व्यक्तित्व की भी अपनी
वाणी होती है
जो कलम या जीभ के
इस्तेमाल के बिना भी
लोगों के अंर्तमन को छू जाती है..
कुछ ..
शब्द ही तो थे
जिनसे जाना था
तूने मुझे ..... मैंने तुझे ....
कुछ ख्वाहिशों का......
अधूरा रहना ही ठीक_है,
जिन्दगी जीने की ......
चाहत तो बनी रहती है।
अहंकार की बस एक ख़राबी है..
ये कभी आपको महसूस ही नहीं होने देता
कि आप ग़लत हैं.
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