फकीरों की सोहबत में बैठा कीजिए
बादशाही का अंदाज खुद ब खुद आ जायेगा
तमाम शहर के रस्ते सजा दी जाए
हम आ गए हैं तो कांटे बिछा दिए जाए
हम आ गए हैं तो कांटे बिछा दिए जाए
अल्फाज और इंसाननियत ही तय करते हैं फैसले किरदारो के
उतरना दिल में है , कि उतरना दिल से हैं
देखने के लिए सारा आलम भी कम
चाहने के लिए एक चेहरा बहुत
कोई तो जरूर बिछड़ा होगा दरिया से ,
वरना लहरें .. साहिलों पे सर ना पटकती
अवगुण भी बहुत हैं लोगों में, और गुण भी बहुत है..
अब ढूँढने वाले तू सोच, कि तुझे चाहिए क्या लोगों में..
मुझ से हर बार वो नजरें चुरा लेता है फ़राज़ ...
मैंने कागज पर भी बना के देखीं है आँखें उसकी !!!!
निग़ाहें कुछ इस तरह से फेरी है उसने,
ग़लत फहमी की गुंजाइश ही नही.. .
ग़लत फहमी की गुंजाइश ही नही.. .
मनुष्य का असली चरित्र तब सामने आता है..
जब वो नशे में होता है..
जब वो नशे में होता है..
फिर नशा चाहे धन का हो,
पद का हो,रूप का हो या शराब का..
पद का हो,रूप का हो या शराब का..
How bad do you want what God put in your heart? Bad enough to outlast your enemies, bad enough to overlook some insults, bad enough to do the right thing when the wrong thing is happening?
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