जो जैसा होता है वैसा ही सोचता है,
मैने बुरा नही सोचा,उसने अच्छा नही सोचा....
कुछ बातें "समझाने" पर नहीं, बल्की "खुद" पर
"बीत" जाने पर ही "समझ" आती हैं !
"हमेशा तर्क करने वाला दिमाग़, धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही ख़ून निकाल देता है।
न हथियार से मिलते हैं
न अधिकार से मिलते हैं....
दिलों पर कब्जे बस
अपने व्यवहार से मिलते है....
मैने बुरा नही सोचा,उसने अच्छा नही सोचा....
कुछ बातें "समझाने" पर नहीं, बल्की "खुद" पर
"बीत" जाने पर ही "समझ" आती हैं !
"हमेशा तर्क करने वाला दिमाग़, धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही ख़ून निकाल देता है।
न हथियार से मिलते हैं
न अधिकार से मिलते हैं....
दिलों पर कब्जे बस
अपने व्यवहार से मिलते है....
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