Friday, 2 August 2019

खुशी जैसी:

ख़ुशी जल्दी में थी
रुकी नहीं.,

ग़म फुरसत में थे... जो ठहर गए.!!

ग़र, दूरियां  मुनासिब  हो
अच्छी हैं नज़दीकियां भी

दुश्मनी में दोस्ती का सिलसिला रहने दिया
उसके सारे खत जलाये मैंने,पर पता रहने दिया

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