Thursday, 4 July 2019

तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा,

तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा,
पलट के देखा तो महताब मेरे सामने था
चंद लमहों में गुजर गई वो घड़ियां,
जिनके इंतजार में सदियों के फासले थे...
मंज़र धुंधला हो सकता है ,मंज़िल नहीं
दौर बुरा हो सकता है , ज़िन्दगी नहीं
तुम समझते नहीं वरना
ये अश'आर नहीं इशारे है
अजीब शख़्स था लौटा गया सब कुछ
मुआवज़ा भी न लिया देख-भाल का

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