Monday, 21 October 2019

loved the lines


जो कह दिया वह शब्द थे,
जो नहीं कह सके वह अनुभूति थी
और
जो कहना है, फिर भी नहीं कह सकते वह मर्यादा है।।


पत्तों सी होती है कई  रिश्तोंं की उम्र!
आज हरे....
    कल सूखे....।।
क्यों न हम
   जड़ों से रिश्ते
      निभाना सीखें।।

रिश्तों को बनाये रखने के लिये,
  कभी अन्धा,
    कभी गूँगा
       और  कभी बहरा
          होना ही पड़ता है।

नसीहत
  नर्म लहजे में ही
     अच्छी लगती है क्योंकि,
   दस्तक का मकसद
      दरवाजा खुलवाना
          होता है,
             तोड़ना नहीं।।

घमण्ड
किसी का नहीं रहा,
टूटने से पहले तक
  गुल्ल्क को भी लगता है,
      सारे पैसे उसी के हैं।।

जिस बात पर
     कोई मुस्करा दे,
         बात बस वही
             खूबसूरत है।।

थमती नहीं
      जिन्दगी कभी
        किसी के बिना,
परन्तु
  ये गुजरती भी नहीं
      अपनों के बिना।।

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