जरुरी तो नहीं, हर चाहत का मतलब इश्क हो,
कभी कभी कुछ अनजान रिश्तों के लिए भी…
दिल बेचैन हो जाता है…!!!!
दिल बेचैन हो जाता है…!!!!
इक टहनी पे चाँद टिका था..
मैं ये समझा तुम बैठे हो...
मैं ये समझा तुम बैठे हो...
किरदार ही तो निभाते हैं लोग,
असली चेहरा यहाँ किसका नजर आता है
इज्जतदारों का शहर है साहब यें,
लोग एक-दुसरे के इज्जत से खेल जाते है
शीशे में शामिल है अस्क तेरा...
लोग खामखाँ मेरी आँखों को दोष देते है।
मैं ही सबब था अबके भी अपनी शिकस्त का
इल्ज़ाम अबकी बार भी कि़स्मत के सर गया
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