Thursday, 22 August 2019

डुबो दी थी जहाँ तूफ़ाँ ने कश्ती,

मिल जाएँ तेरे हिस्से के सारे ग़म मुझको
ऐसी दुआ की सिफ़ारिश में हाथ उठें हैं मेरे
डुबो दी थी जहाँ तूफ़ाँ ने कश्ती,
वहाँ सब थे ख़ुदा क्या ना-ख़ुदा क्या

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