Friday, 31 January 2020

एक शौक बेमिसाल रखा करो


एक शौक बेमिसाल रखा करो

 हालात जैसे भी हो होठों पर हमेशा  मुस्कान रखा करो,।।


तमाम ख़त में आंसू वहीं पे गिरे हुए थे
.
.
जहाँ पे उसने लिखा था .. बहुत खुश हूं


मै हर बात समझ जाऊँ........
तू एक बार मुझे ,समझ कर तो देख

संभव और असंभव के बीच की दूरी..

संभव और असंभव
के बीच की दूरी..
व्यक्ति की सोंच और कर्म 
पर निर्भर करती है..


तुम हो तो बसंत है...

नहीं तो बस अंत है...


 ना उड़ाओ परिंदों को, मुंडेर से अपनी,,,
ना जाने कौन आया हो, बिछड़ के अपनों से,,,,,



ख़ामियाँ ना हों तो वो इंसान कैसा
ख़्वाहिशें ना हों तो जीवन कैसा


अंधेरा वहां नहीं है जहां तन गरीब है ,

अंधेरा वहां है जहां मन गरीब है..


स्नेह का धागा,
और संवाद की सुई...
उधड़ते रिश्तो की,
तुरपाई कर देती है..!


कुछ हँसकर बोल दिया करो
कुछ हँसकर टाल दिया करो
परेशानियाँ तो बहुत हैं यहाँ
कुछ वक़्त पर डाल दिया करो..


दस्तक और  आवाज  तो दूसरो  के लिये है ..
जो रूह  को  समझ  आये  उसे  खामोशी  कहते हैं ....


मैं उस किताब का आख़िरी पन्ना था.

मैं ना होता तो कहानी ख़त्म न होती.

निर्माण और प्रलय इन्हीं के "हाथ" में होता है.

 देश में "राजा"
    समाज में "गुरु"
          परिवार में "पिता"
                 घर में "स्त्री"
    जीवन में दोस्त    ये कभी "साधारण" नहीं होते

~ निर्माण और प्रलय इन्हीं के "हाथ" में होता है..


इलाज ना ढूंढ तू इश्क़ का वो होगा ही नहीं

इलाज मर्ज का होता है इबादत का नहीं


“ एक दूरी बनाए रखनी थी
सबसे नज़दीकियाँ निभाते हुए “


उसका पलट कर देखना कोई इश्क़ नही था
वो तो ये देख रही थी कि मैं संभला कि नहीं ...

वो जो तेरे नाम की कसम 
जूठी खा रहे ...
वो जो कभी तुझको अपनी
ज़िंदगी कहा करतें थे...!!


किसी से नजदीकीयाँ बनाये रखनी है न
तो... दूरियाँ पर्याप्त बनाये रखेँ. . . .!


कि फ़ासले तो ग़लत-फ़हमियाँ बढ़ाते हैं...

 क़रीब आओ तो शायद समझ में आ जाए,
कि फ़ासले तो ग़लत-फ़हमियाँ बढ़ाते हैं...


कामयाबी:

एक मुस्कराहट, ..मसलों को हल करने के लिए,ll
और दूसरी ख़ामोशी ...मसलों से दूर रहने के लिए ll


दुःख की स्मृतियों की उम्र बहुत लंबी होती है...
सुख की स्मृतियां अक्सर अकाल मृत्यु पाती है....!!

Tuesday, 28 January 2020

सुनों...ज़िंदगी को वो सज़ा न बना ले मेरे बाद

सुनों...ज़िंदगी को वो सज़ा न बना ले मेरे बाद

उन्हें हौसला देना... .. . मेरे बाद...!!
शब्बाखैर हमदम


क़फ़स ही रही होगी.. मेरी मोहब्बत..

ख़ैर ! रुख़्सती दे दी.. चंद रोज़ पहले..!

क़फ़स
1.
पिंजड़ा।
2.
क़ैदख़ाना

इश्क़ में कौन बता सकता है


 इश्क़ में कौन बता सकता है
किस ने किस से सच बोला है


जो इन्सान धीरज रख सकता है..

वह अपनी इच्छानुसार सब कुछ पा सकता है..


मोहब्बत खुद बताती हैं..... कहां किसका ठिकाना हैं..!!
किसे आँखों में रखना हैं...... किसे दिल में बसाना हैं..!!!


शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है
- बशीर बद्र


साथ देने की क्या बात करते हो साहब हमने तो
उनके साथ छोड़ने मैं भी उन्हीं का साथ दिया।


तेरी बात, 'खामोशी' से मान लेना
यह भी अंदाज़ है, मेरी 'नाराज़गी' का...

हम चराग़ों की मदद करते रहे

हम  चराग़ों  की  मदद  करते रहे
और उधर सूरज बुझा डाला गया


चींटिया कितनी ही जमा हो जाये
गन्ना घसीटकर नही ले जा सकती.....


जिसकी अनुपस्थिति में भी तुम जिससे मानसिक संवाद करते हो,
उसके साथ तुम्हारा प्रेम होना तय है।


बेहतरीन होते हैं वो रिश्ते ,जो तकरार होने के बाद भी,

सिर्फ़ एक मुस्कुराहट से पहले जैसे हो जाए..


इक बार उसने देखा था, मुस्कुराते हुए,

इतनी सी हकीकत है, बाकी सब कहानियां...

दिखावे का ज़माना है साहेब


दिखावे का ज़माना है साहेब
ख़ुश रहने से ज़रूरी ख़ुश दिखना है
वरना ये दुनिया जीने नहीं देती ।


मुझे मोहब्बत है उस हर एक पत्थर से जिसनें,
मुझे ठोकर लगा, हर बार उठने का होंसला सिखाया


दरिया थे जितने ग़म के, वो मुझमें उतर गए

मैं चीख़ती रही ........ कि समंदर नहीं हूं मैं...

अनुभव कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं,


अनुभव कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं,

शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं...


कितना भी समेट लो..हाथों से फिसलता ज़रूर है..

ये वक्त है..बदलता ज़रूर है..


जिंदगी गुजर गयी....सबको खुश करने में ..
रूठा करते थे..वो अपने बहुत है.

Friday, 24 January 2020

बहुत ही आसान है, ज़मीं पर मकान बना लेना...

बहुत ही आसान है, ज़मीं पर मकान बना लेना...

दिल में जगह बनाने में ..ज़िन्दगी गुज़र जाती है..

वक़्त के साथ चलना कोई जरुरी नहीं..!!

 वक़्त के साथ चलना  कोई जरुरी नहीं..!!
सच के साथ चलिए एक दिन वक़्त आपके साथ चलेगा..!!!


यह पूर्णरूपेण सत्य है कि सौंदर्य वस्तुनिष्ठ है पर यह भी पूर्णतः सत्य है कि दृश्य की प्रमाणिकता सदैव ही द्रष्टा पर निर्भर करती है...

तुम्हारा नर्म लहजा कह रहा है
कि तुम नफ़रत से उकताए हुए हो

कैसे कह दू कोई रिश्ता नहीं तेरे मेरे दरमियान

कैसे कह दू कोई रिश्ता नहीं तेरे मेरे दरमियान
आज भी तेरा नाम सुनकर ये दिल धड़क जाता है..

नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरम्यां....
वो ग़लत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा...!


जलो वहीं जहाँ जरुरत हो,
उजालों में चिरागों के मायने नहीं होते ..

जिनका ये ऐलान है के वो मजे मैं है
या वो फकीर है या तो वो नशें में है ...

ऐसे माहौल में, दवा क्या है, दुआ क्या है...
जहां कातिल ही खुद पूछे, कि हुआ क्या है..

कल की चिंता नही...
उत्सुकता होनी चाहिये

Tuesday, 21 January 2020

चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,


चेहरे पर सुकून तो बस दिखाने भर का है,
वरना बेचैन तो हर शख्स जमाने भर का है..!!"


साथ लम्हो का... याद बरसों की..............
अच्छे लोगों कि बस यही बात बुरी लगती है..


काफी मुश्किलों से सँवारी है जिंदगी अपनी मैंने
की खुशियां भी आये तो डर से खुशी नही मना पाते !!!

अब उसको हमारा पता भी मालूम नहीं है
दर पर हमारे कभी डेरा जो लगाए रहता था

वो सूफ़ी का क़ौल हो या पंडित का ज्ञान

वो सूफ़ी का क़ौल हो या पंडित का ज्ञान
जितनी बीते आप पर उतना ही सच मान

—निदा फ़ाज़ली

तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़री
तुमने  तो  बस  पानी  भरना  छोड़   दिया

सफर कुछँ यूँ चला उन थोड़े से लम्हों में ,
वो अंधेरो मे गूम हो गयें और हम उजालें मे बदनाम

मानव संबंधो में
सबसे बड़ी ग़लती,, हम आधा सुनते हैं, चौथाई समझते हैं, शून्य सोचते हैं
लेकिन प्रतिक्रिया दुगुनी करते हैं..

झुठे इन्सान कि ऊंची आवाज
सच्चे इन्सान को खामोश करा देती है

लेकिन सच्चे इन्सान की  खामोशी
झुठे इन्सान की  बुनियाद हिला देती है..

सारी दुनिया के रूठ जाने से ..मुझे कोई दुख नही


“If you awake every morning with the thought that something wonderful will happen in your life today, you’ll often find that you’re right.” ―Nancy Sathre-Vogel


How far you go in life depends on you being tender with the young, compassionate with the aged, sympathetic with the striving and tolerant of the weak and the strong. Because someday in life you will have been all of these.


ऊपरवाला भी
विपरीत परिस्थितियाँ देकर
चेक करता है
सबर का मापदंड.......


सारी दुनिया के रूठ जाने से ..मुझे कोई दुख नही
बस ऐक तेरा ...खामोश रहना मुझे तकलीफ देता है ..

यूं न समझ की उम्र छीन लेगी खूबसूरती तेरी ,

 यूं न समझ की उम्र छीन लेगी खूबसूरती तेरी ,
मखमल में सलवटे भी बड़ी दिलकश लगती है..…!!

“हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समजते हैं,
उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में ।”

- बशीर बद्र

 वो गणित है जो एक और एक मिलकर ग्यारह बन गए
जो एक और एक मिलकर एक ही रह गए
वह इश्क़ है

 किरदार शिद्दत से निभाइये जिन्दगी में,
कहानी तो एक दिन सभी को बनना है

बहुत पास से देखा है हमने
तुम्हारा हमसे दूर जाना...

बेख़बर......बे वजह बेरूखि ना किया कर .....
कोई टूट सा जाता है ...तेरा लहजा बदलने से..

“मौसम बदले, न बदले
हमें उम्मीद की
कम से कम
एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए”

मुश्किल कार्य उन आसान कार्यों का ढेर है, जो हमने समय पर पूर्ण नहीं किए...!!!

ग़ज़ल सी है...... तेरी आंखें,


ग़ज़ल सी है...... तेरी आंखें,
कितना भी तुम छुपा लो... ये हकीकत बयां कर देती...!!

तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में,
तुझे ही वक्त नहीं दे पा रहे हम..
माफ करना ऐ जिंदगी,
तुझे ही नहीं जी पा रहे हम..!


जब किसी बात से हैरत न हो समझो
रोने का सलीक़ा आ गया....!


"दबी है आवाज़ दोनों के दरमियां तो क्या"                   
"बातें तो, ख़ामोश ख़्वाहिशें भी करती है"

मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता

मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आता
किसी को  छोड़ना हो तो  मुलाक़ातें  बड़ी  करना
- वसीम बरेलवी

"ग़लत बातों को ख़ामोशी से सुनना, हामी भर लेना
बहुत हैं फ़ाएदे इस में मगर अच्छा नहीं लगता"

—जावेद अख़्तर

कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
और डूबने वालों का जज़्बा भी नहीं बदला

 कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर,
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है...

कुछ फासले तुम भी तो मिटाओ...
हम तुम तक आएं भी तो कहाँ तक आएं..!

‘हमारे पास न तो आत्मा का प्रकाश है

 ‘हमारे पास न तो आत्मा का प्रकाश है
और न ही अंतःकरण का कोई आलोक :
यह हमारा विचित्र समय है!’

बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं

~फ़िराक़ गोरखपुरी

यही बहुत है कि उसने पलट के देख लिया,
ये लुफ्त भी मेरी उम्मीद से ज्यादा है

जाने क्या कशिश है उसकी मदहोंश आँखों में,
नजर अंदाज जितना करो नजर उस पे ही पड़ती है...!!

तुमने भी तो कोशिश नहीं की
       मुझे समझने की ,,
वरना ,,
       वजह कोई नहीं थी
तेरे और मेरे उलझने की,।।

गुमान ये है कि वो मेरे हैं,,
फिक्र ये कि आखिर कब तक...

मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका...

Thursday, 16 January 2020

तुमसे हो ना हो,

तुमसे हो ना हो,
तुम्हारे ख़यालों से ..
मेरे दिल का जायज़ राब्ता हैं ..

क्यूँ न फ़िरदौस में दोज़ख़ को मिला लें यारब
सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही


पेड़ का दुख तो कोई पूछने वाला ही न था
अपनी ही आग में जलता हुआ साया देखा

खामोशियां भी रिश्ते खा जाती है..!
थोडा ही सही ताल्लुक़ जिंदा रखिये....!!!

चल समेट ले फ़िर

 काफ़ी है मिरे दिल की तसल्ली को यही बात
आप आ न सके आप का पैग़ाम तो आया
- शकील बदायुनी

 चल समेट ले फ़िर
दामन की तलाश खत्म करे...

कैद कर लो इश्क़ की सलाखों मे
के ये आजादी  हमे रास नहीं आती

यकीनन वो शख्स..कुछ दिन और जीया होता..,
गर श्मशान पहुँचाने वाले कँधे..उसे पहले मिले होते..!!

बहुत चुपके से दिया था....
उसने गुलाब हमें ..
कमबख्त खुशबू ने कोहराम मचा दिया

 " यहाँ तो अपनी सांसे तक अपनी नहीं और
  में इस दुनिया में अपनापन ढूँढ  रहा था "

Wednesday, 8 January 2020

संयम क्या है......?

आपकी उपस्थिति से कोई व्यक्ति स्वयं के दुख भूल जाए,
यही आपकी उपस्थिति की सार्थकता है..

आँखों की गली में कोई आवारा सा आँसू
पलकों से तेरे घर का पता पूछ रहा है

जब देखो तौलने बैठ जाते है रिश्तों को,
ये भी तो बताये दूसरे पलड़े में रखते क्या है..



संयम क्या है......?
एक युद्ध.........
अपने ही विरूद्ध....

 "मत पूछ कि मेरा कारोबार क्या है
महोब्बत की छोटी सी दुकान है
नफ़रत के बाजार में...!!!"

शोहरत की बुलंदी भी, पल भर का तमाशा है
जिस डाल पे बैठे हो, वो टूट भी सकती है

~ बशीर बद्र

जो कह दिया वो शब्द थे;

जो कह दिया वो शब्द थे; जो नहीं कह सके, वो अनुभूति थी।
जो कहना है मगर ; कह नहीं सकते, वो मर्यादा है ! :

कोई हुनर , कोई राज , कोई राह , कोई तो तरीका बताओ....
दिल टूटे भी न, साथ छूटे भी न , कोई रूठे भी न , और ज़िन्दगी गुजर जाए।

Monday, 6 January 2020

जो जैसा होता है वैसा ही सोचता है,

जो जैसा होता है वैसा ही सोचता है,
मैने बुरा नही सोचा,उसने अच्छा नही सोचा....

कुछ बातें "समझाने" पर नहीं, बल्की "खुद" पर
 "बीत" जाने पर ही "समझ" आती हैं !

"हमेशा तर्क करने वाला दिमाग़, धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही ख़ून निकाल देता है।


न हथियार से मिलते हैं
न अधिकार से मिलते हैं....

दिलों पर कब्जे बस
अपने व्यवहार से मिलते है....

कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें

 कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता

“बनावट हो तो ऐसी हो कि जिस से सादगी टपके..”

“वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है”

—फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यूँ शब्दों में पिरो देना चाहते हैं ..... अपनी खामोशियो को....
जब भी लिखें , तुम्हारी ही महक से.. महक जाएँ हम.........!

Friday, 3 January 2020

घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ

 घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ  
इक दिन अपना पीछा कर के देखा जाए

मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत है,
कि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते...

 कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से,
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है

 “न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा 
 हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा  “

- राहत इंदोरी

जब तक आत्मविश्वास रूपी सेनापति आगे नहीं बढ़ता,
तब तक आपकी आतंरिक शक्तिया उसका मुह ताकती है !!

ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्ना..
ये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते..!!

जिंदगी  छूकर  जाती  है,
     कुछ  न  कुछ...
....खराश  छोड़  जाती  है..


पल एक पल यू थम सा गया,
तू इश्क़ के सारे रंग दे गया

ज़िद भी नहीं, जुनूँ भी नहीं, वहशत भी नहीं है 
फिर जो कर रहे हो मियाँ, मुहब्बत भी नहीं है

कोई शिकवा...न ग़म...न कोई याद...
बैठे बैठे बस...आंख भर आई...

कोई जिस्म को छुए बिना
आत्मा से लिपट जाए वही प्रेम है

परिवार के साथ धैर्य रखना प्रेम है।

परिवार के साथ धैर्य रखना प्रेम है।
अन्य व्यक्तिओं के साथ धैर्य आदर है।
स्वयं के साथ धैर्य को आत्मविश्वास कहते हैं।
और..
ईश्वर के साथ धैर्य का नाम श्रद्धा है।

ताकत आवाज़ में नही विचारो मैं रखो
क्योंकि फसल बारिश से होती है बाढ़ से नही..

मन में विश्वास रखकर कोई हार नही सकता...औऱ
मन में शंका रखकर कोई जीत नही सकता...

 "किसी का बर्तन खाली हो तो यह मत समझो कि "वो" माँगने आया
है, हो सकता है वो "सबकुछ" बाँट के आया हो

तहज़ीब में भी उसकी क्या ख़ूब अदा थी....
नमक भी अदा किया तो ज़ख़्मों पर छिड़क कर....

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

~Faiz Ahmad #Faiz

दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए,
जब तक न साँस टूटे जिए जाना चाहिए

ज़िन्दगी में मंज़िले तो मिल ही जाती हैं लेकिन वो लोग नहीं मिलते जिन्हें 
दिल से चाहा हो !"

नेकियाँ करते रहिए


नेकियाँ करते रहिए
क्योंकि•••••ये हमारी जीवन की सुरक्षा निधि है
हमारे जीवन में जब भी कभी तूफान आएगा...
तो... यही नेकियाँ... हमारे लिए कश्तियों का काम करेंगी...
💐💐💐💐💐💐💐
May the spirit of the season of New year fill your heart, with serenity and peace. Wishing you all a very Happy New Year!  

🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹

मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे 
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले

कुछ लोग थे कि वक्त के सांचों में ढल गये
कुछ लोग थे कि वक्त के सांचे बदल गये।

ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक 
न लो इंतिक़ाम मुझ से मिरे साथ साथ चल के

"प्रसन्न" "व्यक्ति" वह हैं जो "निरंतर"   "स्वंय" का "मूल्यांकन' करता हैं
"दुखी" "व्यक्ति" वह हैं जो "सदैव" "दूसरों" का "मूल्यांकन" करता हैं..

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...