दिखावे का ज़माना है साहेब
ख़ुश रहने से ज़रूरी ख़ुश दिखना है
वरना ये दुनिया जीने नहीं देती ।
मुझे मोहब्बत है उस हर एक पत्थर से जिसनें,
मुझे ठोकर लगा, हर बार उठने का होंसला सिखाया
दरिया थे जितने ग़म के, वो मुझमें उतर गए
मैं चीख़ती रही ........ कि समंदर नहीं हूं मैं...
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