Monday, 16 May 2016

अपनी गृहस्ती:

अपनी गृहस्थी को कुछ इस तरह बचा लिया
कभी आँखें दिखा दी कभी सर झुका लिया

आपसी नाराज़गी को लम्बा चलने ही न दिया
कभी  वो  हंस पड़े  कभी मैं मुस्करा दिया

रूठ कर बैठे  रहने से  घर भला कहाँ चलते हैं
कभी उन्होंने गुदगुदा दिया कभी मैंने मना लिया

खाने पीने  पे  विवाद कभी होने  ही  न दिया
कभी गरम खा ली कभी बासी से काम चला लिया

मीया हो या बीबी महत्व में कोई भी कम नहीं
कभी खुद डॉन बन गए कभी उन्हें बॉस बना दिया

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