Sunday, 14 July 2019

जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है


जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है,
सुकून वही से शुरू होता है.
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
मुश्किल लिखना आसाँ है
आसाँ लिखना मुश्किल है
यही अदा ए हया जान है मुहब्बत की
जो नीची नज़रों से कहती है हम तुम्हारे हैं...
बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूं लेकिन......!!
मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है......!!!!

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