Monday, 1 July 2019

संस्कार:

बात बात में मां बाप का टोकना हमें अखरता है । हम भीतर ही भीतर झल्लाते है कि कब इनके टोकने की आदत से हमारा पीछा जुटेगा । लेकिन हम ये भूल जाते है कि उनके टोकने से जो संस्कार हम  ग्रहण कर रहे हैं, उनकी जीवन में क्या अहमियत है । इसी पर एक लेख किसी भाई ने भेजा है, जिसे मैं आगे शेयर करने से अपने आप को रोक नहीं पाया ।

*साक्षात्कार*

बड़ी दौड़ धूप के बाद ,
मैं  आज एक ऑफिस में  पहुंचा,
आज मेरा पहला इंटरव्यू था ,
घर से निकलते हुए मैं  सोच रहा था,
काश ! इंटरव्यू में आज
कामयाब हो गया , तो अपने
पुश्तैनी मकान को अलविदा
कहकर यहीं शहर में सेटल हो जाऊंगा, मम्मी पापा की रोज़ की
चिक चिक, मग़जमारी से छुटकारा मिल जायेगा ।

सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली चिक चिक  से परेशान हो गया हूँ ।

जब सो कर उठो , तो पहले
बिस्तर ठीक करो ,
फिर बाथरूम जाओ,
बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है
*नल बंद कर दिया?*
*तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया?*
नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है
*पंखा बंद किया या चल रहा है?*
क्या - क्या सुनें यार ,
*नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा..*

वहाँ उस ऑफिस में बहुत सारे उम्मीदवार बैठे थे , बॉस का इंतज़ार कर रहे थे  ।
दस बज गए  ।

मैने देखा वहाँ आफिस में बरामदे की बत्ती अभी तक जल रही है ,
*माँ याद आ गई* , तो मैने बत्ती बुझा दी ।

ऑफिस में रखे *वाटर कूलर से पानी टपक रहा था* ,
पापा की डांट याद आ गयी , तो *पानी बन्द कर दिया ।*

बोर्ड पर लिखा था , इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा ।

*सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी* , बंद करके आगे बढ़ा ,
तो एक कुर्सी रास्ते में थी , *उसे हटाकर ऊपर गया* ।

🌷देखा पहले से मौजूद उम्मीदवार जाते और फ़ौरन बाहर आते ,
पता किया तो मालूम हुआ बॉस
फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं ,
वापस भेज देते हैं ।🌷

नंबर आने पर मैने फाइल
मैनेजर की तरफ बढ़ा दी ।
कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा
*"कब ज्वाइन कर रहे हो?"*

उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे
मज़ाक़ हो ,
वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगे , *ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है ।*

आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं ,
*सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा* ,
*सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया ।*

*धन्य हैं तुम्हारे माँ बाप , जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए ।*

*जिस इंसान के पास Self discipline नहीं वो चाहे कितना भी होशियार और चालाक हो , मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धूप में कामयाब नहीं हो सकता ।*

घर पहुंचकर मम्मी पापा को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया ।

*अपनी ज़िन्दगी की आजमाइश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से , मुझे जो सबक़ हासिल हुआ , उसके मुक़ाबले , मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ पढ़ाई लिखाई ही नहीं , तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...*

संसार में जीने के लिए संस्कार  जरूरी है ।

संस्कार के  लिए मां  बाप का सम्मान  जरूरी है ।

*जिन्दगी रहे ना रहे , जीवित रहने का स्वाभिमान जरूरी है ।*

यह पोस्ट मेरा खुद का सोच नही है
(अच्छा लगा तो कॉपी पेस्ट कर दिया)

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