Tuesday, 31 December 2019

इतना सहल नही है खुद को

 इतना सहल नही है खुद  को  
साबित  करना 

अल्फ़ाज़ो में  ढूंढ  लेते हैं  
नाराज़  होने का  बहाना..!!



 लगेगी आग तो आएँगे घर कई जद में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है


 दु:खी रहना है तो हर किसी में कमी खोजो..
सुखी रहना है तो दूसरों के गुण को देखो।


किरदार बेच देने का अंजाम ये हुआ,
दिल में उतरने वाले नज़र से उतर गए


 अपनों से बस उतना ही रूठो की
आपकी बात और 
सामने वाले की इज़्ज़त बरक़रार रहे...

Monday, 30 December 2019

व्यक्तित्व की भी अपनी

व्यक्तित्व की भी अपनी 
वाणी होती है 
जो कलम या जीभ के 
इस्तेमाल के बिना भी 
लोगों के अंर्तमन को छू जाती है..


कुछ ..
शब्द ही तो थे
जिनसे जाना था
तूने मुझे ..... मैंने तुझे ....

कुछ ख्वाहिशों का......
अधूरा रहना ही ठीक_है,

जिन्दगी जीने की ......
चाहत तो  बनी रहती है।


अहंकार की बस एक ख़राबी है..
ये कभी आपको महसूस ही नहीं होने देता 
कि आप ग़लत हैं.

यह एक बात समझने में देर हो गई

यह एक बात समझने में देर हो गई 
वो मुझसे जीत गया या मेरी हार हो गयी

 "जहाँ से तेरे महावर की कोई रेख दिखे ,
 किसी भी राह में वो मोड़ क्यूँ नहीं आता...!"

 Peace is not the absense of trouble, but the presence of God.

आस्मां को क्या खबर दुश्व्वारियाँ क्या थीं ?
इक सितारा ढूंढने में दिन निकल आया..

"उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है, फर्क नही पड़ता

"उम्र में, ओहदे में,  कौन कितना बड़ा है,  फर्क नही पड़ता 

सजदे में, लहजे में,  कौन कितना झुकता है,  बहुत फर्क पड़ता है....."

Saturday, 28 December 2019

लफ्ज तो करेगे .. ईशारा जाने का ...

 लफ्ज तो करेगे .. ईशारा जाने का ...
तुम आँखे पढना ...ओर रुक जाना..

चंद लम्हात की खुशी के लिए...
लोग बरसों उदास रहते हैं...

जब भी हो दीवार खड़ी कोई अपनों के बीच 
होगा दोनों सम्त बराबर असर ये समझे कब

सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं

 सदा ऐश दौराँ दिखाता नहीं
गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं

काबिल लोग ना तो किसी से दबते है.
और ना ही किसी को दबाते है

जबाब देना उन्हें भी. खूब आता है.....पर

कीचड़ में पत्थर कौन मारे, ये सोचकर चुप रह जाते है..

आज तो दिल के दर्द पर हँस कर,

दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने.

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया,

वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया...

मेरे शब्दों और अर्थों पर 
जिसका सम्राज्य है
मुझ पर भी होगा उसका आधिपत्य
जिस दिन जीत लेगा वो
मौन मेरा।।

क्षमता और ज्ञान को हमेशा अपना 

गुरू बनाओ अपना गुरुर नहीं..

तोहमतें कुछ इस क़दर
वो लगाते गए

हमारी ख़ामोशी को भी साज़िश बताते रहे

तुम्हें "तलब" कहूँ "ख़्वाहिश" कहूँ या ज़िन्दगी,

तुमसे तुम तक का "सफर" है "ज़िन्दगी" मेरी

Thursday, 26 December 2019

दरारें

दरारें
अपनों मे
इस कदर
न पड़ने देना
के मरम्मत में
गैरो की
ज़रूरत पड़ जाय..☘️

लहरों को शांत देख कर ये न समझना की समंदर में रवानी नहीं है.

लहरों को शांत देख कर ये न समझना की समंदर में रवानी नहीं है.

. जब भी उठेंगे तूफान बन के उठेंगे.. अभी उठने की ठानी नहीं है ..

जिनके बिना सासे नहीं चलती थी

जिनके बिना सासे नहीं चलती थी 
उनके बिना जी रहे है कुछ लोग


आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की,

आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की,
मुझे भी जिद है, वही आशियां बसाने की
हिम्मत और हौंसले बुलंद है,
खड़ा हूँ अभी गिरा नही हूँ,
अभी जंग बाकी है, और मै हारा भी नही हूँ। 

जब छलका रहा था वो आंखों से

जब छलका रहा था वो आंखों से
तो पीना हमें आता ना था
जब सलीका ए मैंयकशी सीखा हमने
तो साकी ने पेशा बदल लिया

मयख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से

 मयख़ाने की बात न कर वाइज़ मुझ से
आना जाना तेरा भी है मेरा भी.....

गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है 
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं

गुमशुदगी ही अस्ल में यारो राह-नुमाई करती है 
राह दिखाने वाले पहले बरसों राह भटकते हैं

ये न थी हमारी क़िस्मत के विसाले यार होता 
अगर और  जीते  रहते  यही  इन्तज़ार  होता 

वो जो उड़ जाते हैं तेरी पलकों की छत से....
वो कई ख्वाब मेरी आँखों मे आ बैठे हैं..

"हर रोज गिरकर भी, मुक्कमल खड़े हैं...!
ए जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं ...!!"

हमे कहाँ मालूम था कि इश्क़ होता क्या है 
बस, एक तुम मिले ओर जिंदगी मोहब्बत बन गई..

कभी होगा मेहरबां कभी बदगुमां होगा

कभी होगा मेहरबां कभी बदगुमां होगा
एक जैसा वो हर वक्त कहां होगा

अपनी हालत का ख़ुद एहसास नहीं है मुझ को...
मैं ने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं...

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते
 संबंधों की खुशहाली झुकने और सहने से बढती हैं !!!

जिंदगी वही है जो हम आज जी ले,
कल हम जो जिएंगे वो उम्मीद होगी...

कदर होती तो रुक जाते

 कदर होती  तो  रुक जाते 
मेरे  दूर होने  भर से 

क्यों  कहता है गम था 
तुझे मेरे  ना होने से ..!!

तुम्हारा नाम लिया था कभी मोहब्बत से..
मिठास उस की अभी तक मिरी ज़बान में है..!!

बेपनाह  मोहब्बत  का  आखरी  पड़ाव
           बस  एक  खामोशी

ये फ़क़ीरों की महफ़िल है, चले आओ मियाँ
ये भले लोग हैं, औक़ात नहीं पूछा करते

संबंध कभी भी जीतकर नहीं निभाए जा सकते
 संबंधों की खुशहाली झुकने और सहने से बढती हैं !!!

Wednesday, 25 December 2019

उस से मिलने की ख़ुशी ब'अद में दुख देती है

उस से मिलने की ख़ुशी ब'अद में दुख देती है
जश्न के ब'अद का सन्नाटा बहुत खलता है

~मुईन शादाब

निकले है वो लोग

निकले है वो लोग 

मेरी शख्सियत बिगाड़ने

जिनके ख़ुद के किरदार 

मरम्मत माँग रहे है..

Friday, 20 December 2019

leadership, it's empowering the people

I allow my employees flexibility in lunch time, breaks, sick days, family leave, further education, etc. I don't believe in micromanaging. It puts undue stress on employees. I train, coach and mentor but I don’t have the time to micromanage.

If you hired someone, it means you believe they are capable of doing the job. Then trust them to get the job done.  You don’t need to be constantly monitoring their every movement. Micromanagement breeds resentment and disloyalty.

In an AI age characterized by disruption and ambiguous change, we need to rethink how we lead people. It’s no secret that technology is transforming the workplace, and unfortunately, employee morale is only getting worse. As organizations continue to focus on this technology, they are overlooking the most important part of the equation - the people side of the disruption. Disruption isn’t solely about how you manage the technology; it’s how you lead the people. Technology is a tool that empowers change, but people make it happen.

What do employees want? Employees want to feel like they belong, are heard and appreciated. Ping pong tables and sweet treats are not enough. Engagement doesn’t have to be a challenge. Today, it can be accomplished by using digital tools. It’s all about building a culture of feedback and continuous conversations. My aim is to create an environment where employees feel safe and comfortable to express themselves. 

As someone who travels a lot. I have had to get a little creative when it comes to engaging employees. I take advantage of systems as video conferencing and virtual meetings, which makes it easier to interact and connect with my employees. Weekly, I try to include 2 virtual coffee breaks. Additionally, once every three months, we meet up for a themed virtual party. Our next party is Thursday and of course the theme is Christmas. It’s important to use technology not just in a transactional way. Have fun! It doesn’t need to be overly formal. Employees will look forward to these activities.

Results should be measured instead of hours spent behind a physical desk.

My employees don’t need to be in the office every day. My new employee asked to work from home, then started to feverishly explain. This is what I told her, "I don't need to know the details. I do not pay for seat warmers. Come to the office fine. 9 to 5? Fine. Work from home. Fine. Work from the garage while they fix your car? Fine. Everybody works at a different pace. You choose how to get your work done. Keep clients happy. I am happy."

The future lies in flexible work patterns. Allowing employees to work from anywhere using technology doesn’t have to slow down productivity. It's 2019 not 1919. Digital tools allow us to collaborate across time and space effectively.

The best ideas and advancements are a result of empowering your team. If you want performance at scale, select the right people, provide them with the tools and support, and give them the room to get the job done.


Thursday, 19 December 2019

"उम्र में, ओहदे में, कौन कितना बड़ा है, फर्क नही पड़ता

 ये मत समझ के तेरे काबिल नहीं हैं हम,
तड़प रहें हैं वो जिन्हें हासिल नहीं हैं हम

“जिस सादगी ने मुझे कहीं का नहीं रखा
वो आज कह रही है कुछ तो गुनाह कर..

"उम्र में, ओहदे में,  कौन कितना बड़ा है,  फर्क नही पड़ता 
सजदे में, लहजे में,  कौन कितना झुकता है,  बहुत फर्क पड़ता है....."

 अगर ज़िन्दगी का साथी लाचार हो जाए
तो उसे छोड़ा नहीं, संभाला जाता हैं..

अधिक दूर देखने की चाहत में...     
बहुत कुछ पास से गुज़र जाता है....


रौशनी की दुहाई देते हैं 
अब चिराग़ों को बुझाने वाले

कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !

 कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम !
और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है ...

अब डर घाव से नहीं
         लोगों के

 लगाव से लगता है,,।।

जिंदगी को खुला छोड़ दो जीने के लिए...…
अक्सर संभाल कर रखी हुई चीजें वक्त पर नहीं मिलती..

ये अलग बात है कि .... वो .... मुझे हासिल नहीं है .... !
मगर उसके सिवा कोई ... मेरे ...इश्क के काबिल नहीं है ....!

दुसरो को सुनाने के लिए अपनी आवाज ऊँची मत करो बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाओ कि आपको सुनने के लिए लोग इंतज़ार करे

मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, 
रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है..

Tuesday, 17 December 2019

न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में

न जाने कट गया किस बे-ख़ुदी के आलम में
वो एक लम्हा गुज़रते जिसे ज़माना लगे

यादों पर कहाँ किसका जोर है
पर तुझे सोचने का मजा ही और है

 डूबी हैं मेरी उंगलियां मेरे ही लहू में 
ये कांच के टुकड़ो पर भरोसे की सजा है.

आसान किस क़दर है समझ लो मिरा पता,

 आसान किस क़दर है समझ लो मिरा पता,
बस्ती के बाद पहला जो वीराना आएगा...

जिन्दगी इतनी भी मुश्किल नही जितनी हम समझ लेते हैं
बस चंद लोगो को नज़र अंदाज ही त़ो करना है

होती तो हैं ख़ताएँ, हर एक से मगर..।
कुछ जानते नहीं हैं, कुछ मानते नहीं..

रिश्ते चन्दन की तरह  रखने चाहिए,
चाहे टुकड़े हज़ार भी हो जाएं  पर सुगन्ध न जाए..

आपका मक़सद पुराना है मगर ख़ंजर नया 
मेरी मजबूरी है यह, लाऊं कहां से सर नया

Sunday, 15 December 2019

इनसे लड़ने की हिम्मत बढ़ाओ लोगों,

 इनसे लड़ने की हिम्मत बढ़ाओ लोगों,
हादसे टलते नहीं, हादसों पे रोने से!

"मौन" क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है...!
अपने खिलाफ बाते खामोशी से सुन लो...
यकीन मानो "वक्त" बेहतरीन जवाब देगा...

 जिसकी कामयाबी
 रोकी नही जा सकती

उसकी बदनामी
शुरू की जाती है..!

 बिछड़ते वक्त ऐसा भी हुआ है 
किसी की सिसकियाँ अच्छी लगीं है

 ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई..
- मुज़फ़्फ़र रज़्मी

 हमारी तो तासीर ही यूँ है तावीजों की तरह....
जिसके भी गले मिलते हैं उसकी बरकत हो जाती है....

कमजोर  लोग  केवल  इच्छा  करते हैं 
महान  लोगों  में  इच्छाशक्ति  होती है

"कमजोरियां मत खोज मुझमें मेरे दोस्त,
एक तू भी शामिल है मेरी कमजोरियों मे...!"

"उम्र के काग़ज़ पर

"उम्र के काग़ज़ पर
तेरे इश्क़ ने अँगूठा लगाया,

हिसाब कौन चुकाएगा!"

 वो एक शख़्स अँधेरों में जिस ने छोड़ दिया 
वो अब भी रहता है आँखों में रौशनी की तरह

 यूँ हरारत से बर्फ की तरह पिघलती है तेरी याद...
बूँद बूँद आँखों से टपकती रही रात भर...

 पुराने लोग नया हौसला तो क्या देंगे
बुजुर्गों से मगर मिलते रहो दुआ देंगे

रात तो हो पर अंधेरा नहीं होना चाहिए

 रात तो हो पर अंधेरा नहीं होना चाहिए
तु बनकर चांदनी फैली रहें मेरे जीवन में

 ख़ुद मझधार में होकर भी, जो औरों का साहिल होता है
ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं, जो निभाने के क़ाबिल होता है..

बैठे हैं यूं ही बेकार से, वक्त के कतरे उठा रहे हैं
ना किसीको याद कर रहे हैं ना किसीको याद आ रहें हैं

सवाल ये नहीं रफ़्तार किसकी कितनी है

सवाल ये नहीं रफ़्तार किसकी कितनी है
सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है,

"आवाज" ऊँची होगी तो कुछ लोग सुनेगें,
किन्तु "बात" ऊँची होगी तो बहुत लोग सुनेगें.

कभी तो मैं हक़ से कह पाउँ कि....
 "तुम मेरे हो..!"

बेहद करीब है वो शख्स...आज भी मेरे इस दिल के...

 बेहद करीब है वो शख्स...आज भी मेरे इस दिल के...
जिसने खामोशियों का सहारा लेकर...दूरियों को अंजाम दिया..

ज़रा सी उदासी देखे, और वो क़ायनात पलट दे...
ऐसा भी एक यार होना चाहिये...

रात  थी  जब  तुम्हारा  शहर  आया
फिर भी खिड़की तो मैं ने खोल ही ली

उस गली ने ये सुन के सब्र किया...
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं..

अज़ीज़  इतना  ही  रक्खो  कि  जी  सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

हाल जैसा भी सही, साँस तो जारी है अभी, देख ज़िन्दा हैं तेरे इश्क़ में हारे हुए लोग...

"है इन्हीं धोखों से दिल की ज़िंदगी
जो हसीं धोखा हो, खाना चाहिए"

 उस गली ने ये सुन के सब्र किया
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं

परम सौभाग्यशाली वह हैं,जिनके पास..भोजन के साथ भूख है,
सेज के साथ नींद है, धन के साथ उदारता है,विशिष्टता के साथ शिष्टता है..

 सुख व्यक्ति के अहंकार की परीक्षा लेता है
बकि दुख व्यक्ति के धैर्य की..

बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं 'फ़राज'
कच्चा तेरा मकान है कुछ तो ख़्याल कर-
अहमद फ़राज़

ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए मोहब्बत के बावजूद
महसूस  की  है  तेरी  ज़रूरत  कभी  कभी

पीपल के पत्तों जैसा मत बनो जो
वक्त आने पर सूख कर गिर जाते है ....

बनना है तो मेहँदी के पत्तों जैसा बनो
जो पिस कर भी दूसरों की जिंदगी में रँग भर देते हैं ।

रंजिश थोड़ी हो चलता है मगर,
ज़्यादा तल्ख़ी अच्छी नहीं लगती
मौसमों की बात और है,
रिश्तों में ज़्यादा सर्दी अच्छी नहीं लगती

हाल जैसा भी सही,  साँस तो जारी है अभी,
देख ज़िन्दा हैं तेरे इश्क़ में हारे हुए लोग...

Sunday, 8 December 2019

10 mistakes:

Everybody makes mistakes—that’s a given—but we don't always learn from them. Sometimes we make the same mistakes over and over again, fail to make any real progress, and can’t figure out why.

“Mistakes are always forgivable, if one has the courage to admit them.” – Bruce Lee

When we make mistakes, it can be hard to admit them because doing so feels like an attack on our self-worth. This tendency poses a huge problem because new research proves something that common sense has told us for a very long time—fully acknowledging and embracing errors is the only way to avoid repeating them.

Yet, many of us still struggle with this.

Researchers from the Clinical Psychophysiology Lab at Michigan State University found that people fall into one of two camps when it comes to mistakes: those who have a fixed mind-set (“Forget this; I’ll never be good at it”) and those who have a growth mind-set (“What a wake-up call! Let’s see what I did wrong so I won’t do it again”).

"By paying attention to mistakes, we invest more time and effort to correct them," says study author Jason Moser. "The result is that you make the mistake work for you."

Those with a growth mind-set land on their feet because they acknowledge their mistakes and use them to get better. Those with a fixed mind-set are bound to repeat their mistakes because they try their best to ignore them.

Smart, successful people are by no means immune to making mistakes; they simply have the tools in place to learn from their errors. In other words, they recognize the roots of their mix-ups quickly and never make the same mistake twice.

“When you repeat a mistake it is not a mistake anymore: it is a decision.” – Paulo Coelho

Some mistakes are so tempting that we all make them at one point or another. Here are 10 mistakes almost all of us make, but smart people only make once.

#1 - Believing in someone or something that’s too good to be true. 

Some people are so charismatic and so confident that it can be tempting to follow anything they say. They speak endlessly of how successful their businesses are, how well liked they are, who they know, and how many opportunities they can offer you. While it’s, of course, true that some people really are successful and really want to help you, smart people only need to be tricked once before they start to think twice about a deal that sounds too good to be true. The results of naivety and a lack of due diligence can be catastrophic. Smart people ask serious questions before getting involved because they realize that no one, themselves included, are as good as they look.

#2 - Doing the same thing over and over again and expecting a different result. 

Albert Einstein said that insanity is doing the same thing and expecting a different result. Despite his popularity and cutting insight, there are a lot of people who seem determined that two plus two will eventually equal five. Smart people, on the other hand, need only experience this frustration once. The fact is simple: if you keep the same approach, you’ll keep getting the same results, no matter how much you hope for the opposite. Smart people know that if they want a different result, they need to change their approach, even when it’s painful to do so.

#3 - Failing to delay gratification. 

We live in a world where books instantly appear on our e-readers, news travels far and wide, and just about anything can show up at our doorsteps in as little as a day. Smart people know that gratification doesn’t come quickly and hard work comes long before the reward. They also know how to use this as motivation through every step of the arduous process that amounts to success because they’ve felt the pain and disappointment that come with selling themselves short.

#4 - Operating without a budget.

You can’t experience financial freedom until you operate under the constraint of a budget. Sticking to a budget, personally and professionally, forces us to make thoughtful choices about what we want and need. Smart people only have to face that insurmountable pile of bills once before getting their act together, starting with a thorough reckoning as to where their money is going. They realize that once you understand how much you’re spending and what you’re spending it on, the right choices become clear. A morning latte is a lot less tempting when you’re aware of the cost: $1,000 on average per year. Having a budget isn’t only about making sure that you have enough to pay the bills; smart people know that making and sticking to a strict budget means never having to pass up an opportunity because they’ve blown their precious capital on discretionary expenditures. Budgets establish discipline, and discipline is the foundation of quality work.

#5 - Losing sight of the big picture. 

It’s so easy to become head-down busy, working so hard on what’s right in front of you that you lose sight of the big picture. But smart people learn how to keep this in check by weighing their daily priorities against a carefully calculated goal. It’s not that they don’t care about small-scale work, they just have the discipline and perspective to adjust their course as necessary. Life is all about the big picture, and when you lose sight of it, everything suffers.

#6 - Not doing your homework. 

Everybody’s taken a shortcut at some point, whether it was copying a friend’s biology assignment or strolling into an important meeting unprepared. Smart people realize that while they may occasionally get lucky, that approach will hold them back from achieving their full potential. They don’t take chances, and they understand that there’s no substitute for hard work and due diligence. They know that if they don’t do their homework, they’ll never learn anything—and that’s a surefire way to bring your career to a screeching halt.

#7 - Trying to be someone or something you’re not. 

It’s tempting to try to please people by being whom they want you to be, but no one likes a fake, and trying to be someone you’re not never ends well. Smart people figure that out the first time they get called out for being a phony, forget their lines, or drop out of character. Other people never seem to realize that everyone else can see right through their act. They don’t recognize the relationships they’ve damaged, the jobs they’ve lost, and the opportunities they’ve missed as a result of trying to be someone they’re not. Smart people, on the other hand, make that connection right away and realize that happiness and success demand authenticity.

#8 - Trying to please everyone.

Almost everyone makes this mistake at some point, but smart people realize quickly that it’s simply impossible to please everybody and trying to please everyone pleases no one. Smart people know that in order to be effective, you have to develop the courage to call the shots and to make the choices that you feel are right (not the choices that everyone will like).

#9 - Playing the victim. 

News reports and our social media feeds are filled with stories of people who seem to get ahead by playing the victim. Smart people may try it once, but they realize quickly that it’s a form of manipulation and that any benefits will come to a screeching halt as soon as people see that it’s a game. But there’s a more subtle aspect of this strategy that only truly smart people grasp: to play the victim, you have to give up your power, and you can’t put a price on that.

#10 - Trying to change someone. 

The only way that people change is through the desire and wherewithal to change themselves. Still, it’s tempting to try to change someone who doesn’t want to change, as if your sheer will and desire for them to improve will change them (as it has you). Some even actively choose people with problems, thinking that they can “fix” them. Smart people may make that mistake once, but then they realize that they’ll never be able to change anyone but themselves. Instead, they build their lives around genuine, positive people and work to avoid problematic people that bring them down.

Bringing It All Together

Emotionally intelligent people are successful because they never stop learning. They learn from their mistakes, they learn from their successes, and they’re always changing themselves for the better.

Do you operate from a growth mind-set or a fixed mind-set? Please share your thoughts in the comments section below, as I learn just as much from you as you do from me.

Wednesday, 4 December 2019

अहमियत उन्हीं की रखिये...

 अहमियत उन्हीं की रखिये...
जो अहम् ना रखते हो...!!

ख्वाहीशों ने ही भटकाए है ,जिंदगी के सब रास्तें ....
वरना रूह तो उतरी थी ज़मीन पर मंज़िल का पता लेकर ..!!”


मसला ये नहीं हम मसरूफ कितने है
मुद्दा ये कि तुम्हें मेरी ज़रुरत कितनी है

 इश्क़ गर चांद से हो जाए तो....
दूरियां मायने नही रखती...!!

 कह देना समुन्दर से हम ओस के मोती हैं,
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आएंगे...

बंदगी  के मुझे आते  हैं , सलीके सारे.
उसको , फुर्सत ही नही मेरा ख़ुदा होने की......

 रस्ता भी कठिन धूप में शिद्दत भी बहुत थी
साए से मगर उस को मोहब्बत भी बहुत थी

राह तो बड़ी सीधी है...
मोड़ तो सारे मन के हैं...

कायदे से जिसे भूल न पाए हम

कायदे से जिसे भूल न पाए हम
बग़ैर हमारे वे जीना सीख गए.!!

विकल्प बहुत हैं बिखरने के लिए,
संकल्प एक ही पर्याप्त है सँवरने के लिए..

 गिरते हुए पत्तो ने समझाया
बोझ बन जाओगे
तो अपने भी गिरा देंगे...!!

 “जब ठोकरें खाकर भी ना गिरो तो समज़ना ..
की किसी की दुआओं ने थाम रखा है ...!!”

घमंड की बीमारी 'शराब' जैसी है साहब;

घमंड की बीमारी 'शराब' जैसी है साहब;
खुद को छोड़कर सबको पता चलता है कि 
इसको चढ़ गयी है..

 सच्चाई और अच्छाई की 
तलाश में चाहे पुरी दुनिया घूम लो…
अगर वह खुद में नहीं तो कहीं भी नहीं

सुनों द्रोपदी शस्त्र उठा लो..
अब गोविंद न आएंगे..


सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो कभी आँखें भी पढ़ो,

सिर्फ लफ़्ज़ों को न सुनो कभी आँखें भी पढ़ो, 
कुछ सवाल बड़े खुद्दार हुआ करते हैं

लफ्जों के वजन से थक जाती है जुबान कभी कभी...
पता नहीं खामोशी...मजबूरी है या समझदारी..

 सबको खुश रखने की चाह में,
अक्सर हम अपनी खुशियों को भी खो देते है...!!

जहां तक रास्ता ले जाए चले जा

 जहां तक रास्ता ले जाए चले जा 
तेरी मंजिल के तो दावेदार बहुत है

 रुतबा तो खामोशियों का होता है
अल्फ़ाज़ तो बदल जाते है लोग देखकर

रख लो आईने हज़ार , तसल्ली के लिए 
पर सच के लिए तो , आँखें ही मिलानी प़डेगी 

खुद से भी और खुदा से भी..
 ख़ामोशी में चाहे जितना बेगाना-पन हो 

लेकिन इक आहट जानी-पहचानी होती है
शब्दों" को दो ही लोग ढंग से पढ़ते और समझते हैं..

ज्ञान प्राप्त करने वाले,
और ग़लती निकालने वाले..

मेरे    आँसू    भी   है़रान   हुए   जाते   हैं
मैं रोने की ह़द तक जाकर लौट आता हूँ

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूं मैं

तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूं मैं

कि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा।

गुरु वही श्रेष्ठ होता है जिसकी प्रेरणा से किसी का चरित्र बदल जाये..
और
मित्र वही श्रेष्ठ होता है जिसकी संगत से रंगत बदल जाये..

बड़प्पन वह गुण है जो पद से नहीं
    
संस्कारों से प्राप्त होता है..

जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि
सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ
उसकी सोच हमसे अलग है
उस दिन जीवन से
दुःख समाप्त हो जायेंगे..

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना,

हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है

*जीवन में अगर 'खुश' रहना है तो,*
*स्वयं को एक 'शांत सरोवर' की तरह बनाए.....*
*जिसमें कोई 'अंगारा' भी फेंके तो..*
*खुद बख़ुद ठंडा हो जाए.....!!!!*

यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है,

किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...