#गवाॅर......
एक लड़की की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ एक
सिधे
साधे लड़के से की जाती है जिसके घर मे एक मां के
आलावा
और कोई नहीं है।
दहेज मे लड़के को बहुत सारे उपहार और पैसे मिले
होते हैं ।
लड़की किसी और लड़के से बेहद प्यार करती थी
और लड़का
भी...
लड़की शादी होके आ गयी अपने ससुराल...सुहागर
ात के
वक्त लड़का दूध लेके आता है तो दुल्हन सवाल
पूछती है
अपने पति से...एक पत्नी की मर्जी के बिना पति
उसको
हाथ लगाये तो उसे बलात्कार कहते है या हक?
पति - आपको इतनी लम्बी और गहरी जाने की
कोई
जरूरत नहीं है..
बस दूध लाया हूँ पी लिजीयेगा.. . हम सिर्फ आपको
शुभ
रात्रि कहने आये थे कहके कमरे से निकल जाता
है। लड़की
मन मारकर रह जाती है क्योंकि लड़की चाहती थी
की
झगड़ा हो ताकी मैं इस गंवार से पिछा छुटा सकूँ ।
है तो दुल्हन मगर घर का कोई भी काम नहीं
करती। बस
दिनभर online रहती और न जाने किस किस से
बातें
करती मगर उधर लड़के की माँ बिना शिकायत के
दिन भर
चुल्हा चौका से लेकर घर का सारा काम करती
मगर हर
पल अपने होंठों पर मुस्कुराहट लेके फिरती ।
लड़का एक
कम्पनी मे छोटा सा मुलाजीम है और बेहद ही
मेहनती और
इमानदार। करीब महीने भर बित गये मगर पति
पत्नी
अब तक साथ नहीं सोये... वैसे लड़का बहुत शांत
स्वाभाव
वाला था इसलिए वह ज्यादा बातें नहीं करता था,
बस
खाने के वक्त अपनी पत्नी से पूछ लेता था कि...
.कहा
खाओगी..अपने कमरे मे या हमारे साथ। और सोने
से पहले
डायरी लिखने की आदत थी जो वह हर रात को
लिखता
था।
ऐसे लड़की के पास एक स्कूटी था वह हर रोज
बाहर
जाती थी पति के अफीस जाने के बाद और पति के
वापस
लौटते ही आ जाती थी। छुट्टी का दिन था लड़का
भी
घर पे ही था तो लड़की ने अच्छे भले खाने को भी
गंदा
कहके मा को अपशब्द बोलके खाना फेंक देती है
मगर वह
शांत रहने वाला उसका पति अपनी पत्नी पर हाथ
उठा
देता है मगर माँ अपने बेटे को बहुत डांटती है। इधर
लड़की को बहाना चाहिए था झगड़े का जो उसे मिल
गया
था, वह पैर पटकती हुई स्कूटी लेके निकल पड़ती
है। लड़की
जो रोज घर से बाहर जाती थी वह अपने प्यार से
मिलने
जाती थी, लड़की भले टूटकर चाहती थी लड़के को
मगर
उसे पता था की हर लड़की की एक हद होती है जिसे
इज्जत कहते है वह उसको बचाये रखी थी। इधर
लड़की
अपने प्यार के पास पहुँचकर कहती है।
अब तो एक पल भी उस घर मे नहीं रहना है मुझे ।
आज
गंवार ने मुझपर हाथ उठाके अच्छा नही किया ।
लड़का - अरे तुमसे तो मैं कब से कहता हूँ की भाग
चलो मेरे
साथ कहीं दूर मगर तुम हो की आज कल आज कल
पे लगी
रहती हो।
लड़की - शादी के दिन मैं आई थी तो तुम्हारे पास।
तुम
ही ने तो लौटाया था मुझे ।
लड़का - खाली हाथ कहा तक भागोगे तुम ही
बोलो..मैंने
तो कहा था कि कुछ पैसे और गहने साथ ले लो तुम
तो
खाली हाथ आई थी।
आखिर दूर एक नयी जगह मे जिंदगी नये सिरे से
शुरू करने के
लिए पैसे तो चाहिए न?
लड़की - तुम्हारे और मेरे प्यार के बारे मे जानकर
मेरे
घरवालो ने बैंक के पास बुक एटी एम और मेरे गहने
तक रख
लिये थे। तो मैं क्या लाती अपने साथ । हम दोनों
मेहनत
करके कमा भी तो सकते थे।
लड़का - चलाकर इंसान पहले सोचता है और फिर
काम
करता है। खाली हाथ भागते तो ये इश्क का भूत दो
दिन
मे उतर जाता समझी?
और जब भी तुम्हें छुना चाहता हूँ बहुत नखरे है
तुम्हारे ।
बस कहती हो शादी के बाद ।
लड़की - हाँ शादी के बाद ही अच्छा होता है ये सब
और
सब तुम्हारा तो है। मैं आज भी एक कुवारी लड़की
हूँ ।
शादी करके भी आज तक उस गंवार के साथ सो न
सकी
क्योंकि तुम्हें ही अपना पति मान चुकी हूँ बस
तुम्हारे
नाम की सिंदूर लगानी बाकी है। बस वह लगा दो
सबकुछ
तुम अपनी मर्जी से करना।
लड़का - ठीक है मैं तैयार हूँ । मगर इस बार कुछ
पैसे जरूर
साथ लेके आना, मत सोचना हम दौलत से प्यार
करते हैं ।
हम सिर्फ तुमसे प्यार करते है बस कुछ छोटी मोटी
बिजनेस के लिए पैसे चाहिए ।
लड़की - उस गंवार के पास कहा होगा पैसा, मेरे बाप
से
3 लाख रूपया उपर से मारूती कार लि है।
बस कुछ गहने है वह लेके आउगी आज।
लड़का लड़की को होटल का पता देकर चला जाता
है ।
लड़की घर आके फिर से लड़ाई करती है।
मगर अफसोस वह अकेली चिल्लाती रहती है
उससे लड़ने
वाला कोई नहीं था।
रात 8 बजे लड़के का मैसेज आता है वाटसप पे की
कब आ
रही हो?
लड़की जवाब देती है सब्र करो कोई सोया नहीं है।
मैं
12 बजे से पहले पहुँच जाउगी क्योंकि यंहा तुम्हारे
बिना
मेरी सांसे घुटती है।
लड़का -ओके जल्दी आना। मैं होटल के बाहर
खड़ा रहूंगा
bye
...
लड़की अपने पति को बोल देती है की मुझे खाना
नहीं
चाहिए मैंने बाहर खा लिया है इसलिए मुझे कोई
परेशान
न करे इतना कहके दरवाजा बंद करके अंदर आती
है
की...पति बोलता है की...वह आलमारी से मेरी
डायरी दे
दो फिर बंद करना दरवाजा। हम परेशान नहीं करेंगे
।
लड़की दरवाजा खोले बिना कहती है की चाभीया दो
अलमारी की,
लड़का - तुम्हारे बिस्तर के पैरों तले है चाबी ।
मगर लड़की दरवाजा नहीं खोलती वल्की जोर जोर
से
गाना सुनने लगती है। बाहर पति कुछ देर दरवाजा
पिटता है फिर हारकर लौट जाता है। लड़की ने बड़े
जोर
से गाना बजा रखा था। फिर वह आलमारी खोलके
देखती
है जो उसने पहली बार खोला था, क्योंकि वह अपना
समान अलग आलमारी मे रखती थी।
आलमारी खोलते ही हैरान रह जाती है। आलमारी
मे
उसके अपने पास बुक एटी एम कार्ड थे जो उसके
घरवालो
ने छीन के रखे थे
खोलके चेक किया तो उसमें वह पैसे भी एड थे जो
दहेज मे
लड़के को मिले थे। और बहुत सारे गहने भी जो एक
पेपर के
साथ थे और उसकी मिल्कीयेत लड़की के नाम थी,
लड़की
बेहद हैरान और परेशान थी। फिर उसकी नजर
डायरी मे
पड़ती है और वह जल्दी से
वह डायरी निकालके पढ़ने लगती है।
लिखा था, तुम्हारे पापा ने एक दिन मेरी मां की जान
बचाइ थी अपना खून देकर । मैं अपनी माँ से बेहद
प्यार
करता हूँ इसलिए मैंने झूककर आपके पापा को
प्रणाम करके
कहा की...आपका ये अनमोल एहसान कभी नही
भूलूंगा, कुछ
दिन बाद आपके पापा हमारे घर आये हमारे तुम्हारे
रिश्ते की बात लेकर मगर उन्होंने आपकी हर बात
बताई
हमें की आप एक लड़के से बेहद प्यार करती हो।
आपके
पापा आपकी खुशी चाहते थे इसलिए वह पहले
लड़के को
जानना चाहते थे। आखिर आप अपने पापा की
princess
जो थी और हर बाप अपने Princess के लिए एक
अच्छा
इमानदार Prince चाहता है। आपके पापा ने
खोजकर के
पता लगाया की वह लड़का बहुत सी लड़की को
धोखा दे
चुका है। और पहली शादी भी हो चुकी है पर आपको
बता
न सके क्योंकि उन्हें पता था की ये जो इश्क का
नशा है
वह हमेशा अपनों को गैर और गैर को अपना
समझता है।
ऐक बाप के मुँह से एक बेटी की कहानी सुनकर मै
अचम्भीत
हो गया। हर बाप यंहा तक शायद ही सोचे। मुझे
यकीन
हो गया था की एक अच्छा पति होने का सम्मान
मिले न
मिले मगर एक दामाद होने की इज्जत मैं हमेशा पा
सकता
हूँ।
मुझे दहेज मे मिले सारे पैसे मैंने तुम्हारे ए काउण्ट
मे कर
दिए और तुम्हारे घर से मिली गाड़ी आज भी तुम्हारे
घर
पे है जो मैंने इसलिए भेजी ताकी जब तुम्हें मुझसे
प्यार हो
जाये तो साथ चलेंगे कही दूर घूमने। दहेज...इस
नाम से
नफरत है मुझे क्योंकि मैंने इ दहेज मे अपनी बहन
और बाप
को खोया है। मेरे बाप के अंतिम शब्द भी येही थे
की..कीसी बेटी के बाप से कभी एक रूपया न लेना।
मर्द
हो तो कमाके खिलाना, तुम आजाद हो कहीं भी जा
सकती हो। डायरी के बिच पन्नों पर तलाक की
पेपर है
जंहा मैंने पहले ही साईन कर दिया है । जब तुम्हें
लगे की
अब इस गंवार के साथ नही रखना है तो साईन
करके कहीं
भी अपनी सारी चिजे लेके जा सकती हो।
लड़की ...हैरान थी परेशान थी...न चाहते हुए भी
गंवार के
शब्दों ने दिल को छुआ था। न चाहते हुए भी गंवार
के
अनदेखे प्यार को महसूस करके पलके नम हुई थी।
आगे लिखा था, मैंने तुम्हें इसलिए मारा क्योंकि
आपने मा
को गाली दी, और जो बेटा खुद के आगे मा की
बेइज्जती
होते सहन कर जाये...फिर वह बेटा कैसा ।
कल आपके भी बच्चे होंगे । चाहे किसी के साथ भी
हो, तब
महसूस होगी माँ की महानता और प्यार।
आपको दुल्हन बनाके हमसफर बनाने लाया हूँ
जबरजस्ती
करने नहीं। जब प्यार हो जाये तो भरपूर वसूल कर
लूँगा
आपसे...आपके हर गुस्ताखी का बदला हम शिद्दत
से लेंगे हम
आपसे...गर आप मेरी हुई तो बेपनाह मोहब्बत
करके
किसी और की हुई तो आपके हक मे दुवाये माँग के
लड़की का फोन बज रहा था जो भायब्रेशन मोड पे
था,
लड़की अब दुल्हन बन चुकी थी। पलकों से आशू
गिर रहे थे ।
सिसकते हुए मोबाइल से पहले सिम निकाल के
तोड़ा फिर
सारा सामान जैसा था वैसे रख के न जाने कब सो
गई पता
नहीं चला। सुबह देर से जागी तब तक गंवार अफीस
जा
चुका था, पहले नहा धोकर साड़ी पहनी । लम्बी सी
सिंदूर डाली अपनी माँग मे फिर मंगलसूत्र ।
जबकि पहले एक टीकी जैसी साईड पे सिंदूर लगाती
थी
ताकी कोई लड़का ध्यान न दे
मगर आज 10 किलोमीटर से भी दिखाई दे ऐसी
लम्बी
और गाढी सिंदूर लगाई थी दुल्हन ने। फिर किचन
मे जाके
सासुमा को जबर्दस्ती कमरे मे लेके तैयार होने को
कहती
है। और अपने गंवार पति के लिए थोड़े नमकीन
थोड़े हलुवे
और चाय बनाके अपनी स्कूटी मे सासुमा को
जबर्दस्ती
बिठाकर (जबकी कुछ पता ही नहीं है उनको की बहू
आज
मुझे कहा ले जा रही है बस बैठ जाती है)
फिर रास्ते मे सासुमा को पति के अफीस का पता
पूछकर
अफीस पहुँच जाती है। पति हैरान रह जाता है पत्नी
को
इस हालत मे देखकर।
पति - सब ठीक तो है न मां?
मगर माँ बोलती इससे पहले पत्नी गले लगाकर
कहती है
की..अब सब ठीक है...I love you forever...
अफीस के लोग सब खड़े हो जाते है तो दुल्हन
कहती है
की..मै इनकी धर्मपत्नी हूँ । बनवास गई थी सुबह
लौटी
हूँ
अब एक महीने तक मेरे पतिदेव अफीस मे दिखाई
नहीं देंगे
अफीस के लोग? ?????
दुल्हन - क्योंकि हम लम्बी छुट्टी पे जा रहे साथ
साथ।
पति- पागल...
दुल्हन - आपके सादगी और भोलेपन ने बनाया है।
सभी लोग तालीया बजाते हैं और दुल्हन फिर से
लिपट
जाती है अपने गंवार से ...
जंहा से वह दोबारा कभी भी छूटना नहीं चाहती।
* बड़े कड़े फैसले होते है कभी कभी हमारे अपनों
की मगर
हम समझ नहीं पाते की...हमारे अपने हमारी फिकर
खुद से
ज्यादा क्यों करते हैं*
* मां बाप के फैसलों का सम्मान करे*
क्योंकि ये दो ऐसे शख्स है जो आपको हमेशा
दुनियादारी
से ज्यादा प्यार करते हैं ।
कैसा लगा ये प्रसंग ? कॉमेंट कर के बताइए
Sunday, 28 July 2019
गंवार:
Monday, 22 July 2019
Boss who wants you to be successful:
True leaders do not create more followers. They create more leaders. Sadly, what we mostly find in the corporate world are weak leaders who try to keep others down. Their sole focus is on getting to the top, and they don't care who they have to step on to reach there. Strong leaders build and lift others up. To elevate your employees takes strength, as helping them reach their full potential, may mean preparing them to replace you, or leave your company for better opportunities elsewhere. Only true leaders can do this.
Blessed is the leader who seeks the best for those he serves. -Unknown
Here are just some things that leaders can do to enable an employee’s full potential:
Elevate - Put them in positions where they can utilize their skills and strengths. Give them projects that will help them grow and develop their leadership skills.
Engage - Encourage them to share their ideas, suggestions and feedback
Empower - Grant them autonomy to make decisions.
Recognize - Appreciate their efforts and contributions. Recommend them for opportunities.
Expand - Set goals that are realistic but would expand their performance threshold.
Equip - Provide them with the proper training and tools.
Energize - Inspire and encourage them to develop the capabilities you see in them.
Support - Mentor and coach them.
Working for a boss who tries to pull you down or holds you back, creates feelings of resentment, and leads to low employee morale and reduced engagement. It even begins to negatively affect productivity and is reflected in the organization's high turnover rates.
Leadership needs to be about helping others become the best they can be. It is built on a foundation of servanthood and not selfishness. By providing employees with the opportunity to grow, we help them become more valuable members of the team, as well as we're building the overall strength of the team. It's a total win-win situation. Your success is a result of your team. Build your employees up and you build the company up. When you help others succeed. You will succeed! Your legacy and impact will live on.
याद रखते हैं ना हम
भूल जाने की
.
.
99% of the things that people say don’t help you in any way.
Yet 99% of the people are affected by that!
It’s time to listen less to others & listen more to yourself!
के बगैर...
लाज़िमी है तेरा बदल जाना भी,
वक़्त कहाँ थमता है किसी के लिए....
चुप रहना हमें सिखाया गया ...
फूल तो डाली के हो कर रह जाते हैं
Patience is about how you act while you’re waiting.
खो गया वो मेरे सवालों में ..
फसल-ए-इश्क कहती है...
तुम दर्द ही काटोगे!
तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा
सफ़र न करते हुए भी किसी सफ़र में रहा
तसल्ली ये के उसे खोया नहीं।
दरवाज़े पे दस्तक को मुद्दतों कान लगाये बैठा हूँ
खैर कोई नही आना, पर खुद को बहलाए बैठा हूँ
तुम्हारी रफ़्तार मेरी बेकरारी का सबूत ना दे दे कही...
बस ताअल्लुक का इन्तेकाल हुआ है,,,
धूप की किताबें.....
और भी खूबसूरत हो जाती हैं !!
तुम्हें मिल के भी तुम्हें खोने का
Be yourself and the right people will love you.
Strive for happiness always
मेरी जान तुम रूठ भी तो सकते थे !!
दरमियाँ कुछ दोस्त थे और दोस्त भी ऐसे कि बस !
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता.”
लीजिए या दीजिए इंकार रहने दीजिए...
तू आज भी बेखबर है कल की तरह
दिलों में खिलते हैं
जो इंसान की तरह
इंसानों से मिलते हैं।।
हँसी के बिना बिताया हुआ दिन
मैं क्या हूँ कौन हूँ सोचूँगा अपने बारे में
Saturday, 20 July 2019
चोर बहुत चालाक होते हैं:
चोर बहुत चालाक होते हैं, जब वो भैंस चुराते हैं तो सबसे पहले वो भैंस के गले से घंटे को खोलते हैं।
फिर
एक चोर घंटा बजाते हुए पश्चिम की ओर भागता है
और
बाकी चोर भैंस को पूर्व की ओर ले जाते हैं।
गांव के लोग घंटे की आवाज सुन कर पश्चिम की ओर भागते हैं,
और
आगे जाकर चोर घंटे को फेंक कर भाग जाता है।
इसलिए गांव वालों के हाथों में सिर्फ घंटा ही आता है
और
चोर भैंस चुरा ले जाते हैं।
*हमारी भैंस*
"शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य व्यवस्था, महिला सुरक्षा, परिवहन व्यवस्था, कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार,पीने योग्य पानी,किसान रक्षा,प्रदूषण रहित हवा जैसे और कई अनगिनत मुख्य मुद्दे हैं।"
*भैंस का घंटा*
मंदिर-मस्जिद, हिन्दू-मुस्लिम, दलित-सवर्ण, बिहारी-गुजराती, नेहरू-पटेल, हरा-भगवा, पाकिस्तान-चीन।"
लौटना कभी आसान नहीँ:
*"लौटना कभी आसान नहीं होता*"
मुझे पता है कि टॉलस्टाय की मशहूर कहानी आपने पहले सुनी/पढ़ी होगी...
एक आदमी राजा के पास गया कि वो बहुत गरीब है, उसके पास कुछ भी नहीं, उसे मदद चाहिए...
राजा दयालु था..उसने पूछा कि "क्या मदद चाहिए..?"
आदमी ने कहा.."थोड़ा-सा भूखंड.."
राजा ने कहा, “कल सुबह सूर्योदय के समय तुम यहां आना..ज़मीन पर तुम दौड़ना जितनी दूर तक दौड़ पाओगे वो पूरा भूखंड तुम्हारा। परंतु ध्यान रहे,जहां से तुम दौड़ना शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आना होगा,अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा...!"
आदमी खुश हो गया...
सुबह हुई..
सूर्योदय के साथ आदमी दौड़ने लगा...
आदमी दौड़ता रहा.. दौड़ता रहा.. सूरज सिर पर चढ़ आया था..पर आदमी का दौड़ना नहीं रुका था..वो हांफ रहा था,पर रुका नहीं था...थोड़ा और..एक बार की मेहनत है..फिर पूरी ज़िंदगी आराम...
शाम होने लगी थी...आदमी को याद आया, लौटना भी है, नहीं तो फिर कुछ नहीं मिलेगा...
उसने देखा, वो काफी दूर चला आया था.. अब उसे लौटना था..पर कैसे लौटता..? सूरज पश्चिम की ओर मुड़ चुका था.. आदमी ने पूरा दम लगाया..
वो लौट सकता था... पर समय तेजी से बीत रहा था..थोड़ी ताकत और लगानी होगी...वो पूरी गति से दौड़ने लगा...पर अब दौड़ा नहीं जा रहा था..वो थक कर गिर गया... उसके प्राण वहीं निकल गए...!
राजा यह सब देख रहा था...
अपने सहयोगियों के साथ वो वहां गया, जहां आदमी ज़मीन पर गिरा था...
राजा ने उसे गौर से देखा..
फिर सिर्फ़ इतना कहा..."इसे सिर्फ दो गज़ ज़मीं की दरकार थी...नाहक ही ये इतना दौड़ रहा था...! "
आदमी को लौटना था... पर लौट नहीं पाया...
वो लौट गया वहां, जहां से कोई लौट कर नहीं आता...
हमें अपनी चाहतों की सीमा का पता नहीं होता...
हमारी ज़रूरतें तो सीमित होती हैं, पर चाहतें अनंत..
अपनी चाहतों के मोह में हम लौटने की तैयारी ही नहीं करते...जब करते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है... फिर हमारे पास कुछ भी नहीं बचता...
हम सब दौड़ रहे हैं..परंतु क्यों.? नहीं पता..?
और लौटता भी कौन है...?
बीस साल पहले मैंने भी खुद से ये वादा किया था कि मैं लौट आऊंगा...
पर मैं नहीं लौट पाया...
दौड़ता ही रहा...
हम सभी दौड़ रहे हैं... बिना ये समझे कि सूरज समय पर लौट जाता है...
अभिमन्यु भी लौटना नहीं जानता था...हम सब अभिमन्यु ही हैं..हम भी लौटना नहीं जानते...
सच ये है कि "जो लौटना जानते हैं, वही जीना भी जानते हैं...पर लौटना इतना भी आसान नहीं होता..."
काश टॉलस्टाय की कहानी का वो पात्र समय से लौट पाता...!
काश हम सब लौट पाते..!
Wednesday, 17 July 2019
Three powerful way to stay positive:
The real obstacle to positivity is that our brains are hard-wired to look for and focus on threats. This survival mechanism served humankind well back when we were hunters and gatherers, living each day with the very real threat of being killed by someone or something in our immediate surroundings.
Sunday, 14 July 2019
खड़ा होकर ये चौराहे पे अक्सर सोचता हूं मैं
बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ..
जो बोलूँ सच तो चकना-चूर हो जाऊँ..
ये ज़रूरतें तो कभी ख्तम नहीं होती..
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
मुझे बस 'वो' उसे 'सारा ज़माना' चाहिए था..!
अब... वो कहता है दस्तकें भी दो
जब मैंने कहा ठीक हूँ ...!
महूसस तो हो के कोई हमें भुला नही..
सुनने पर शक करते हैं,
तुरंत यकीन कर लेते है!
मेरी ही बात मेरे तक पहुँच नहीं पाई
मगर ये बात ज़माने में फैल उठ्ठी है
चेहरे सबने बदले हैं, सामने जब आये है ॥
हर रोज मगर जाना अच्छा भी नहीं लगता
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
कि लोग रोने लगे तालियां बजाते हुए
As long as you are alive, no obstacle is permanent.
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे..!!
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे..!!
ज़माल एहसानी
उम्र ढलती है, ग़म बदलते है!
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
मगर वो शख़्स तो रस्ता बदलता जाता है..!!
जो बांटोंगे
वही आपके पास
बेहिसाब होगा
फिर वह चाहे
धन हो , अन्न हो
सम्मान हो , अपमान हो
नफरत हो
या
मोहब्बत..
मैं ने उस हाथ को पकड़ा था परेशानी में.!!
दो-रोज़ हमारे साथ रहो चेहरे पे चमक आ जाएगी !!
मुश्किलों को आखिर कौन चुनता है,
उससे रूठ जाना !!
मगर नाटक पुराना चल रहा है
पत्थरों में खुदा ढूंढते है
छू तो सकते है पर बस में नही होती
तु वो दुआ है जिसे मांगना ज़रूरी है
इक दिन तू आ के मेरी मन्नत की लाज रख ले
कब से उजाड़ता हूँ महफ़िल सजा सजा के
ज़िंदगी है तो कई तरह से मरना है अभी...
जहाँ तक छोड़ सकता था वही तक छोड़ आया हूँ...
इतना ही काफी है कि संभल गया हूं मैं
रब के खजाने में..
कहीं कोई 'सुराख' तो नहीं..”
तुम परिंदे हो चमन छोड़ के जा सकते हो...
कभी कभी मुस्कुराहटों के पीछे होता है
अगर राहों में उनके पत्थर न होते”
ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे,
सुना हैं ये चुप्पियाँ.......भी तबाह कर देती हैं....!!
किस की दुनिया में आ गया हूँ मैं...
आंखो पर
अपनों से ना उलझो ग़ैरों की बातों पर..
रिश्ते जोर से नहीं तमीज़ से थामें जाते हैं.
जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
आसाँ लिखना मुश्किल है
Monday, 8 July 2019
Close your eyes
Thursday, 4 July 2019
तमाम शहर जिसे छोड़ने को आया है
वो जो दिल के करीब होते हैं......!!
उन के पत्थर भी फूल होते हैं......!!!!
ज़ेहन की क़ैद से आज़ाद किया जाए उसे
सुना हैं ये चुप्पियाँ.......भी तबाह कर देती हैं....!!
किस की दुनिया में आ गया हूँ मैं...
आंखो पर
अपनों से ना उलझो ग़ैरों की बातों पर..
रिश्ते जोर से नहीं तमीज़ से थामें जाते हैं.
जहाँ से अपेक्षाएं खत्म होती है,
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ
आसाँ लिखना मुश्किल है
तमाम उम्र सितारे तलाश करता फिरा,
जिनके इंतजार में सदियों के फासले थे...
जलानेवाले जलाते ही हैं चराग़ आख़िर
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं !
चीखें निकल गई
सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे,
ख़ुद से चलकर नहीं ये तर्ज़ ए सुख़न आया है,
डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
[8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...
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" जहाँ रौशनी की ज़रूरत हो चिराग वहीँ जलाया करो, सूरज के सामने जलाकर उसकी औकात ना गिराया करो...!" सहमी हुई है झोपड़ी, बार...
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[6:38 AM, 9/16/2022] Bansi lal: छाता लगाने का मतलब ये नहीं कि आप बच गये, डुबाने वाला पानी सिर से नहीं हमेशा पैर से आता है। [7:10 AM, 9/16/...
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[8:11 AM, 8/24/2023] Bansi Lal: डर हमको भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा [8:22 AM, 8/24/2023] Bansi La...