Sunday, 28 July 2019

गंवार:

#गवाॅर......
एक लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ एक
सिधे
साधे लड़के से की जाती है जिसके घर मे एक मां के
आलावा
और कोई नहीं है।
दहेज मे लड़के को बहुत सारे उपहार और पैसे मिले
होते हैं ।
लड़की किसी और लड़के से बेहद प्यार करती थी
और लड़का
भी...
लड़की शादी होके आ गयी अपने ससुराल...सुहागर
ात के
वक्त लड़का दूध लेके आता है तो दुल्हन सवाल
पूछती है
अपने पति से...एक पत्नी की मर्जी के बिना पति
उसको
हाथ लगाये तो उसे बलात्कार कहते है या हक?
पति - आपको इतनी लम्बी और गहरी जाने की
कोई
जरूरत नहीं है..
बस दूध लाया हूँ पी लिजीयेगा.. . हम सिर्फ आपको
शुभ
रात्रि कहने आये थे कहके कमरे से निकल जाता
है। लड़की
मन मारकर रह जाती है क्योंकि लड़की चाहती थी
की
झगड़ा हो ताकी मैं इस गंवार से पिछा छुटा सकूँ ।
है तो दुल्हन मगर घर का कोई भी काम नहीं
करती। बस
दिनभर online रहती और न जाने किस किस से
बातें
करती मगर उधर लड़के की माँ बिना शिकायत के
दिन भर
चुल्हा चौका से लेकर घर का सारा काम करती
मगर हर
पल अपने होंठों पर मुस्कुराहट लेके फिरती ।
लड़का एक
कम्पनी मे छोटा सा मुलाजीम है और बेहद ही
मेहनती और
इमानदार। करीब महीने भर बित गये मगर पति
पत्नी
अब तक साथ नहीं सोये... वैसे लड़का बहुत शांत
स्वाभाव
वाला था इसलिए वह ज्यादा बातें नहीं करता था,
बस
खाने के वक्त अपनी पत्नी से पूछ लेता था कि...
.कहा
खाओगी..अपने कमरे मे या हमारे साथ। और सोने
से पहले
डायरी लिखने की आदत थी जो वह हर रात को
लिखता
था।
ऐसे लड़की के पास एक स्कूटी था वह हर रोज
बाहर
जाती थी पति के अफीस जाने के बाद और पति के
वापस
लौटते ही आ जाती थी। छुट्टी का दिन था लड़का
भी
घर पे ही था तो लड़की ने अच्छे भले खाने को भी
गंदा
कहके मा को अपशब्द बोलके खाना फेंक देती है
मगर वह
शांत रहने वाला उसका पति अपनी पत्नी पर हाथ
उठा
देता है मगर माँ अपने बेटे को बहुत डांटती है। इधर
लड़की को बहाना चाहिए था झगड़े का जो उसे मिल
गया
था, वह पैर पटकती हुई स्कूटी लेके निकल पड़ती
है। लड़की
जो रोज घर से बाहर जाती थी वह अपने प्यार से
मिलने
जाती थी, लड़की भले टूटकर चाहती थी लड़के को
मगर
उसे पता था की हर लड़की की एक हद होती है जिसे
इज्जत कहते है वह उसको बचाये रखी थी। इधर
लड़की
अपने प्यार के पास पहुँचकर कहती है।
अब तो एक पल भी उस घर मे नहीं रहना है मुझे ।
आज
गंवार ने मुझपर हाथ उठाके अच्छा नही किया ।
लड़का - अरे तुमसे तो मैं कब से कहता हूँ की भाग
चलो मेरे
साथ कहीं दूर मगर तुम हो की आज कल आज कल
पे लगी
रहती हो।
लड़की - शादी के दिन मैं आई थी तो तुम्हारे पास।
तुम
ही ने तो लौटाया था मुझे ।
लड़का - खाली हाथ कहा तक भागोगे तुम ही
बोलो..मैंने
तो कहा था कि कुछ पैसे और गहने साथ ले लो तुम
तो
खाली हाथ आई थी।
आखिर दूर एक नयी जगह मे जिंदगी नये सिरे से
शुरू करने के
लिए पैसे तो चाहिए न?
लड़की - तुम्हारे और मेरे प्यार के बारे मे जानकर
मेरे
घरवालो ने बैंक के पास बुक एटी एम और मेरे गहने
तक रख
लिये थे। तो मैं क्या लाती अपने साथ । हम दोनों
मेहनत
करके कमा भी तो सकते थे।
लड़का - चलाकर इंसान पहले सोचता है और फिर
काम
करता है। खाली हाथ भागते तो ये इश्क का भूत दो
दिन
मे उतर जाता समझी?
और जब भी तुम्हें छुना चाहता हूँ बहुत नखरे है
तुम्हारे ।
बस कहती हो शादी के बाद ।
लड़की - हाँ शादी के बाद ही अच्छा होता है ये सब
और
सब तुम्हारा तो है। मैं आज भी एक कुवारी लड़की
हूँ ।
शादी करके भी आज तक उस गंवार के साथ सो न
सकी
क्योंकि तुम्हें ही अपना पति मान चुकी हूँ बस
तुम्हारे
नाम की सिंदूर लगानी बाकी है। बस वह लगा दो
सबकुछ
तुम अपनी मर्जी से करना।
लड़का - ठीक है मैं तैयार हूँ । मगर इस बार कुछ
पैसे जरूर
साथ लेके आना, मत सोचना हम दौलत से प्यार
करते हैं ।
हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है बस कुछ छोटी मोटी
बिजनेस के लिए पैसे चाहिए ।
लड़की - उस गंवार के पास कहा होगा पैसा, मेरे बाप
से
3 लाख रूपया उपर से मारूती कार लि है।
बस कुछ गहने है वह लेके आउगी आज।
लड़का लड़की को होटल का पता देकर चला जाता
है ।
लड़की घर आके फिर से लड़ाई करती है।
मगर अफसोस वह अकेली चिल्लाती रहती है
उससे लड़ने
वाला कोई नहीं था।
रात 8 बजे लड़के का मैसेज आता है वाटसप पे की
कब आ
रही हो?
लड़की जवाब देती है सब्र करो कोई सोया नहीं है।
मैं
12 बजे से पहले पहुँच जाउगी क्योंकि यंहा तुम्हारे
बिना
मेरी सांसे घुटती है।
लड़का -ओके जल्दी आना। मैं होटल के बाहर
खड़ा रहूंगा
bye
...
लड़की अपने पति को बोल देती है की मुझे खाना
नहीं
चाहिए मैंने बाहर खा लिया है इसलिए मुझे कोई
परेशान
न करे इतना कहके दरवाजा बंद करके अंदर आती
है
की...पति बोलता है की...वह आलमारी से मेरी
डायरी दे
दो फिर बंद करना दरवाजा। हम परेशान नहीं करेंगे

लड़की दरवाजा खोले बिना कहती है की चाभीया दो
अलमारी की,
लड़का - तुम्हारे बिस्तर के पैरों तले है चाबी ।
मगर लड़की दरवाजा नहीं खोलती वल्की जोर जोर
से
गाना सुनने लगती है। बाहर पति कुछ देर दरवाजा
पिटता है फिर हारकर लौट जाता है। लड़की ने बड़े
जोर
से गाना बजा रखा था। फिर वह आलमारी खोलके
देखती
है जो उसने पहली बार खोला था, क्योंकि वह अपना
समान अलग आलमारी मे रखती थी।
आलमारी खोलते ही हैरान रह जाती है। आलमारी
मे
उसके अपने पास बुक एटी एम कार्ड थे जो उसके
घरवालो
ने छीन के रखे थे
खोलके चेक किया तो उसमें वह पैसे भी एड थे जो
दहेज मे
लड़के को मिले थे। और बहुत सारे गहने भी जो एक
पेपर के
साथ थे और उसकी मिल्कीयेत लड़की के नाम थी,
लड़की
बेहद हैरान और परेशान थी। फिर उसकी नजर
डायरी मे
पड़ती है और वह जल्दी से
वह डायरी निकालके पढ़ने लगती है।
लिखा था, तुम्हारे पापा ने एक दिन मेरी मां की जान
बचाइ थी अपना खून देकर । मैं अपनी माँ से बेहद
प्यार
करता हूँ इसलिए मैंने झूककर आपके पापा को
प्रणाम करके
कहा की...आपका ये अनमोल एहसान कभी नही
भूलूंगा, कुछ
दिन बाद आपके पापा हमारे घर आये हमारे तुम्हारे
रिश्ते की बात लेकर मगर उन्होंने आपकी हर बात
बताई
हमें की आप एक लड़के से बेहद प्यार करती हो।
आपके
पापा आपकी खुशी चाहते थे इसलिए वह पहले
लड़के को
जानना चाहते थे। आखिर आप अपने पापा की
princess
जो थी और हर बाप अपने Princess के लिए एक
अच्छा
इमानदार Prince चाहता है। आपके पापा ने
खोजकर के
पता लगाया की वह लड़का बहुत सी लड़की को
धोखा दे
चुका है। और पहली शादी भी हो चुकी है पर आपको
बता
न सके क्योंकि उन्हें पता था की ये जो इश्क का
नशा है
वह हमेशा अपनों को गैर और गैर को अपना
समझता है।
ऐक बाप के मुँह से एक बेटी की कहानी सुनकर मै
अचम्भीत
हो गया। हर बाप यंहा तक शायद ही सोचे। मुझे
यकीन
हो गया था की एक अच्छा पति होने का सम्मान
मिले न
मिले मगर एक दामाद होने की इज्जत मैं हमेशा पा
सकता
हूँ।
मुझे दहेज मे मिले सारे पैसे मैंने तुम्हारे ए काउण्ट
मे कर
दिए और तुम्हारे घर से मिली गाड़ी आज भी तुम्हारे
घर
पे है जो मैंने इसलिए भेजी ताकी जब तुम्हें मुझसे
प्यार हो
जाये तो साथ चलेंगे कही दूर घूमने। दहेज...इस
नाम से
नफरत है मुझे क्योंकि मैंने इ दहेज मे अपनी बहन
और बाप
को खोया है। मेरे बाप के अंतिम शब्द भी येही थे
की..कीसी बेटी के बाप से कभी एक रूपया न लेना।
मर्द
हो तो कमाके खिलाना, तुम आजाद हो कहीं भी जा
सकती हो। डायरी के बिच पन्नों पर तलाक की
पेपर है
जंहा मैंने पहले ही साईन कर दिया है । जब तुम्हें
लगे की
अब इस गंवार के साथ नही रखना है तो साईन
करके कहीं
भी अपनी सारी चिजे लेके जा सकती हो।
लड़की ...हैरान थी परेशान थी...न चाहते हुए भी
गंवार के
शब्दों ने दिल को छुआ था। न चाहते हुए भी गंवार
के
अनदेखे प्यार को महसूस करके पलके नम हुई थी।
आगे लिखा था, मैंने तुम्हें इसलिए मारा क्योंकि
आपने मा
को गाली दी, और जो बेटा खुद के आगे मा की
बेइज्जती
होते सहन कर जाये...फिर वह बेटा कैसा ।
कल आपके भी बच्चे होंगे । चाहे किसी के साथ भी
हो, तब
महसूस होगी माँ की महानता और प्यार।
आपको दुल्हन बनाके हमसफर बनाने लाया हूँ
जबरजस्ती
करने नहीं। जब प्यार हो जाये तो भरपूर वसूल कर
लूँगा
आपसे...आपके हर गुस्ताखी का बदला हम शिद्दत
से लेंगे हम
आपसे...गर आप मेरी हुई तो बेपनाह मोहब्बत
करके
किसी और की हुई तो आपके हक मे दुवाये माँग के
लड़की का फोन बज रहा था जो भायब्रेशन मोड पे
था,
लड़की अब दुल्हन बन चुकी थी। पलकों से आशू
गिर रहे थे ।
सिसकते हुए मोबाइल से पहले सिम निकाल के
तोड़ा फिर
सारा सामान जैसा था वैसे रख के न जाने कब सो
गई पता
नहीं चला। सुबह देर से जागी तब तक गंवार अफीस
जा
चुका था, पहले नहा धोकर साड़ी पहनी । लम्बी सी
सिंदूर डाली अपनी माँग मे फिर मंगलसूत्र ।
जबकि पहले एक टीकी जैसी साईड पे सिंदूर लगाती
थी
ताकी कोई लड़का ध्यान न दे
मगर आज 10 किलोमीटर से भी दिखाई दे ऐसी
लम्बी
और गाढी सिंदूर लगाई थी दुल्हन ने। फिर किचन
मे जाके
सासुमा को जबर्दस्ती कमरे मे लेके तैयार होने को
कहती
है। और अपने गंवार पति के लिए थोड़े नमकीन
थोड़े हलुवे
और चाय बनाके अपनी स्कूटी मे सासुमा को
जबर्दस्ती
बिठाकर (जबकी कुछ पता ही नहीं है उनको की बहू
आज
मुझे कहा ले जा रही है बस बैठ जाती है)
फिर रास्ते मे सासुमा को पति के अफीस का पता
पूछकर
अफीस पहुँच जाती है। पति हैरान रह जाता है पत्नी
को
इस हालत मे देखकर।
पति - सब ठीक तो है न मां?
मगर माँ बोलती इससे पहले पत्नी गले लगाकर
कहती है
की..अब सब ठीक है...I love you forever...
अफीस के लोग सब खड़े हो जाते है तो दुल्हन
कहती है
की..मै इनकी धर्मपत्नी हूँ । बनवास गई थी सुबह
लौटी
हूँ
अब एक महीने तक मेरे पतिदेव अफीस मे दिखाई
नहीं देंगे
अफीस के लोग? ?????
दुल्हन - क्योंकि हम लम्बी छुट्टी पे जा रहे साथ
साथ।
पति- पागल...
दुल्हन - आपके सादगी और भोलेपन ने बनाया है।
सभी लोग तालीया बजाते हैं और दुल्हन फिर से
लिपट
जाती है अपने गंवार से ...
जंहा से वह दोबारा कभी भी छूटना नहीं चाहती।
* बड़े कड़े फैसले होते है कभी कभी हमारे अपनों
की मगर
हम समझ नहीं पाते की...हमारे अपने हमारी फिकर
खुद से
ज्यादा क्यों करते हैं*
* मां बाप के फैसलों का सम्मान करे*
क्योंकि ये दो ऐसे शख्स है जो आपको हमेशा
दुनियादारी
से ज्यादा प्यार करते हैं ।
कैसा लगा ये प्रसंग ? कॉमेंट कर के बताइए

Monday, 22 July 2019

Boss who wants you to be successful:

True leaders do not create more followers. They create more leaders. Sadly, what we mostly find in the corporate world are weak leaders who try to keep others down. Their sole focus is on getting to the top, and they don't care who they have to step on to reach there. Strong leaders build and lift others up. To elevate your employees takes strength, as helping them reach their full potential, may mean preparing them to replace you, or leave your company for better opportunities elsewhere. Only true leaders can do this.


Blessed is the leader who seeks the best for those he serves. -Unknown


Here are just some things that leaders can do to enable an employee’s full potential:

Elevate - Put them in positions where they can utilize their skills and strengths. Give them projects that will help them grow and develop their leadership skills.


Engage - Encourage them to share their ideas, suggestions and feedback


Empower - Grant them autonomy to make decisions.


Recognize - Appreciate their efforts and contributions. Recommend them for opportunities.


Expand - Set goals that are realistic but would expand their performance threshold.


Equip - Provide them with the proper training and tools.


Energize - Inspire and encourage them to develop the capabilities you see in them.


Support - Mentor and coach them.


Working for a boss who tries to pull you down or holds you back, creates feelings of resentment, and leads to low employee morale and reduced engagement. It even begins to negatively affect productivity and is reflected in the organization's high turnover rates.

Leadership needs to be about helping others become the best they can be. It is built on a foundation of servanthood and not selfishness. By providing employees with the opportunity to grow, we help them become more valuable members of the team, as well as we're building the overall strength of the team. It's a total win-win situation. Your success is a result of your team. Build your employees up and you build the company up. When you help others succeed. You will succeed! Your legacy and impact will live on.


याद रखते हैं ना हम

 याद रखते हैं ना हम
इसलिए  सहूलियत दी है तुम्हें .....
भूल जाने की
वो जो समझ रहे थे कि तमाशा होगा
मैंने चुप रहकर बाज़ी पलट दी।।
.
People will follow you when they trust you, not when they fear you.
.
 Improve by 1% a day, and in 70 days you’re twice as good.

99% of the things that people say don’t help you in any way.
Yet 99% of the people are affected by that!
It’s time to listen less to others & listen more to yourself!
इतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछ,
उस ने  जिस को भी  जाने का कहा बैठ गया
People will follow you when they trust you, not when they fear you.
Give the world a reason to remember your name.
फिर हुआ यु की सब्र की ऊँगली पकड़ के हम इतना चले की रास्ते भी हैरान हो गए
जिंदगी में एक दूसरे के
"जैसा" होना जरूरी नहीं होता,
एक दूसरे के लिए "होना" जरूरी होता है....
मेरी उदासियाँ तुम्हें कैसे नज़र आयेगी...

.
जिन बगीचों की तितलियाँ प्रेम में पड़ना भूल जाती हैं...  
उन बगीचों में फिर...   वसंत नहीं आते....
If someone wants you, nothing will keep them away,
but if they don't want you, nothing will make them stay!
फ़ासलो से अगर मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी,
तुम्हे हक है के तुम दूरियां बढा लो मुझसे......!!!!
एक  ख्वाहिश पुरी हो इबादत के बगैर
वो आकर गले लगा ले मुझे , मेरी इजाजत
के बगैर...

लाज़िमी है तेरा बदल जाना भी,


लाज़िमी है तेरा बदल जाना भी,
वक़्त कहाँ थमता है किसी के लिए....
बोलना जब आ गया हमको
चुप रहना हमें सिखाया गया ...
मुद्दा यह नहीं कि तुम झूठ बोलते हो...
मसला यह हैं कि हम ऐतबार  करते  हैं...
ख़ुश्बू अपने रस्ते ख़ुद तय करती है
फूल तो डाली के हो कर रह जाते हैं
Patience isn’t about waiting.
Patience is about how you act while you’re waiting.
इस से बेहतर जवाब क्या होगा,
खो गया वो मेरे सवालों में ..

फसल-ए-इश्क कहती है...

 फसल-ए-इश्क कहती है...
तुम दर्द ही काटोगे!
“Growing older is mandatory. Growing up is optional. We make a Living by what we get, we make a Life by what we give. If you fill your heart with regrets of yesterday and the worries of tomorrow, you have no today to be thankful for”.

तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा


तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा
सफ़र न करते हुए भी किसी सफ़र में रहा
मलाल ये के उसे पा न सके हम,
तसल्ली ये के उसे खोया नहीं।
Don’t waste your present moment trying to make the future certain.
Bansi Lal: Success is a by-product of your struggles.

दरवाज़े पे दस्तक को मुद्दतों कान लगाये बैठा हूँ


दरवाज़े पे दस्तक को मुद्दतों कान लगाये बैठा हूँ
खैर कोई नही आना, पर खुद को बहलाए बैठा हूँ
धड़कनों, खुद पे काबू रखना जब उनसे मुलाकात हो,
तुम्हारी रफ़्तार मेरी बेकरारी का सबूत ना दे दे कही...

बस ताअल्लुक का इन्तेकाल हुआ है,,,


बस ताअल्लुक का इन्तेकाल हुआ है,,,
ज़िन्दा दोनों तरफ मोहब्बत है...!
हो जाने दीजिए ना इश्क़....
धूप की किताबें..... 
"बारिशों" में भीग कर ,
और भी खूबसूरत हो जाती हैं !!
मोड़  कैसा  ये वक़्त  ने लिया है
तुम्हें  मिल के भी  तुम्हें  खोने  का
गम  कुछ  और  भी  गहरा  हो गया ..!!
Don’t change so that people will like you.
Be yourself and the right people will love you.
जाया करो ग़रीबों की बस्ती में भी कभी,
कुछ भी नही तो शुक्र-ए-ख़ुदा सीख जाओगे
गुज़र जाएगी सारी ज़िन्दगी उम्मीद में,
न जीने देगी  ये जीने की  तैयारी मुझे!
Happiness is the highest level of success.
Strive for happiness always
तुम जो बिछड़े हो जल्दबाज़ी में
मेरी जान तुम रूठ भी तो सकते थे !!
‏टूटते रिश्तों से बढ़ कर रंज था इस बात का
दरमियाँ कुछ दोस्त थे और दोस्त भी ऐसे कि बस !
Brain science says what your mind thinks is changing the structure of your brain. Your thoughts matter. You can because you think you can.
फाज़िल बता रहे हमें इबादत की तरक़ीब......!!
कोई ख़ुदा मिला है इन्हें ज़रूर......!!!!
“मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग...
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता.”
मुद्दतों  से तुझे  बेपनाह  ही चाहा  है  मैंने
ताज्जुब  तो तुम्हारे  आज भी परखने  से है ..!!
बोसा-ए-रुख़्सार पर तकरार रहने दीजिए
लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए...
ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से मिले हैं मुझ को
सोचता हूँ कि कहूँ तुझ से मगर जाने दे।
मैं बोलता गया हूँ वो सुनता रहा ख़ामोश
ऐसे भी मेरी हार हुई है कभी कभी।
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए
तू आज भी बेखबर है कल की तरह
खुशी के फूल उन्हीं के
दिलों में खिलते हैं
जो इंसान  की तरह
इंसानों  से मिलते हैं।।
वक्त के साथ चलना कोई जरुरी नहीं है..!
सच के साथ चलिए एक दिन वक्त आपके साथ चलेगा..!!

हँसी के बिना बिताया हुआ दिन


हँसी  के  बिना  बिताया  हुआ  दिन
बर्बाद  किया  हुआ  दिन  हैं
मिले मुझे भी अगर कोई शाम फ़ुर्सत की
मैं क्या हूँ कौन हूँ सोचूँगा अपने बारे में

Saturday, 20 July 2019

चोर बहुत चालाक होते हैं:

चोर बहुत चालाक होते हैं, जब वो भैंस चुराते हैं तो सबसे पहले वो भैंस के गले से घंटे को खोलते हैं।
फिर

एक चोर घंटा बजाते हुए पश्चिम की ओर भागता है

और

बाकी चोर भैंस को पूर्व की ओर ले जाते हैं।

गांव के लोग घंटे की आवाज सुन कर पश्चिम की ओर भागते हैं,

और

आगे जाकर चोर घंटे को फेंक कर भाग जाता है।

इसलिए गांव वालों के हाथों में सिर्फ घंटा ही आता है

और

चोर भैंस चुरा ले जाते हैं।

                       *हमारी भैंस*

"शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य व्यवस्था, महिला सुरक्षा, परिवहन व्यवस्था, कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार,पीने योग्य पानी,किसान रक्षा,प्रदूषण रहित हवा जैसे और कई अनगिनत  मुख्य मुद्दे हैं।"

                      *भैंस का घंटा*

मंदिर-मस्जिद, हिन्दू-मुस्लिम, दलित-सवर्ण, बिहारी-गुजराती, नेहरू-पटेल, हरा-भगवा, पाकिस्तान-चीन।"

लौटना कभी आसान नहीँ:

*"लौटना कभी आसान नहीं होता*"

मुझे पता है कि टॉलस्टाय की मशहूर कहानी आपने पहले सुनी/पढ़ी होगी...

एक आदमी राजा के पास गया कि वो बहुत गरीब है, उसके पास कुछ भी नहीं, उसे मदद चाहिए...
राजा दयालु था..उसने पूछा कि "क्या मदद चाहिए..?"

आदमी ने कहा.."थोड़ा-सा भूखंड.."

राजा ने कहा, “कल सुबह सूर्योदय के समय तुम यहां आना..ज़मीन पर तुम दौड़ना जितनी दूर तक दौड़ पाओगे वो पूरा भूखंड तुम्हारा। परंतु ध्यान रहे,जहां से तुम दौड़ना शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आना होगा,अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा...!" 

आदमी खुश हो गया...
सुबह हुई..
सूर्योदय के साथ आदमी दौड़ने लगा...
आदमी दौड़ता रहा.. दौड़ता रहा.. सूरज सिर पर चढ़ आया था..पर आदमी का दौड़ना नहीं रुका था..वो हांफ रहा था,पर रुका नहीं था...थोड़ा और..एक बार की मेहनत है..फिर पूरी ज़िंदगी आराम...
शाम होने लगी थी...आदमी को याद आया, लौटना भी है, नहीं तो फिर कुछ नहीं मिलेगा...
उसने देखा, वो काफी दूर चला आया था.. अब उसे लौटना था..पर कैसे लौटता..? सूरज पश्चिम की ओर मुड़ चुका था.. आदमी ने पूरा दम लगाया..
वो लौट सकता था... पर समय तेजी से बीत रहा था..थोड़ी ताकत और लगानी होगी...वो पूरी गति से दौड़ने लगा...पर अब दौड़ा नहीं जा रहा था..वो थक कर गिर गया... उसके प्राण वहीं निकल गए...!

राजा यह सब देख रहा था...
अपने सहयोगियों के साथ वो वहां गया, जहां आदमी ज़मीन पर गिरा था...
राजा ने उसे गौर से देखा..
फिर सिर्फ़ इतना कहा..."इसे सिर्फ दो गज़ ज़मीं की दरकार थी...नाहक ही ये इतना दौड़ रहा था...! "

आदमी को लौटना था... पर लौट नहीं पाया...
वो लौट गया वहां, जहां से कोई लौट कर नहीं आता...

हमें अपनी चाहतों की सीमा का पता नहीं होता...
हमारी ज़रूरतें तो सीमित होती हैं, पर चाहतें अनंत..
अपनी चाहतों के मोह में हम लौटने की तैयारी ही नहीं करते...जब करते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है... फिर हमारे पास कुछ भी नहीं बचता...

हम सब दौड़ रहे हैं..परंतु क्यों.? नहीं पता..?

और लौटता भी कौन है...?

बीस साल पहले मैंने भी खुद से ये वादा किया था कि मैं लौट आऊंगा...
पर मैं नहीं लौट पाया...
दौड़ता ही रहा...

हम सभी दौड़ रहे हैं... बिना ये समझे कि सूरज समय पर लौट जाता है...
अभिमन्यु भी लौटना नहीं जानता था...हम सब अभिमन्यु ही हैं..हम भी लौटना नहीं जानते...

सच ये है कि "जो लौटना जानते हैं, वही जीना भी जानते हैं...पर लौटना इतना भी आसान नहीं होता..."

काश टॉलस्टाय की कहानी का वो पात्र समय से लौट पाता...!

काश हम सब लौट पाते..!

Wednesday, 17 July 2019

Three powerful way to stay positive:

We've all received the well-meaning advice to "stay positive." The greater the challenge, the more this glass-half-full wisdom can come across as Pollyannaish and unrealistic. It's hard to find the motivation to focus on the positive when positivity seems like nothing more than wishful thinking.

The real obstacle to positivity is that our brains are hard-wired to look for and focus on threats. This survival mechanism served humankind well back when we were hunters and gatherers, living each day with the very real threat of being killed by someone or something in our immediate surroundings.
That was eons ago. Today, this mechanism breeds pessimism and negativity through the mind's tendency to wander until it finds a threat. These "threats" magnify the perceived likelihood that things are going—and/or are going to go—poorly. When the threat is real and lurking in the bushes down the path, this mechanism serves you well. When the threat is imagined and you spend two months convinced the project you're working on is going to flop, this mechanism leaves you with a soured view of reality that wreaks havoc in your life.
Maintaining positivity is a daily challenge that requires focus and attention. You must be intentional about staying positive if you're going to overcome the brain's tendency to focus on threats. It won't happen by accident.
Positivity and Your Health
Pessimism is trouble because it's bad for your health. Numerous studies have shown that optimists are physically and psychologically healthier than pessimists.
Martin Seligman at the University of Pennsylvania has conducted extensive research on the topic. Seligman worked with researchers from Dartmouth and the University of Michigan on a study that followed people from age 25 to 65 to see how their levels of pessimism or optimism influenced their overall health. The researchers found that pessimists' health deteriorated far more rapidly as they aged.
Seligman's findings are similar to research conducted by the Mayo Clinic that found optimists have lower levels of cardiovascular disease and longer life-spans. Although the exact mechanism through which pessimism affects health hasn't been identified, researchers at Yale and the University of Colorado found that pessimism is associated with a weakened immune response to tumors and infection.
Researchers from the University of Kentucky went so far as to inject optimists and pessimists with a virus to measure their immune response. The researchers found optimists had a much stronger immune response than pessimists.
Positivity and Performance
Keeping a positive attitude isn't just good for your health. Martin Seligman has also studied the connection between positivity and performance. In one study in particular, he measured the degree to which insurance salespeople were optimistic or pessimistic in their work. Optimistic salespeople sold 37% more policies than pessimists, who were twice as likely to leave the company during their first year of employment.
Seligman has studied positivity more than anyone, and he believes in the ability to turn pessimistic thoughts and tendencies around with simple effort and know-how. But Seligman doesn't just believe this. His research shows that people can transform a tendency toward pessimistic thinking into positive thinking through simple techniques that create lasting changes in behavior long after they are discovered.
Here are three things that I'll be doing this year to stay positive.
1. Separate Fact from Fiction
The first step in learning to focus on the positive requires knowing how to stop negative self-talk in its tracks. The more you ruminate on negative thoughts, the more power you give them. Most of our negative thoughts are just that — thoughts, not facts.
When you find yourself believing the negative and pessimistic things your inner voice says, it's time to stop and write them down. Literally stop what you're doing and write down what you're thinking. Once you've taken a moment to slow down the negative momentum of your thoughts, you will be more rational and clear-headed in evaluating their veracity. Evaluate these statements to see if they're factual. You can bet the statements aren't true any time you see words like never, always, worst, ever, etc.
Do you really always lose your keys? Of course not. Perhaps you forget them frequently, but most days you do remember them. Are you never going to find a solution to your problem? If you really are that stuck, maybe you've been resisting asking for help. Or if it really is an intractable problem, then why are you wasting your time beating your head against the wall? If your statements still look like facts once they're on paper, take them to a friend or colleague you can trust, and see if he or she agrees with you. Then the truth will surely come out.
When it feels like something always or never happens, this is just your brain's natural threat tendency inflating the perceived frequency or severity of an event. Identifying and labeling your thoughts as thoughts by separating them from the facts will help you escape the cycle of negativity and move toward a positive new outlook.
2. Identify a Positive
Once you snap yourself out of self-defeating, negative thoughts, it's time to help your brain learn what you want it to focus on — the positive.
This will come naturally after some practice, but first you have to give your wandering brain a little help by consciously selecting something positive to think about. Any positive thought will do to refocus your brain's attention. When things are going well, and your mood is good, this is relatively easy. When things are going poorly, and your mind is flooded with negative thoughts, this can be a challenge. In these moments, think about your day and identify one positive thing that happened, no matter how small. If you can't think of something from the current day, reflect on the previous day or even the previous week. Or perhaps there is an exciting event you are looking forward to that you can focus your attention on.
The point here is you must have something positive that you're ready to shift your attention to when your thoughts turn negative. Step one stripped the power from negative thoughts by separating fact from fiction. Step two is to replace the negative with a positive. Once you have identified a positive thought, draw your attention to that thought each time you find yourself dwelling on the negative. If that proves difficult, you can repeat the process of writing down the negative thoughts to discredit their validity, and then allow yourself to freely enjoy positive thoughts.
3. Cultivate an Attitude of Gratitude
Taking time to contemplate what you’re grateful for isn’t merely the “right” thing to do; it reduces the stress hormone cortisol by 23%. Research conducted at the University of California, Davis, found that people who worked daily to cultivate an attitude of gratitude experienced improved mood, energy and substantially less anxiety due to lower cortisol levels.
You cultivate an attitude of gratitude by taking time out every day to focus on the positive. Any time you experience negative or pessimistic thoughts, use this as a cue to shift gears and think about something positive. In time, a positive attitude will become a way of life. 
Bringing It All Together
I realize these three tips sound incredibly basic, but they have tremendous power because they train your brain to have a positive focus. They break old habits, if you force yourself to use them. Given the mind's natural tendency to wander toward negative thoughts, we can all use a little help with staying positive.

Sunday, 14 July 2019

खड़ा होकर ये चौराहे पे अक्सर सोचता हूं मैं


खड़ा होकर ये चौराहे पे अक्सर सोचता हूं मैं
कहीं जाने की ख़ातिर तीन राहें छोड़नी होंगी...
मंज़िल को सर पे रख के मुसाफ़िर सफ़र न कर
या तो सफ़र का लुत्फ़ ले या फिर सफ़र न कर...
जीत तेरा ही मुक़द्दर थी सो तू जीत गया..
वर्ना हारे हुए लश्कर में सिकंदर थे बहुत..!!
Nobody knows everything. So don’t worry about coming across as being ignorant, everybody is. Admit ignorance, keep learning, and succeeding.
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ,
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ..
न बोलूँ सच तो कैसा आईना मैं,
जो बोलूँ सच तो चकना-चूर हो जाऊँ..
थोड़ा सा सुकून ढूंढे जनाब
ये ज़रूरतें तो कभी ख्तम नहीं होती..
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये था,
मुझे बस 'वो' उसे 'सारा ज़माना' चाहिए था..!
हमने दरवाज़ा दे दिया था उसे...
अब... वो कहता है दस्तकें भी दो
फ़ासलों का एह्सास तब हुआ,
जब मैंने कहा ठीक हूँ ...!
और उसने मान  लिया ...!!
अपना रिश्ता ज़मीं से ही रक्खो,
कुछ नहीं आसमान में रक्खा...
मरहम न सही एक जख्म ही दे दे
महूसस तो हो के कोई हमें भुला नही..
लोग आपके बारे में अच्छा
  सुनने पर शक करते हैं,
     लेकिन कुछ बुरा सुनने पर
      तुरंत यकीन कर लेते है!

मेरी ही बात मेरे तक पहुँच नहीं पाई


If you want to succeed, keep your word. Your word is your bond. Keep your promises. That’s how you build your reputation and create trust.
मेरी ही बात मेरे तक पहुँच नहीं पाई
मगर ये बात ज़माने में फैल  उठ्ठी है
Long hours. Stress. Tension. Anxiety. Struggles. Often lonely. Crisis after crisis. Sacrifices. Frustration. Mistakes. Yup, you are on the right path.
सख़्त हाथों से भी, छूट जाती हैं उंगलियां......!!
रिश्ते ज़ोर से नही, तमीज़ से थामे जाते हैं......!!!!
इ़त्तेफा़क से ही सही रंग सबने दिखाए हैं,
चेहरे सबने बदले हैं, सामने जब आये है ॥
निगाहें खोलनी पड़ती हैं आसमान की ऊंचाईयों तक .
यूँ बंद मुठ्ठीयों के चयन से फ़ैसले नहीं होते साहब...
जब तक रास्ते समझ आते है तब तक लौटने का वक्त हो जाता है।
इल्ज़ाम लगाना जिनकी  फ़ितरत हो
मुश्किल काम उनसे होते कहाँ हैं
मिलता है सुकून दिल को उस यार के कूचे में
हर रोज मगर जाना अच्छा भी नहीं लगता
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
कहानी ख़त्म हुई और ऐसे ख़त्म हुई
कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए

As long as you are alive, no obstacle is permanent.


As long as you are alive, no obstacle is permanent.
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में..
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे..!!
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में..
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे..!!
ज़माल एहसानी

एक जाट अपने 6 महीने के बच्चे को स्कूल छोड़ने जा रहा था ।
बच्चा बहुत रो रहा था।
रास्ते में गांव के पंडित जी मिल गए l
पंडित जी :- "इतना छोटा बच्चा क्या पढ़ेगा ?"
जाट :- "पढे या ना पढे, मन्ने के लेणा  ? मन्ने तो जो सरकार कह री स वो करणा स..?!!"
पंडित जी :- "क्या कह रही है सरकार ?"
जाट :- *"दूसरा बच्चा कब, पहला स्कूल जाये तब...!"*


कोई शै एक सी नहीं रहती...
उम्र ढलती है, ग़म बदलते है!
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
मेंरे बग़ैर कोई तुम को ढूँडता कैसे
तुम्हें पता है तुम्हारा पता रहा हूँ मैं।
ये आरज़ू थी कि हम उस के साथ साथ चलें.
मगर वो शख़्स तो रस्ता बदलता जाता है..!!
सृष्टि का एक नियम हैं
जो बांटोंगे
वही आपके पास
बेहिसाब होगा
फिर वह चाहे
धन हो , अन्न हो
सम्मान हो , अपमान हो
नफरत हो
या
मोहब्बत..
ये मोहब्बत तो बहुत बाद का क़िस्सा है मियाँ..
मैं ने उस हाथ को पकड़ा था परेशानी में.!!
लहजे की उदासी कम होगी बातों में खनक आ जाएगी,
दो-रोज़ हमारे साथ रहो चेहरे पे चमक आ जाएगी !!

मुश्किलों को आखिर कौन चुनता है,


मुश्किलों को आखिर कौन चुनता है,
आसां है किसी को समझने से बेहतर
उससे रूठ जाना !!
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं,
  दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे .
दुखाकर दिलो को लोग
पत्थरों में खुदा ढूंढते है
हज़ारों ना-मुकम्मल हसरतों के बोझ तले,
यह जो दिल धड़कता है कमाल करता है
कुछ यादे बारिश के इन बूंदों की तरह होती है
छू तो सकते है पर बस में नही होती
 क़ुबूलियत की यहां कौन फ़िक्र करता है
तु  वो  दुआ  है  जिसे  मांगना  ज़रूरी है

इक दिन तू आ के मेरी मन्नत की लाज रख ले


इक दिन तू आ के मेरी मन्नत की लाज रख ले
कब से  उजाड़ता हूँ महफ़िल सजा सजा के
Never judge a book by its cover
वक़्त के कितने ही रंगों से गुज़रना है अभी,
ज़िंदगी है तो कई तरह से मरना है अभी...
उसे जाने की जल्दी थी सो आँखो ही आंखों में
जहाँ तक छोड़ सकता था वही तक छोड़ आया हूँ...
सर-ए-आगाज़ दिल की दास्ताँ में वो नहीं था,,,,
मगर महसूस अब उस की कमी होने लगी है
सदायें डूबती है जब...
खामोशी मुस्कुराती है!
क्या नुमाइश लगाऊं अपने मैं तजुर्बों की
इतना ही काफी है कि संभल गया हूं मैं
दुनिया वो किताब है जो पढी नहीं जा सकती
लेकिन जमाना वो उस्ताद है जो सब कुछ सिखा देता है ....
आखरी बार तुम पे आया था...
फिर मेरे हाथ दिल नहीं आया!!
“रहमतों की कमी नहीं..
रब के खजाने में..
झांकना खुद की झोली में है..
कहीं कोई 'सुराख' तो नहीं..”
हम दरख़्तों को कहाँ आता है हिजरत करना
तुम परिंदे हो चमन छोड़ के जा सकते हो...
हकीकत में खामोशी कभी भी चुप नहीं रहती,
कभी तुम ग़ौर से सुनना बहुत किस्से सुनाती है...!!!!
"खुशी देने में ही खुशी प्राप्त करना सभी कलाओं का सार है।"
दर्द का असली पता आंसुओं में ही नहीं
कभी कभी मुस्कुराहटों के पीछे होता है
“झरनों से इतना मधुर संगीत कभी न सुनाई देता ...
अगर राहों में उनके पत्थर न होते”
सारी गवाहियाँ तो मेरे हक़ में आ गईं
लेकिन मेरा बयान ही मेरे ख़िलाफ़ था।

ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे,


ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे,
जिस को पाना नहीं क्या याद किया जाए उसे
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं,
होंटों पे  लतीफ़े हैं  आवाज़ में छाले है
सियासत को लहू पीने की आदत है .
बाकी मुल्क मेँ सब खैरियत है.
मुनासिब समझो तो हाल-ए-दिल बयाँ कर दो..
सुना हैं ये चुप्पियाँ.......भी तबाह कर देती हैं....!!
अपनी आहट पे चौंकता हूँ मैं
किस की दुनिया में आ गया हूँ मैं...
देखिए ना तेज़ कितनी उम्र की रफ़्तार है
ज़िंदगी में चैन कम और फ़र्ज़ की भर-मार है...
होश  का पानी  छिड़को   मदहोशी  की
आंखो  पर
अपनों  से ना  उलझो  ग़ैरों  की  बातों  पर..
सख्त हाथों से भी कभी छूट जाती  हैं उंगलियां,
रिश्ते जोर से नहीं तमीज़ से थामें जाते हैं.
"We are all so affected by fear what we think more of failure than of success, more of sadness than of happiness"

जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है


जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है,
सुकून वही से शुरू होता है.
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
मुश्किल लिखना आसाँ है
आसाँ लिखना मुश्किल है
यही अदा ए हया जान है मुहब्बत की
जो नीची नज़रों से कहती है हम तुम्हारे हैं...
बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूं लेकिन......!!
मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है......!!!!

Monday, 8 July 2019

Close your eyes

Close your eyes and imagine the best version of you possible. That’s who you really are, let go of any part of you that doesn’t believe it.

Thursday, 4 July 2019

तमाम शहर जिसे छोड़ने को आया है

तमाम शहर जिसे छोड़ने को आया है
 वो शख़्स कितना अकेला सफ़र पे निकलेगा 

वक़्त के कितने ही रंगों से गुज़रना है अभी, 
ज़िंदगी है तो कई तरह से मरना है अभी..

वो जो दिल के करीब होते हैं......!! 
उन के पत्थर भी फूल होते हैं......!!!!

ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे

 ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे,
जिस को पाना नहीं क्या याद किया जाए उसे
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं,
होंटों पे  लतीफ़े हैं  आवाज़ में छाले है
सियासत को लहू पीने की आदत है .
बाकी मुल्क मेँ सब खैरियत है.
मुनासिब समझो तो हाल-ए-दिल बयाँ कर दो..
सुना हैं ये चुप्पियाँ.......भी तबाह कर देती हैं....!!
अपनी आहट पे चौंकता हूँ मैं
किस की दुनिया में आ गया हूँ मैं...
देखिए ना तेज़ कितनी उम्र की रफ़्तार है
ज़िंदगी में चैन कम और फ़र्ज़ की भर-मार है...
होश  का पानी  छिड़को   मदहोशी  की
आंखो  पर
अपनों  से ना  उलझो  ग़ैरों  की  बातों  पर..
सख्त हाथों से भी कभी छूट जाती  हैं उंगलियां,
रिश्ते जोर से नहीं तमीज़ से थामें जाते हैं.
"We are all so affected by fear what we think more of failure than of success, more of sadness than of happiness"

जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है,

जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है,
सुकून वही से शुरू होता है.
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
मुश्किल लिखना आसाँ है
आसाँ लिखना मुश्किल है
यही अदा ए हया जान है मुहब्बत की
जो नीची नज़रों से कहती है हम तुम्हारे हैं...

बद-नसीबी का मैं कायल तो नहीं हूं लेकिन......!!
मैंने बरसात में जलते हुए घर देखे है......!!!!

तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा,

तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा,
पलट के देखा तो महताब मेरे सामने था
चंद लमहों में गुजर गई वो घड़ियां,
जिनके इंतजार में सदियों के फासले थे...
मंज़र धुंधला हो सकता है ,मंज़िल नहीं
दौर बुरा हो सकता है , ज़िन्दगी नहीं
तुम समझते नहीं वरना
ये अश'आर नहीं इशारे है
अजीब शख़्स था लौटा गया सब कुछ
मुआवज़ा भी न लिया देख-भाल का

जलानेवाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर


जलानेवाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
ये क्या कहा कि हवा तेज़ है ज़माने की
तआल्लुक फरेब होता है ,
तुम गैर ही अच्छे हो ..!!
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं !
खामोशी इतनी गहरी कर ली
बेकद्री करने वालों की
चीखें निकल गई
पहले तराशा काँच से उसने मेरा वजूद,
फिर शहर भर के हाथ में पत्थर थमा दिए।

सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे,


सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे,
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे......




मुस्कुराने की आदत भी कितनी महंगी पड़ी मुझको,
भुला दिया सबने ये कहकर की तुम तो अकेले भी
ख़ुश रह लेते हो....।
पाँव सूखे हुए पत्तों पर अदब से रखना,
धूप में माँगी थी तुमने पनाह इनसे कभी.

ख़ुद से चलकर नहीं ये तर्ज़ ए सुख़न आया है,


ख़ुद से चलकर नहीं ये तर्ज़ ए सुख़न आया है,
पाँव दाबे हैं बुज़ुर्गों के तो फ़न आया है...!

शाम से पहले तिरी शाम न होने दूँगा
ज़िंदगी मैं तुझे नाकाम न होने दूँगा

मेरे टूटने का ज़िम्मेदार मेरा जौहरी ही है,
उसी की ये ज़िद थी की अभी और तराशा जाए

ख्वाब तो परिंदों के होते है आसमान छूने के,
इंसान की नस्ल तो बस गिरने ओर गिराने में लगी है।

डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा

 [8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...