जलानेवाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की
तआल्लुक फरेब होता है ,
तुम गैर ही अच्छे हो ..!!
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं !
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं !
खामोशी इतनी गहरी कर ली
बेकद्री करने वालों की
चीखें निकल गई
चीखें निकल गई
पहले तराशा काँच से उसने मेरा वजूद,
फिर शहर भर के हाथ में पत्थर थमा दिए।
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