Monday, 30 May 2016

आदर्श अपनाओ:

रोटी या सुरा या लिवास की तरह कला भी मनुष्य की बुनियादि ज़रूरत है। उसका पेट जिस तरह से खाना माँगता है, वैसे ही उसकी आत्मा को भी कला की भूख सताती है।

ये मत मानिये क़ि जीत सब कुछ ह, अधिक महत्व इस बात का है कि  आप किसी आदर्श के लिए संघर्षरत हो। यदि आप किसी आदर्श पर डट ही नहीँ सकते तो आप जीतेंगे क्या?

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