मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता
किसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना
- वसीम बरेलवी
"ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता"
—जावेद अख़्तर
कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
और डूबने वालों का जज़्बा भी नहीं बदला
कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर,
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है...
कुछ फासले तुम भी तो मिटाओ...
हम तुम तक आएं भी तो कहाँ तक आएं..!
किसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना
- वसीम बरेलवी
"ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता"
—जावेद अख़्तर
कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
और डूबने वालों का जज़्बा भी नहीं बदला
कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर,
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है...
कुछ फासले तुम भी तो मिटाओ...
हम तुम तक आएं भी तो कहाँ तक आएं..!
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