कैसे कह दू कोई रिश्ता नहीं तेरे मेरे दरमियान
आज भी तेरा नाम सुनकर ये दिल धड़क जाता है..
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरम्यां....
वो ग़लत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा...!
जलो वहीं जहाँ जरुरत हो,
उजालों में चिरागों के मायने नहीं होते ..
जिनका ये ऐलान है के वो मजे मैं है
या वो फकीर है या तो वो नशें में है ...
ऐसे माहौल में, दवा क्या है, दुआ क्या है...
जहां कातिल ही खुद पूछे, कि हुआ क्या है..
कल की चिंता नही...
उत्सुकता होनी चाहिये
आज भी तेरा नाम सुनकर ये दिल धड़क जाता है..
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरम्यां....
वो ग़लत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा...!
जलो वहीं जहाँ जरुरत हो,
उजालों में चिरागों के मायने नहीं होते ..
जिनका ये ऐलान है के वो मजे मैं है
या वो फकीर है या तो वो नशें में है ...
ऐसे माहौल में, दवा क्या है, दुआ क्या है...
जहां कातिल ही खुद पूछे, कि हुआ क्या है..
कल की चिंता नही...
उत्सुकता होनी चाहिये
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