Friday, 2 August 2019

श्रेय मिले न मिले,

उम्र-भर कुछ इस तरह हम जागते-सोते रहे,
भीड़  में  हँसते  रहे  तन्हाई  में  रोते  रहे ••!
श्रेय मिले न मिले,
अपना श्रेष्ठ देना कभी बंद न करें
   
आशा चाहे कितनी भी कम हो,
निराशा से बेहतर होती है...
नया दर्द एक दिल में जगा कर चला गया
कल फिर वो मेरे शहर में आ कर चला गया
जिन से मिलना न हुआ उन से बिछड़ कर रोए..
हम तो आँखों की हर इक हद से गुज़र कर रोए..!
जिंदगी की तपिश को सहन कीजिये,अक्सर वही पौधे मुरझा जाते हैं जिनकी परवरिश छाया में होती है.
बुलंदी से गिराने का मुझे, उसने तरीका ये निकाला
जब कुछ ना कर सका तो, आईना सामने रख डाला

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