मेरी तलब रखने वाले ये तो बता...
पहले भी कोई ज़हर चखा है क्या ?
पहले भी कोई ज़हर चखा है क्या ?
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
सुन लेने से कितने सारे सवाल सुलझ जाते हैं...
सुना देने से हम फिर से वहीं उलझ जाते हैं..
जीवन के हर कदम पर..
हमारी सोच,हमारा व्यवहार
एवं हमारे कर्म ही हमारा..
भाग्य लिखते हैं..
हमारी सोच,हमारा व्यवहार
एवं हमारे कर्म ही हमारा..
भाग्य लिखते हैं..
समझदारी, जवाबदारी,
वफ़ादारी और ईमानदारी..
इन चार शब्दों का मर्म यदि इंसान जान ले,
तो भी जीवन सार्थक हो जाये..
वफ़ादारी और ईमानदारी..
इन चार शब्दों का मर्म यदि इंसान जान ले,
तो भी जीवन सार्थक हो जाये..
किरदार बेच देने का अंजाम ये हुआ
दिल में उतरने वाले नज़र से उतर गए
दिल में उतरने वाले नज़र से उतर गए
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