Sunday, 14 July 2019

खड़ा होकर ये चौराहे पे अक्सर सोचता हूं मैं


खड़ा होकर ये चौराहे पे अक्सर सोचता हूं मैं
कहीं जाने की ख़ातिर तीन राहें छोड़नी होंगी...
मंज़िल को सर पे रख के मुसाफ़िर सफ़र न कर
या तो सफ़र का लुत्फ़ ले या फिर सफ़र न कर...
जीत तेरा ही मुक़द्दर थी सो तू जीत गया..
वर्ना हारे हुए लश्कर में सिकंदर थे बहुत..!!
Nobody knows everything. So don’t worry about coming across as being ignorant, everybody is. Admit ignorance, keep learning, and succeeding.
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ,
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ..
न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं,
जो बोलूँ सच तो चकना-चूर हो जाऊँ..
थोड़ा सा सुकून ढूंढे जनाब
ये ज़रूरतें तो कभी ख्तम नहीं होती..
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था,
मुझे बस 'वो' उसे 'सारा ज़माना' चाहिए था..!
हमने दरवाज़ा दे दिया था उसे...
अब... वो कहता है दस्तकें भी दो
फ़ासलों का एह्सास तब हुआ,
जब मैंने कहा ठीक हूँ ...!
और उसने मान  लिया ...!!
अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो,
कुछ नहीं आसमान में रक्खा...
मरहम न सही एक जख्म ही दे दे
महूसस तो हो के कोई हमें भुला नही..
लोग आपके बारे में अच्छा
  सुनने पर शक करते हैं,
     लेकिन कुछ बुरा सुनने पर
      तुरंत यकीन कर लेते है!

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