Thursday, 22 August 2019

“दरख्तों से रिश्तों का,


मुझे उन कुर्सियों पर..बैठने से डर लगता है
जिन पर बैठने से पांँव ज़मीन पर नहीं लगते...
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ..
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की..!!
 मुस्कुरा कर ,जताए जाएँ तो,
        ग़िले -शिकवे भी ,भले लगते हैं !
उसके खारेपन में भी कोई कशिश जरुर होगी...
वरना क्यों सागर से यूँ एक नदी जाकर मिले...
“दरख्तों से रिश्तों का,
हुनर सीख लो मेरे दोस्त..
जब जड़ों में ज़ख्म लगते हैं,
तो टहनियाँ भी सूख जाती हैं..!”
जो व्यक्ति शून्य होने को राजी है
वही पूर्ण को पाने का अधिकारी हो जाता है
अपनों की चाहतों में मिलावट थी इस कदर
मै तंग आकर दुश्मनों को मनाने चला गया…
“No I wish we never met because you’re too hard to forget”
समझ ज्ञान से ज्यादा गहरी होती है..
बहुत से लोग आपको जानते हैं परंतु कुछ ही आपको समझते हैं..
*इंसान को अपनी औकात भूलने की बहुत बुरी बीमारी है*
*और कुदरत के पास उसे याद दिलाने की अचूक दवा.*
Negative thinking hurts your immune system.
फिर ना पूरी हो सकी हमारी खामोश मोहब्बत की दास्तान, उसने मंजिल बदल ली और मैंने रास्ता।
उस वक़्त का हिसाब क्या दूँ
जो तेरे बग़ैर कट गया है।

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