हर शाम जल्द सोने की आदत ही पड़ गई,
हर रात एक ख़्वाब ज़रूरी सा हो गया
मैं ऐसे मोड़ पर अपनी कहानी छोड़ आया हूँ
किसी की आँख में पानी ही पानी छोड़ आया हूँ
जाहिद ने मैकशी की इजाज़त तो दी मगर,
रखी है इतनी शर्त, खुदा से छुपा के पी...
ख़ामख़ा ही बदनाम है वक़्त बेचारा,
अदावत उससे होनी चाहीए जिसने घड़ी ईजाद की।
पसंद हैं मुझे
उन लोगों से हारना।
जो मेरे हारने की वजह से
पहली बार जीते हों।।
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