इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है
जो इन्सान धीरज रख सकता है..
वह अपनी इच्छानुसार सब कुछ पा सकता है..
मोहब्बत खुद बताती हैं..... कहां किसका ठिकाना हैं..!!
किसे आँखों में रखना हैं...... किसे दिल में बसाना हैं..!!!
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
- बशीर बद्र
साथ देने की क्या बात करते हो साहब हमने तो
उनके साथ छोड़ने मैं भी उन्हीं का साथ दिया।
तेरी बात, 'खामोशी' से मान लेना
यह भी अंदाज़ है, मेरी 'नाराज़गी' का...
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