगने को चली थी

आंधियों को दुपट्टे से बांधने को चली थी
🍁🍃🍁

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें

हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
🍁🌹🍁
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें

हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
🍃🌹🍃
ये कश्मकश है ज़िंदगी की, कि कैसे बसर करें….!!

ख़्वाहिशें दफ़न करे,
या चादर बड़ी करें….!!
🍁🌹🍁
 वो आज पूछते हैं, हैसियत मेरी मुझसे~

जिन्होनें लूटा मुझे खुली तिजोरी समझकर !
🌹🍃🌹
कोई तो सूद चुकाए, कोई तो जिम्मा ले,

उस इंकलाब का,जो अब तक उधार सा है
🍃🍁🍃
गिरने दो तुम मुझे मेरा साग़र संभाल लो

इतना तो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ
🍃🍁🍃
कह दो हर वो बात जो जरुरी है कहना, क्योंकि....

कभी-कभी जिन्दगी भी बेवक्त पूरी हो जाती है....
🍁🌹🍁
छोटी-छोटी बातें करके बड़े कहाँ हो जाओगे,

पतली गलियों से निकलो तो खुली सड़क पर आओगे
🍃🍁🍃
 छाँव में गौतम की क्या बैठे

थोड़े थोड़े हम भी ज्ञानी हो गए
🍁🍃🍁

फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!

फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!

अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
 फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह!

अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है
🍁🍃🍁
 इक तेरे लम्स की ख़ुशबू को पकड़ने के लिए

तितलियाँ हाथ से हम छोड़ दिया करते थे
🍁🍃🍁
लम्स: छुवन( Touch)
 हवा-ए-शब से कहो आए फिर बुझाने को..

चराग़ हम ने सर-ए-शाम फिर जलाया है !
🍃🍁🍃
ऊपर से ज़ख़्म-ए-हिज्र को तो हम ने भर दिया

अंदर से कैफ़ियत तो मगर मातमी रही
🍃🍁🍃
 कैफ़ियत: स्थिति
कितना दुश्वार था दुनिया ये हुनर आना भी

तुझ से ही फ़ासला रखना तुझे अपनाना भी

काश तू सिर्फ़ मेरा होता,

 काश तू सिर्फ़ मेरा होता,

या फिर मिला ही ना होता...
🍃🍁🍃
उनका ज़िक्र, उनकी तमन्ना, उनकी याद,

वक्त कितना कीमती है आज कल...
🍁🍃🍁
देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे

इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे
🍁🍃🍁
हमारे ऐब ने बे-ऐब कर दिया हम को

यही हुनर है कि कोई हुनर नहीं आता
🍃🍁🍃

ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है!

ज़िंदगी है या कोई तूफ़ान है!

हम तो इस जीने के हाथों मर चले
🍃🍁🍃
 हाथो में कुछ और लकीरो में कुछ और

ये ज़िन्दगी है जनाब
हमारी कुछ और , तुम्हारी कुछ और

🍁🍃🍁
 भला हुआ कि कोई और मिल गया तुम सा

वरना हम भी किसी दिन तुम्हें भुला देते
🍃🍁🍃
 आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ

ख़ौफ़ के मारे जुदा शाख़ से पत्ता न हुआ
🍁🍃🍁
 मेरी ज़िंदगी तो गुज़री तेरे हिज्र के सहारे

मेरी मौत को भी प्यारे कोई चाहिए बहाना
🍃🍁🍃

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...