तुमसे हो ना हो,
तुम्हारे ख़यालों से ..
मेरे दिल का जायज़ राब्ता हैं ..
क्यूँ न फ़िरदौस में दोज़ख़ को मिला लें यारब
सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही
पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था
अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा
खामोशियां भी रिश्ते खा जाती है..!
थोडा ही सही ताल्लुक़ जिंदा रखिये....!!!
तुम्हारे ख़यालों से ..
मेरे दिल का जायज़ राब्ता हैं ..
क्यूँ न फ़िरदौस में दोज़ख़ को मिला लें यारब
सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही
पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था
अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा
खामोशियां भी रिश्ते खा जाती है..!
थोडा ही सही ताल्लुक़ जिंदा रखिये....!!!
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