Tuesday, 21 January 2020

मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता

मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता
किसी को  छोड़ना हो तो  मुलाक़ातें  बड़ी  करना
- वसीम बरेलवी

"ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता"

—जावेद अख़्तर

कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
और डूबने वालों का जज़्बा भी नहीं बदला

 कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर,
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है...

कुछ फासले तुम भी तो मिटाओ...
हम तुम तक आएं भी तो कहाँ तक आएं..!

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