Sunday, 29 May 2016

सम्भव की सीमाओं से आगे बढ़ो:

If what you have done yesterday still looks big to you, you haven't done much today. -Mike Krzyzewski

सम्भव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है कि उनसे थोड़ा आगे असम्भव के दायरे में निकल जाये।

मेरी समंदर से मुहब्बत, कुछ उसके साहिलों की है |
रेत के हर जर्रे में कहानी, कितने ही काफिलों की है |

व्यव्हररकुशलता उस कला का नाम है जिसमें आप मेहमानों को  घर जैसा आराम दें और मन ही मन मनाते भी जाएँ कि वे अपनी तशरीफ़ ले जाएँ।

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