Monday, 30 December 2019

व्यक्तित्व की भी अपनी

व्यक्तित्व की भी अपनी 
वाणी होती है 
जो कलम या जीभ के 
इस्तेमाल के बिना भी 
लोगों के अंर्तमन को छू जाती है..


कुछ ..
शब्द ही तो थे
जिनसे जाना था
तूने मुझे ..... मैंने तुझे ....

कुछ ख्वाहिशों का......
अधूरा रहना ही ठीक_है,

जिन्दगी जीने की ......
चाहत तो  बनी रहती है।


अहंकार की बस एक ख़राबी है..
ये कभी आपको महसूस ही नहीं होने देता 
कि आप ग़लत हैं.

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