दरवाज़े पे दस्तक को मुद्दतों कान लगाये बैठा हूँ
खैर कोई नही आना, पर खुद को बहलाए बैठा हूँ
खैर कोई नही आना, पर खुद को बहलाए बैठा हूँ
धड़कनों, खुद पे काबू रखना जब उनसे मुलाकात हो,
तुम्हारी रफ़्तार मेरी बेकरारी का सबूत ना दे दे कही...
तुम्हारी रफ़्तार मेरी बेकरारी का सबूत ना दे दे कही...
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