मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ मगर.....
आज तक तेरे खतों से तेरी खुशबू नहीं गई
जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है
उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है
एक दिन परमात्मा मुझसे बोले तुम्हें सब शिकायतें मुझसे ही हैं....
मैनें भी सर झुका के कह दिया मुझे सब उम्मीदें भी तो आपसे हैं
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